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निठारी मामला: सुरेन्द्र कोली का डेथ वारंट जारी, 12 सितंबर को दी जा सकती है फांसी

निठारी हत्याकांड मामले में गाजियाबाद की सेशन कोर्ट ने आरोपी सुरेन्द्र कोली के मौत का फरमान जारी कर दिया है.  बताया जाता है कि फांसी के लिए 12 सिंतबर की ता‍रीख तय की गई है.

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निठारी हत्याकांड मामले में गाजियाबाद की सेशन कोर्ट ने आरोपी सुरेन्द्र कोली के मौत का फरमान जारी कर दिया है. सीबीआई सूत्रों ने बताया कि कोली की मौत की सजा पर अमल के लिए जारी वारंट में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अतुल कुमार गुप्ता ने कहा है कि मामले में दोषी द्वारा सारे कानूनी तरीकों का इस्तेमाल कर चुका है और अब उसे प्राण निकलने तक फांसी पर लटकाया जाना चाहिए. मौत का वारंट यूपी सरकार के पास भेजा गया है. बताया जाता है कि फांसी के लिए 12 सिंतबर की ता‍रीख तय की गई है.

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यूपी सरकार रिम्पा हलदर (14) की नृशंस हत्या मामले में मौत का फरमान जारी होने के बाद 42 वर्षीय कोली को फांसी के लिए आवश्यक तैयारियां पूरी करेगी. कोली को चार अन्य मामलों में मृत्युदंड दिया गया है. कोली गाजियाबाद की जेल में बंद है. सूत्रों ने बताया कि अदालत ने फांसी के लिए 12 सितंबर की तारीख तय की है, लेकिन अंतिम तिथि यूपी प्रशासन के साथ विचार विमर्श कर बदली जा सकती है. केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इससे पहले राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से कोली की दया याचिका खारिज करने की सिफारिश की थी. सिंह ने मंत्री बनने के महज एक महीने बाद यह सिफारिश भेज दी थी.

दूसरी ओर, राष्ट्रपति ने अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए 27 जुलाई को कोली की दया याचिका खारिज कर दी थी. इसी के साथ कोली को फांसी देने की कानूनी प्रक्रिया शुरू करने का रास्ता खुल गया था. हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि कोली को फांसी पर चढ़ाया जायेगा, क्योंकि उसके खिलाफ अभी भी हत्या के 11 मामले लंबित हैं. सीबीआई उसके खिलाफ 16 मामलों में आरोपपत्र दाखिल कर चुकी है, जिसमें उसने बच्चों का कथित यौन शोषण किया और फिर हत्या कर दी थी. यह मामला दिसंबर 2006 में उस समय प्रकाश में आया जब एक लापता लड़की के बारे में पता चला कि उसकी हत्या कोली ने की थी.

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मामले की तफ्तीश के दौरान जांच दल को बच्चों की नृशंस हत्याओं के बारे में पता चला. कोली जिस मकान में घरेलू नौकर की तरह काम करता था, उसके निकट एक नाले से बच्चों के कंकाल बरामद हुए थे. कोली को रिम्पा हलदर की 2005 में हत्या के जुर्म में निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी. बाद में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी सजा की पुष्टि‍ की थी. इसके बाद साल 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को फैसले पर अपनी मुहर लगाई. कोली को सिलसिलेवार हत्यारा करार देते हुए अदालत ने कहा था कि उसके प्रति कोई दया नहीं दिखाई जानी चाहिए.

कोली के खिलाफ 16 मामले दर्ज किए गए. उसके नियोक्ता मोनिंदर सिंह पंढेर को भी रिम्पा हलदर मामले में मौत की सजा सुनाई गई थी, लेकिन इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उसे बरी कर दिया. कोली के खिलाफ दर्ज 16 मामलों में से पांच में उसे फांसी की सजा सुनाई गई है, जबकि शेष अभी विचाराधीन हैं.

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