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बलबीर गिरि संभालेंगे बाघम्बरी मठ की गद्दी, निरंजनी अखाड़े में पंचों की बैठक के बाद हुई घोषणा

निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी ने बलबीर गिरि के उत्तराधिकारी बनने की घोषणा की. साथ ही उन्होंने बताया कि 5 सदस्यों के जिस बोर्ड का गठन किया जाएग, वह मठ की मर्यादा बनाए रखने के लिए काम करेगा.

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बलबीर गिरि (फाइल फोटो)
बलबीर गिरि (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बाघम्बरी मठ के संचालन के लिए 5 सदस्यों के बोर्ड का होगा गठन
  • निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी ने किया ऐलान

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की मौत के बाद उनके उत्तराधिकारी के रूप में बलवीर गिरि बाघम्बरी मठ की गद्दी संभालेंगे. हरिद्वार में निरंजनी अखाड़े में हुई पंचों की बैठक में यह फैसला लिया गया. इतना ही नहीं बाघम्बरी मठ के संचालन के लिए 5 सदस्यों के बोर्ड का भी गठन किया जाएगा.  

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निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी ने बलबीर गिरि के उत्तराधिकारी बनने की घोषणा की. साथ ही उन्होंने बताया कि 5 सदस्यों के जिस बोर्ड का गठन किया जाएग, वह मठ की मर्यादा बनाए रखने के लिए काम करेगा. 

अगर बलबीर गिरि पर कोई केस हुआ, तो परंपरा के अनुसार होगी कार्रवाई

बलबीर गिरि के ऊपर किसी तरह का कोई आपराधिक मामला होने के सवाल पर स्वामी कैलाशानंद गिरी ने कहा,  अगर ऐसा होता है. या जांच में बलबीर गिरि दोषी पाए जाते हैं, तो परंपरा अनुसार उनपर कार्रवाई की जाएगी. 

5 अक्टूबर को बलबीर गिरि बनेंगे उत्तराधिकारी 

बलबीर गिरि के उत्तराधिकारी बनने के पहले से कयास लगाए जा रहे थे. दरअसल, महंत नरेंद्र गिरि का जो सुसाइड नोट सामने आया है, उसमें बलबीर गिरि का नाम है, इसके अलावा नरेंद्र गिरि ने अपनी वसीयत में भी बलबीर गिरि का नाम लिखा है. निरंजनी अखाड़े के पदाधिकारियों के मुताबिक, पांच अक्टूबर को षोडशी भोज के दिन पंचपरमेश्वर की बैठक के बाद पूरे विधि विधान से बलबीर गिरि का पट्टाभिषेक कर उन्हें बाघम्बरी मठ का उत्तराधिकारी बनाया जाएगा. 

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कौन हैं बलबीर गिरि
 

महंत नरेंद्र गिरि की मौत से पहले बलबीर गिरि का नाम चर्चा में नहीं था. लेकिन महंत नरेंद्र गिरि के 12 पन्ने के सुसाइड नोट में बलबीर गिरि का जिक्र था. उन्हें मठ का महंत और उत्तराधिकारी बनाने की बात कही गई थी. 35 वर्ष के बलबीर गिरि उत्तराखंड के निवासी हैं. साल 2005 में बलबीर गिरि को महंत नरेंद्र गिरि ने दीक्षा दी थी और बलवीर गिरि ने संन्यास धारण कर लिया था. बलवीर गिरि हरिद्वार में बिल्केश्वर महादेव की देखरेख व व्यवस्था देखते थे. 


 

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