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यूपी विधानसभा: राज्यपाल पर फेंके गए कागज, मेज बचाते नजर आए योगी

उत्तर प्रदेश विधान सभा का पहला सत्र शुरू होते ही विपक्ष ने हंगामा कर दिया. राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान विपक्षी विधायकों ने राज्य में कानून व्यवस्था के मुद्दे पर हंगामा करते हुए राज्यपाल पर कागज फेंके.

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राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान हंगामा
राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान हंगामा

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उत्तर प्रदेश विधान सभा की कार्यवाही सत्र के पहले दिन ही विपक्ष के हंगामे के बाद कल तक के लिए स्थगित कर दी गई है. यूपी विधान सभा में राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान विपक्षी विधायकों ने राज्य में कानून-व्यवस्था को लेकर जमकर नारेबाजी की. वहीं विधान परिषद की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया. समाजवादी पार्टी के सदस्य सभापति की कुर्सी तक पहुंच गए. सभापति के अभिभाषण के दौरान वेल में एक बार फिर विधान परिषद के सदस्य हंगामा करने लगे.

अपना दल की सांसद और केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने यूपी विधानसभा में समाजवादी विधायकों के बर्ताव पर अपनी नाराजगी जताई. उनका कहना है कि विधायक सरकार को घेरें लेकिन बहस से ना कि वेल में. राज्यपाल की ओर कागज के गोले फेंकना अमर्यादित होने के साथ ही असंसदीय भी है। ये एक सांवैधानिक संस्था और परंपरा का अपमान भी है.

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उत्तर प्रदेश विधान सभा का पहला सत्र शुरू होते ही विपक्ष ने हंगामा कर दिया. राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान विपक्षी विधायकों ने राज्य में कानून व्यवस्था के मुद्दे पर हंगामा करते हुए राज्यपाल पर कागज फेंके. विपक्षी विधायक सदन में प्लेकार्ड लेकर आए थे. राज्यपाल का अभिभाषण शुरू होते ही समाजवादी पार्टी के विधायकों ने उनकी ओर कागज के गोले फेंके.

हंगामे के बीच राज्यपाल ने पूरा किया संबोधन
राज्यपाल राम नाइक ने हंगामे और नारेबाजी के दौरान ही अपना संबोधन पूरा किया. विपक्ष के हंगामे पर यूपी कैबिनेट के मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि हम आशा करते हैं कि विपक्ष अपनी सकारात्मक भूमिका निभाएगा. सिद्धार्थ नाथ ने कहा कि कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर विपक्ष को आत्मनिरीक्षण करना चाहिए.

कानून-व्यवस्था पर आत्मनिरीक्षण करे विपक्ष
सिद्धार्थ नाथ सिंह ने समाजवादी पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि सपा सरकार खुद राज्य की कानून-व्यवस्था बेहतर नहीं कर पाई और हमसे 50 दिनों की रिपोर्ट मांगी जा रही है.

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की हुकूमत कायम होने के बाद सोमवार 15 मई से पहले विधानसभा सत्र की शुरुआत हुई है. 17वीं विधानसभा के गठन के बाद विधानमंडल का आज पहला सत्र है. विधानसभा अध्यक्ष की अगुआई में कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में 15 से 22 मई तक के कार्यक्रम की मंजूरी दी गई है. इस बीच सदन की छह बैठकें होंगी.

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सिद्धार्थ नाथ सिंह ने समाजवादी पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि सपा सरकार खुद राज्य की कानून-व्यवस्था बेहतर नहीं कर पाई और हमसे 50 दिनों की रिपोर्ट मांगी जा रही है.

कानून व्यवस्था पर विपक्ष का हंगामा
ये तय है कि जिस कानून व्यवस्था को चुनावी मुद्दा बना कर बीजेपी ने उत्तर प्रदेश की सत्ता को हासिल किया. उसी व्यवस्था को मुद्दा बनाकर विपक्ष ने सदन में हंगामा कर दिया. भले ही सर्वदलीय बैठक में विपक्षी नेता औपचारिकता निभाते हुए शामिल हुए थे, लेकिन सत्र के दौरान उनके तल्ख तेवर का पहले से ही अंदाजा लगाया जा रहा था.

नए विधायकों को प्रशिक्षित किया गया
विपक्ष के विरोध को झेलने के लिए बीजेपी की पूरी तैयारी है. नए विधायकों को सदन में व्यवहार के लिए प्रशिक्षित किया गया है. सरकार भी करीब 2 महीने के शासनकाल के दौरान अपने कामों का खाका पेश करेगी. हालांकि सदन में विपक्ष का संख्या बल महज 74 विधायकों का है, लेकिन हाल ही में बुलंदशहर, सहारनपुर, संभल और गोंडा में जातीय और सांप्रदायिक हिंसा को मुद्दा बनाकर सरकार के पक्ष को कमजोर करने की कोशिश होगी.

पेश किया जाएगा जीएसटी स्टेट बिल
छह दिन के सत्र में जीएसटी स्टेट बिल को भी पेश किया जाएगा. विधानसभा सत्र के पहले दिन के सीधे प्रसारण की भी खास व्यवस्था हुई है. विधानसभा की सुरक्षा के लिहाज से पुख्ता इंतजाम किया गए हैं. डीजीपी मुख्यालय स्तर से दो एएसपी, सात डिप्टी एसपी, 40 दरोगा के साथ ही 300 सिपाही तैनात किए गए हैं.

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पहले सत्र की शुरुआत से पहले योगी सरकार ने प्रशासनिक फेरबदल का भी फैसला किया है. 31 आईपीएस अधिकारियों का तबादला किया गया है. कई शहरों के एसएसपी बदले गए हैं. दलील यही है कि राज्य में कानून व्यवस्था के साथ कोई समझौता नहीं होगा. कोशिश हर हाल में इसे बेहतर करने की है. पिछले 30 दिनों में छठी बार फेरबदल हुआ है. जनता भी इसी उम्मीद में है कि योगीराज के फैसले उनकी बेहतरी के लिए ही हों.

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