घटते प्रवाह और लगातार बढ़ते प्रदूषण से बेजार पतित पावनी गंगा के लिए अलग मंत्रालय बन सकता है. केंद्र में जल्द सत्तारूढ़ होने वाली नरेंद्र मोदी सरकार में नए गंगा मंत्रालय के गठन के लिए होमवर्क शुरू हो गया है. राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण ने गंगा मंत्रालय की रूपरेखा बनानी शुरू कर दी है ताकि गंगा की अविरलता-निर्मलता से जुड़े मसलों पर तेजी से काम हो सके.
मामले में शुक्रवार को दिल्ली में होने वाली मिशन क्लीन गंगा की बैठक में भी गंगा के लिए अलग मंत्रालय का प्रस्ताव रखा जाएगा. गंगा की रक्षा के लिए बड़े कदम उठाए जाने के भी संकेत मिले हैं. शुक्रवार को दिल्ली में होने वाली मिशन क्लीन गंगा की अहम बैठक के लिए रवाना होने से पहले राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण (एनजीआरबीए) के सदस्य प्रो. बीडी त्रिपाठी ने इसका खुलासा किया. उन्होंने बताया कि नई सरकार के शपथ ग्रहण से पहले गंगा पर बड़ा होमवर्क शुरू हो गया है. इसमें गंगा की समस्याओं और लक्ष्य तक पहुंचने के लिए किस दिशा में कदम बढ़ाने होंगे, ऐसे गंभीर मसलों पर चर्चा होने के आसार हैं.
प्रो. त्रिपाठी ने बताया कि गंगा के लिए अलग मंत्रालय बनाए जाने का प्रस्ताव वह मिशन क्लीन गंगा की बैठक में रखेंगे. इस मंत्रालय का दफ्तर काशी में ही खोलने के लिए जोर दिया जाएगा ताकि बेकार की भागदौड़ से बचा जा सके. अब तक एनजीआरबीए पर्यावरण मंत्रालय के अधीन काम करता रहा है, लेकिन इस मंत्रालय के पास खुद के इतने काम हैं कि गंगा के लिए संबंधित मंत्री और अधिकारी समय ही नहीं निकाल पाते. पिछली सरकार में एनजीआरबीए के उदासीन रहने की एक अहम वजह यह भी मानी जा सकती है.