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लोग खुद वापस लेने लगे मुजफ्फरनगर दंगे के फर्जी मुकदमे

मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान दर्ज कराए गए मुकदमों में बड़ी तादाद ऐसे लोगों की भी है, जिन्होंने महज गुस्से अथवा किसी के बहकावे में आकर फर्जी रिपोर्ट दर्ज करा दी. सोमवार, 9 दिसंबर, को ऐसा ही मामला आईजी आशुतोष पांडेय के सामने आया, जब गांव बहावड़ी निवासी एक वृद्ध ने अपने तीन मुकदमों को फर्जी बताते हुए इन्हें खत्म करने की गुहार लगाई.

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फाइल फोटो
फाइल फोटो

मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान दर्ज कराए गए मुकदमों में बड़ी तादाद ऐसे लोगों की भी है, जिन्होंने महज गुस्से अथवा किसी के बहकावे में आकर फर्जी रिपोर्ट दर्ज करा दी. सोमवार, 9 दिसंबर, को ऐसा ही मामला आईजी आशुतोष पांडेय के सामने आया, जब गांव बहावड़ी निवासी एक वृद्ध ने अपने तीन मुकदमों को फर्जी बताते हुए इन्हें खत्म करने की गुहार लगाई.

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सोमवार को पुलिस लाइन में आईजी से मिलने पहुंचे गांव बहावड़ी निवासी अब्दुल रहमान ने फर्जी मुकदमे दर्ज कराने की जानकारी दी. अब्दुल रहमान ने दंगे के मुकदमों में बड़े पैमाने पर की गई फर्जी नामजदगी की भी पोल खोली है. अब्दुल का कहना है कि उसने तो अपनी रिपोर्ट में गांव के केवल तीन लोगों के ही नाम दिए थे, जिस शिविर में उसने शरण ली थी, वहां मौजूद कुछ लोगों ने उसे कंप्यूटर पर गांव बहावड़ी के लोगों की वोटर लिस्ट दिखाई और फिर उसमें से दस से अधिक लोगों को फर्जी तरीके से नामजद कर दिया गया. वृद्ध का कहना था कि यही प्रक्रिया उसके बेटों द्वारा दर्ज कराए गए मुकदमों में भी अपनाई गई थी.

अब्दुल रहमान का कहना था कि दंगे के दौरान वह परिवार समेत कैराना के राहत शिविर में रहने चला गया था. वहां पहुंचकर लोगों के बहकावे में आकर बहावड़ी निवासी कई लोगों के खिलाफ फर्जी रिपोर्ट दर्ज करा दी. इसके साथ ही उसके बेटों नसीम और इसरार ने भी कई लोगों के खिलाफ फर्जी रिपोर्ट दर्ज करा दी, जबकि उनका दंगे में कोई नुकसान नहीं हुआ था.

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7 सितंबर को मुजफ्फरनगर में हुए दंगों के बाद जिले के थानों में सैकड़ों मुकदमे दर्ज किए गए थे, जिनमें 6,405 लोग नामजद हुए थे. इन मुकदमों में बड़े पैमाने पर फर्जी नामजदगी भी कराई गई थी. इसके विरोध में फुगाना, भौराकलां, बुढ़ाना और शाहपुर क्षेत्र में महिलाओं ने काफी समय तक विरोध प्रदर्शन और पंचायतें भी की थीं.

आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर भी इन थाना क्षेत्रों में कई बार बवाल हुआ था. बाद में दंगों के सभी मामलों की जांच स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) को सौंप दी गई थी. एसआईटी के पास इस समय 573 मुकदमों की जांच चल रही है. एएसपी मनोज कुमार झ ने बताया कि मुकदमों की जांच के दौरान 225 नए नाम प्रकाश में आए थे, जिन्हें आरोपियों की सूची में शामिल किया जा चुका है.

विवेचना के दौरान अब तक 216 लोगों की नामजदगी फर्जी पाई गई है. केस के वादियों ने ही उक्त लोगों को फर्जी फंसाए जाने की बात कही है. इस आधार पर इन्हें क्लीनचिट दे दी गई है.

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