मुजफ्फरनगर में हुए दंगो की गाज शासन के द्वारा एक समुदाय के पुलिसवालों पर गिरी थी. शासन ने एकतरफा कार्रवाई करते हुए एक समुदाय के पुलिसकर्मियों का ट्रांसफर कर दिया था, ये कहकर की दंगो के दौरान इन पुलिसकर्मियों ने अपने कर्तव्य का निर्वाह नहीं किया.
इसके बाद इन पुलिसकर्मियों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया कोर्ट से स्टे मिलने के बाद इन पुलिसकर्मियों के ट्रांसफर रोक दिए गए. शुक्रवार को एक कॉन्स्टेबल विवेक ने अपनी आपबीती सुनाई.
विवेक के मुताबिक, 'एक समुदाय के ही पुलिसकर्मियों का ट्रांसफर किया गया था. हमने दंगो में अपना पूरा कर्तव्य निभाया है हमारे साथ गलत हुआ इसलिए हम हाई कोर्ट गए वहां हमारे ट्रांसफर पर रोक लगा दी गई.'
इन पीड़ित पुलिसकर्मियों का साथ बीएसपी के पूर्व विधायक योग राज सिंह ने दिया और इन सभी पुलिसकर्मियों को हाई कोर्ट ले जाकर न्याय दिलाया. योग राज सिंह ने इन दंगो का ठीकरा सपा और बीजेपी के सिर फोड़ा. योग राज ने कहा, 'इन दंगो को कराकर बीएसपी का वोट बैंक तोड़ा गया है. क्योंकि हिंदू सारे बीजेपी पर आ गए और मुस्लिम सारे सपा पर चले गए इसी सोच के चलते ये दंगे कराये गए हैं.'
उन्होंने कहा, 'इन पुलिसकर्मियों ने दंगा रोकने का काम किया. इन पर दबाव भी पड़ा होगा और गलत काम करने के लिए नेताओं के फोन भी आए होंगे. लेकिन इन लोगों ने गलत काम नहीं किया. इसीलिए इनका ट्रांसफर किया गया. अधिकतर बागपत, बुलंदशहर के हैं और इनकी पोस्टिंग मुजफ्फरनगर में ही थी. ये कुल 13 लोग थे. जिसमें सीओ भी हैं, सब-इंस्पेक्टर और कॉन्स्टेबल भी. मेरे संज्ञान में आया है की आजम खान ने दबाव बनाया था की इन लोगों को हटाया जाए इन्होंने एक समुदाय का साथ दिया है मुझे पता चला है कि कोर्ट ने उन्हें नोटिस दिया है.'
मुजफ्फरनगर में दंगे की आग तो बुझ चुकी है लेकिन सियासत अभी तक गरमाई हुई है.