बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीवार नरेंद्र मोदी की 20 दिसंबर को वाराणसी में होने वाली विजय शंखनाद रैली नए तेवर और कलेवर के साथ संपन्न होगी.
चार राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी के शानदार प्रदर्शन के बाद यूपी में होने वाली यह पहली रैली अब तक की रैलियों से एकदम अलग हो सकती है. मोदी की अबतक हुई रैलियों में आमतौर पर विश्व हिंदू परिषद (VHP) और संघ के पदाधिकारी नहीं दिखाई दिए हैं लेकिन वाराणसी की रैली में ऐसा नहीं होगा. विहिप व साधु-संतों की ओर से मोदी के नाम को प्रधानमंत्री प्रस्तुत करने का दबाव तो कुंभ के समय से ही बढ़ने लगा था.
इसके बाद ऐसा माहौल बना कि VHP ने देशभर में साधु-संतों को आयोध्या में 84 कोसी और पंचकोसी यात्रा के नाम पर एकजुट कर दिया. वाराणसी रैली में मोदी के मंच पर विहिप के संरक्षक अशोक सिंघल का भी दिखना तय माना जा रहा है.
साधु- संतों में सुमेरुपीठाधीश्वर नरेन्द्रानन्द सरस्वती, सतुआ बाबा आश्रम के प्रमुख महामंडलेश्वर संतोष दास,यति नंदन जी, रामकमल वेदांती प्रमुख बताए जा रहे हैं. हालांकि रैली की तैयारी से जुड़े बीजेपी नेता इस बारे में खुलकर कुछ बोलने को तैयार नहीं है लेकिन दबी जुबान से उनका कहना है कि मोदी से इसके लिए ग्रीन सिग्नल मिलने का इंतजार है.
रैली में अब सिर्फ तीन दिन ही बाकी होने से तैयारियों ने जोर पकड़ा है. रैली स्थल पर 90 फुट के मुख्य मंच व दो अलग मंच के निर्माण के साथ ही बैरिकेडिंग का काम दिन रात चल रहा है. प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी व अन्य पदाधिकारियों के साथ ही स्थानीय सांसद मुरली मनोहर जोशी रैली को सफल बनाने के लिए पूरी जोर लगाए हुए हैं.