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Lucknow: जन्म से ही नहीं था बच्चे में ये अंग, पांच दिन के नवजात का जब फूलने लगा पेट तो चौंक गए सभी

जन्म के 5 दिन बाद बच्चे के माता पिता को पता चला कि उनके बच्चे के शरीर में कुदरती तौर पर मलद्वार ही नहीं है. फिर वह तुरंत ही आनन-फानन में सीतापुर से लखनऊ पहुंचे और उसे अस्पताल के पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट की ओपीडी में दिखाया और शिशु को भर्ती किया गया. जरूरी जांच के बाद 9 दिन के मासूम की सर्जरी कर मलद्वार बनाया गया.

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डॉक्टरों ने नवजात की जटिल सर्जरी कर बनाया मलद्वार (फोटो-आजतक)
डॉक्टरों ने नवजात की जटिल सर्जरी कर बनाया मलद्वार (फोटो-आजतक)

राजधानी लखनऊ में डॉक्टरों ने बेहतरीन काम किया है, जिसकी वजह से उनकी हर तरफ तारीफ हो रही है. बलरामपुर अस्पताल में नौ दिन के नवजात की जटिल सर्जरी कर उसका मलद्वार बनाया. बच्चा अब स्वस्थ है. डॉक्टरों ने बताया कि जन्म के समय से ही बच्चे का कुदरती तौर पर मलद्वार नहीं था.  

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अस्पताल के पीडियाट्रिशियन सर्जन डॉक्टर अखिलेश कुमार ने बताया कि मलद्वार नहीं हाेने की वजह से नवजात का पेट फूल रहा था. वह उल्टियां कर रहा था. जिसकी वजह से उसकी जान को खतरा बढ़ गया था. नवजात के परिजन काफी परेशान रहते थे. 

डॉक्टर अखिलेश ने बताया कि 5 दिन बाद बच्चे के माता-पिता को पता चला कि उनके बच्चे के शरीर में  मलद्वार ही नहीं है. फिर वह तुरंत ही सीतापुर से लखनऊ पहुंचे और उसे पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट की ओपीडी में दिखाया. इसके बाद शिशु को भर्ती किया गया. 

बच्चे की कुछ जरूरी जांच कर उसके शरीर में सर्जरी करके मलद्वार का बनाया गया. डॉक्टर अखिलेश बताते हैं कि बच्चा अब पूरी तरीके से स्वस्थ है.  मां का स्तनपान भी कर रहा है. बताया जा रहा है कि मात्र 9 दिन के बच्चे कि ऐसी जटिल सर्जरी बलरामपुर अस्पताल के इतिहास में पहली बार हुई है और साथ ही दावा किया जा रहा है कि ऐसी सर्जरी प्रदेश में अब तक किसी भी राजकीय अस्पताल में नहीं हुई है. 

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एनेस्थीसिया विभाग के प्रमुख डॉक्टर. एमपी सिंह के अनुसार बच्चे को एनेस्थीसिया देना बेहद चुनौतीपूर्ण रहा. एक माह से कम आयु के बच्चों को एनेस्थीसिया देने पर रक्तस्राव का खतरा होता है और ठंड लग सकती है. बच्चे को रुई के जरिए ढककर तापमान नियंत्रित किया. इस सर्जरी के लिए अलग से उपकरण भी मंगाए गए थे. फिलहाल डॉक्टरों की पूरी टीम और बच्चे के माता-पिता बेहद खुश हैं. 

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