अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत का मामला लगातार उलझता ही जा रहा है. इस बीच कई नए-नए खुलासे भी हो रहे हैं. इसमें सबसे अहम कड़ी संपत्ति का विवाद माना जा रहा है. आइए जानते हैं कि कितनी अकूत संपत्ति उस अखाड़े की है जिसके सर्वेसर्वा महंत नरेंद्र गिरी थे.
बाघम्बरी मठ- प्रयागराज के अल्लापुर इलाके में बाघम्बरी गद्दी और मठ है, जो करीब 5 से 6 बीघे जमीन में है. यहां निरंजनी अखाड़े के नाम एक स्कूल और गौशाला भी है. दारागंज में भी अखाड़े की जमीन है.
प्रयागराज में हनुमान मंदिर जिसे संगम तट पर लेटे हुए हनुमान जी के नाम से जाना जाता है, वो भी इसी बाघम्बरी मठ का ही मंदिर है जहां प्रयागराज और संगम आने वाले सभी श्रद्धालु मत्था जरूर टेकते हैं.
मांडा-मिर्जापुर में जमीन
मांडा (प्रयागराज) में 100 बीघा और मिर्जापुर के महुआरी में भी 400 बीघे से ज्यादा की जमीन बाघम्बरी मठ के नाम है. इसके अलावा मिर्जापुर के नैडी में 70 और सिगड़ा में 70 बीघा जमीन अखाड़े की है. एक अनुमान के मुताबिक, प्रयागराज और आसपास के इलाकों में निरंजनी अखाड़े के मठ, मंदिर और जमीन की कीमत 300 करोड़ से ज्यादा की है, जबकि हरिद्वार और दूसरे राज्यों में संपत्ति की कीमत जोड़े तो वो हजार करोड़ के पार है.
कुंभ नगरी जमीन, मंदिर आश्रम
निरंजनी अखाड़े की कुंभ नगरी उज्जैन और ओंकारेश्वर में 250 बीघा जमीन, आधा दर्जन मठ और दर्जनभर आश्रम हैं. कुंभ नगरी नासिक में 100 बीघा से अधिक जमीन, दर्जनभर आश्रम और मंदिर हैं. बड़ोदरा, जयपुर, माउंटआबू में भी करीब 125 बीघा जमीन, दर्जन भर मंदिर और आश्रम हैं. हरिद्वार स्थित मुख्यालय के अधीन दर्जनभर मठ-मंदिर हैं. नोएडा में मंदिर और 50 बीघा जमीन है. वाराणसी में मंदिर और आश्रम के साथ करोड़ों की जमीन है.