उत्तर प्रदेश के नोएडा में सार्वजनिक पार्क में बगैर सरकारी अनुमति के जुमे की साप्ताहिक नमाज पढ़ने पर पाबन्दी लगाने और ऐसा होने पर वहां की निजी कम्पनियों पर कार्रवाई करने के नये सरकारी फरमान को बीएसपी प्रमुख मायावती ने बुधवार को गलत और एकतरफा कार्रवाई बताया है.
मायावती ने एक बयान में सवाल किया, "अगर उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की सार्वजनिक स्थलों पर धार्मिक गतिविधियों पर पाबन्दी लगाने की कोई नीति है तो वह सभी धर्मों के लोगों पर एक समान तौर पर और पूरे प्रदेश के हर जिले, हर जगह सख्ती से बिना किसी भेदभाव के क्यों नहीं लागू की जा रही है?"
नोएडा की ताजा घटना पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये मायावती ने कहा कि उस स्थल पर अगर फरवरी 2013 से ही जुमे की नमाज लगातार हो रही है तो अब चुनाव के समय उस पर पाबन्दी लगाने का क्या मतलब है? उन्होंने पूछा कि यह कार्रवाई पहले ही क्यों नहीं की गयी और अब लोकसभा चुनाव से पहले इस प्रकार की कार्रवाई क्यों की जा रही है ?
कार्रवाई की धमकी गैर जिम्मेदाराना कदम
मायावती ने कहा कि इससे बीजेपी सरकार की नीयत और नीति दोनों पर ही उंगली उठना व धार्मिक भेदभाव का आरोप लगना स्वाभाविक है. उन्होंने कहा कि साथ ही यह आशंका भी प्रबल होती है कि चुनाव के समय इस प्रकार के धार्मिक विवादों को पैदा कर बीजेपी सरकार अपनी कमियों और विफलताओं पर से लोगों का ध्यान बांटना चाहती है. जुमे की नमाज के सम्बन्ध में नोएडा सेक्टर-58 स्थित कई निजी कम्पनियों को पुलिस नोटिस भेज उन पर कार्रवाई की धमकी देना पूरी तरह गलत और गैर जिम्मेदाराना कदम है.
बीएसपी प्रमुख ने कहा कि सरकार की ऐसी कार्रवाई से साफ है कि हाल में पांच राज्यों में हुये विधानसभा चुनावों में हुई करारी हार से बीजेपी के सीनियर लीडर कितना घबराये हुए हैं तथा उसी हताशा और निराशा से गलत तथा विसंगतिपूर्ण फैसले ले रहे हैं. उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि केन्द्र की भाजपा सरकार का भी हर काम धार्मिक उन्माद बढ़ाकर साम्प्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने वाला ही प्रतीत हो रहा है ताकि लोगों का ध्यान चुनावी वादा खिलाफियों से बांटा जा सके.
क्या है पूरा मामला
दरअसल, 19 दिसंबर को सेक्टर-58 के पार्क में नमाज पढ़ने पर नौमान अख्तर समेत दो लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था. शनिवार को दोनों जमानत पर बाहर आए. पुलिस का कहना है कि ये दोनों जबरन पार्क में नमाज पढ़ना चाहते थे, जो कि कानून का उल्लंघन है. पुलिस ने अपने आदेश में कहा था कि यहां मौजूद कंपनियां अपने कर्मचारियों को इस आदेश के बारे में सूचित कर दें. अगर दोबारा कोई व्यक्ति पार्क में नमाज पढ़ता हुआ पाया गया, तो इसकी जिम्मेदारी कंपनी की होगी.
गौरतलब है कि इससे पहले भी हरियाणा के गुरुग्राम में खुले में नमाज पर इसी तरह का आदेश जारी किया गया था. इसके अलावा कुछ हिंदू संगठनों ने भी खुले में नमाज पढ़े जाने का विरोध किया था.