राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के यूपी में होने वाले तीन दिवसीय कैंप ने प्रदेश सरकार की नींद उड़ा दी है. आयोग की टीम तीन दिवसीय दौरे पर बुधवार को लखनऊ पहुंच रही है.
पूर्व चीफ जस्टिस केजी बालाकृष्णन की अगुवाई वाली मुख्य पीठ मुजफ्फरनगर और शामली के दंगा राहत शिविरों में हुई बच्चों की मौत की सच्चाई जानेगी. इसके साथ ही चार अन्य मामलों की भी सुनवाई मुख्य पीठ के समक्ष होगी. आयोग सभी मामलों की सुनवाई लखनऊ स्थित योजना भवन के सभागार में करेगा.
मुजफ्फरनगर के राहत शिविरों में हुई बच्चों की मौत का मामला सबसे अहम है. इसे लेकर राज्य सरकार की काफी किरकिरी भी हुई थी. पहले सरकार ने मुजफ्फरनगर और शामली के राहत शिविरों में सिर्फ दो बच्चों की मौत होने की बात कही थी. लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद राज्य सरकार द्वारा कराई गई जांच में 31 बच्चों की मौत होने की बात सामने आई थी.
राहत शिविरों में रहने वाले परिवारों की अनदेखी को लेकर पहले ही सरकार सवालों के घेरे में है. अगर आयोग सुनवाई के बाद कोई और गंभीर कदम उठाता है तो सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. आयोग की दो टीमों ने राहत शिविरों का दौरा किया है.