मुजफ्फरनगर के कवाल गांव में हुए दंगे की सीबीआई जांच करने की सिफारिश कर यूपी की अखिलेश यादव सरकार की किरकिरी कराने वाले वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) प्रवीण कुमार पर गाज गिर गई है.
शनिवार की देर रात पौने ग्यारह बजे एक आदेश जारी कर सरकार ने कन्नौज में पुलिस अधीक्षक पद पर तैनात 2006 बैच के आइपीएस अधिकारी हरि नरायण सिंह को मुजफ्फरनगर का नया एसएसपी बनाया है. प्रवीण कुमार को 41वीं वाहनी पीएसी, गाजियाबाद में सेनानायक के महत्वहीन पद पर भेजा गया है. पिछले एक महीने के दौरान मुजफ्फरनगर में एसएसपी पद पर तीन आइपीएस अधिकारी बदले जा चुके हैं.
27 अगस्त को को कवाल गांव में हुए तिहरे हत्याकांड के बाद सरकार अगले दिन यहां तैनात एसएसपी मंजिल सैनी को हटाकर सुभाष चंद्र दुबे को तैनात किया किया था. मुजफ्फरनगर में दंगा रोकने में नाकामी का आरोप लगाकर 10 सितंबर को दुबे को हटाकर प्रवीण कुमार को नया एसएसपी बनाया गया था.
प्रवीण कुमार अपना कामकाज ठीक से संभाल पाते कि उससे पहले उनपर दंगे में गिरफ्तार लोगों पर रासुका तामील करने का राजनीतिक दबाव इसकदर पड़ा कि वे 26 सितंबर को बीमार होकर एम्स, नई दिल्ली में भर्ती हो गए. इसके बाद से ही कुमार को मुजफ्फरनगर के एसएसपी पद से हटाने की चर्चा जोरों पर थी. मुजफ्फरनगर में तैनात नए एसएसपी हरि नरायण सिंह को दंगे की जांच के लिए बने विशेष प्रकोष्ठ के इंचार्ज की अतिरिक्त जिम्मेदारी भी दी गई है.