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दंगे में BJP नेताओं के केस वापस लेने पर ओवैसी ने योगी को घेरा, कहा- इंसाफ का एनकाउंटर

मुजफ्फरनगर दंगों से जुड़े मामले में प्रदेश के बीजेपी विधायकों को बड़ी राहत मिल सकती है. कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा, विधायक संगीत सोम और कपिल देव के खिलाफ दर्ज केस योगी सरकार ने वापस लेने का फैसला लिया है. योगी सरकार के फैसले पर असदुद्दीन ओवैसी ने निशाना साधा है.

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योगी सरकार पर बरसे एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (फाइल-पीटीआई)
योगी सरकार पर बरसे एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (फाइल-पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • मुजफ्फरनगर दंगाः बीजेपी नेताओं पर केस वापस लेने का फैसला
  • कोर्ट ने मुकदमा वापसी की अर्जी पर कोई फैसला नहीं दिया
  • दंगों में करीब 65 लोग मारे गए, जबकि हजारों बेघर हो गए

मुजफ्फरनगर दंगों से जुड़े मामले में बीजेपी नेताओं पर दर्ज केस वापस लिए जाने को लेकर एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पर जमकर हमला बोला है. ओवैसी ने योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जब सरकार ही अपराधियों की हो जाए तो सबसे पहला 'एनकाउंटर' इंसाफ का होता है.

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एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने आज ट्वीट के जरिए योगी आदित्यनाथ पर हमला करते हुए कहा, '2017 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने खुद उनके खिलाफ दर्ज कई मुकदमों को वापस ले लिया था. अब वो उनके बाकी साथियों के साथ खड़े हैं. जब सरकार ही अपराधियों की हो जाए तो सबसे पहला 'एनकाउंटर' इंसाफ का होता है.'

सरकार की केस वापस लेने की अर्जी
इससे पहले मुजफ्फरनगर दंगों से जुड़े मामले में प्रदेश के भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) विधायकों को बड़ी राहत मिल सकती है. कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा, विधायक संगीत सोम और कपिल देव के खिलाफ दर्ज केस योगी सरकार ने वापस लेने का फैसला लिया है.

सरकारी वकील राजीव शर्मा की ओर से मुजफ्फरनगर की एडीजे कोर्ट में मुकदमा वापसी के लिए अर्जी दी गई है. फिलहाल कोर्ट ने मुकदमा वापसी की अर्जी पर कोई फैसला नहीं दिया है.

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7 सितंबर 2013 को नंगला मंदौड़ की महापंचायत के बाद कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा, विधायक संगीत सोम और कपिल देव के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. इन तीनों बीजेपी नेताओं पर भड़काऊ भाषण, धारा 144 का उल्लंघन, आगजनी और तोड़फोड़ की कई धाराएं लगाई गई थीं.

तब क्या हुआ
यह महापंचायत मुजफ्फरनगर में सचिन और गौरव की हत्या के बाद बुलाई गई थी. मुजफ्फरनगर दंगों में करीब 65 लोगों की मौत हुई थी और 40 हजार के ज्यादा लोगों को दंगों के कारण विस्थापित होना पड़ा था.

27 अगस्त 2013 को मुजफ्फरनगर के कवाल गांव में सचिन और गौरव नाम के दो युवकों की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी. हत्या का आरोप शाहनवाज कुरैशी नाम के युवक पर लगा था.

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सचिन और गौरव की हत्या के बाद 7 सितंबर 2013 को नगला मंदोर गांव के इंटर कॉलेज में जाटों द्वारा महापंचायत बुलाई गई थी. आरोप है कि इस महापंचायत के बाद मुजफ्फरनगर में दंगा भड़क गया था.

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