NEET की काउंसलिंग में लगातार हो रही देरी ने कई छात्रों और डॉक्टरों को खफा कर दिया है. अभी देश के कई हिस्सों में डॉक्टरों की हड़ताल जारी है, कुछ जगहों पर ओपीडी सेवाओं को भी बंद कर दिया गया है. अब केजीएमयू अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर भी काउंसलिंग में हो रह देरी का विरोध कर रहे हैं. एमरजेंसी सेवाओं को छोड़ कर ओपीडी और वार्ड में काम काज ठप कर दिया गया है.
धरने पर बैठे KGMU के डॉक्टर
इस बारे में रेजिडेंट डॉक्टर निकिता ने बताया कि जनवरी 2021 में नीट की काउंसलिंग होनी थी लेकिन बार-बार उसे पोस्टपोन किया गया और अब मामला सुप्रीम कोर्ट में है और आने वाली 6 जनवरी को सुनवाई है. हम लोग एक्सपेक्ट कर रहे हैं दो-तीन महीने औऱ लग जाएंगे,ऐसे में काफ़ी दिक्कतें हो रही हैं क्योंकि जो नए डॉक्टर्स थे अभी तक आ जाने चाहिए थे लेकिन वह नहीं आ पाए हैं और इसी वजह से वर्क लोड बढ़ रहा है.
डॉक्टर निकिता ने इस बात पर भी जोर दिया कि अभी देश में कोरोना की तीसरी लहर का खतरा बना हुआ है. ऐसे में डॉक्टरों का समय रहते मरीजों को इलाज देना जरूरी रहेगा. लेकिन अगर मरीजों को डॉक्टर मिले ही नहीं मिले तो स्थिति काफी बिगड़ सकती है. इसी वजह से निकिता मांग कर रही हैं कि नीट काउंसलिंग जल्द शुरू करवाई जाए और नए डॉक्टरों को सेवा के लिए भेजा जाए.
अस्पताल में हालत खराब
अब जानकारी के लिए बता दें कि अभी जूनियर डॉक्टरों के धरने पर चले जाने के कारण मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. तीमारदार अपने पेशेंट को लेकर डॉक्टरों से सलाह लेने के लिए इधर-उधर भटकते हुए दिखाई पड़ रहे हैं.यही हाल वार्डों में भी देखने को मिल रहा है जहां पर डॉक्टरो की जगह नर्सों के भरोसे कई पेशेंट्स को छोड़ दिया गया है. इस सब के अलावा कई ऑपरेशन देर से किए गए तो वहीं जो लोग अल्ट्रासाउंड करवाने बिना खाए पिए आए हुए थे, उन्हें वापस जाना पड़ा.
किस बात पर सारा विवाद?
अब जिस वजह से ये धरना हो रहा है, उसके बारे में भी जान लीजिए. दरअसल सुप्रीम कोर्ट में नीट पीजी काउंसलिंग को लेकर सुनवाई चल रही है. सरकार द्वारा ओबीसी के 27 प्रतिशत और EWS के 10 प्रतिशत आरक्षण देने का विरोध किया जा रहा है. इसी मामले की अगली सुनवाई अगले साल 6 जनवरी को होने जा रही है.