नगीना लोकसभा सीट उत्तर प्रदेश के 17 आरक्षित लोकसभा सीटों में से एक है और यह प्रदेश की नई लोकसभा सीटों में से शामिल है. 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिश के बाद यह सीट 2009 लोकसभा चुनाव से पहले ही अस्तित्व में आई थी.
नगीना में 18 अप्रैल को दूसरे चरण में मतदान होना है और इस बार 8 प्रत्याशी मैदान में हैं. मुख्य मुकाबला कांग्रेस की ओमवती देवी और बीजेपी के डॉक्टर यशवंत सिंह के बीच है. जबकि सपा-बसपा गठबंधन के कारण यहां से बसपा के टिकट पर गिरीश चंद्र चुनावी मैदान में हैं. इसके अलावा पीस पार्टी के माधव राम, खुसरो सेना पार्टी के विनोद, राष्ट्रीय समानता दल के अमीचंद के अलावा अंबेडकर समाज पार्टी के टिकट पर तेज सिंह भी मैदान में हैं. चरण सिंह बतौर निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में हैं. कमेश कुमार पीपुल्स पार्टी ऑफ इंडिया (डी) के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.
2009 लोकसभा चुनाव में नगीना संसदीय सीट समाजवादी पार्टी के खाते में गई तो 2014 में इस सीट पर भी मोदी लहर का असर दिखा और जीत भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के खाते में गई. मुस्लिम बहुल होने के बावजूद भी ये सीट बीजेपी के पास गई, बीजेपी की नजर फिर से इस सीट पर जीत हासिल करने की है.
नगीना लोकसभा सीट का इतिहास ज्यादा पुराना नहीं है. पहले ये हिस्सा बिजनौर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत ही आता था, लेकिन 2008 में हुए परिसीमन के दौरान इसे अलग संसदीय क्षेत्र बनाने की मांग शुरू हुई और 2009 के लोकसभा चुनाव में इसे अलग कर दिया गया. 2009 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) के यशवीर सिंह ने यहां पर जीत दर्ज की, लेकिन अगले ही चुनाव में वह हार गए. 2014 में बीजेपी के टिकट पर यशवंत सिंह बड़े अंतर से विजयी रहे.
21 फीसदी एससी वोटर
नगीना लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट है, यहां करीब 21 फीसदी एससी वोटर हैं. हालांकि, यहां मुस्लिम वोटर भी कम नहीं हैं. यहां आने वाली सभी विधानसभा सीटों का हिसाब लगाएं तो करीब 50 फीसदी से अधिक मुस्लिम वोटर यहां पर हैं. यही कारण है कि राजनीतिक लिहाज से यह संसदीय सीट काफी अहम है.
नगीना सीट पर कुल 14,93,411 मतदाता हैं. इनमें 7,95,554 पुरुष और 6,97,857 महिला वोटर हैं. 2014 में इस सीट पर 63.1 फीसदी वोट डाले गए थे और इनमें से 6,470 वोट नोटा को पड़े थे.
नगीना लोकसभा क्षेत्र के तहत 5 विधानसभा सीटें नजीबाबाद, नगीना, धामपुर, नहटौर और नूरपुर आती हैं. 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में तीन सीटें भारतीय जनता पार्टी और दो सीटें समाजवादी पार्टी के पास गई थीं. हालांकि, इनमें से 2018 में नूरपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ, जिसमें समाजवादी पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी को हराकर जीत दर्ज की थी. नूरपुर का उपचुनाव कैराना के उपचुनाव के साथ ही हुआ था.
2014 में भारतीय जनता पार्टी ने यहां से यशवंत सिंह को मैदान में उतारा और उन्होंने सपा के पूर्व सांसद यशवीर सिंह को मात दे दी. बीजेपी के यशवंत सिंह को कुल 39 फीसदी वोट मिले थे. उन्हें चुनाव में 3,67,825 वोट यानी 39 फीसदी वोट मिले, जबकि समाजवादी पार्टी के यशवीर सिंह को 2,75,435 (29.2%) और बहुजन समाज पार्टी के गिरीश चंद्रा को 2,45,685 (26.1%) वोट मिले थे.