इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज पलोक बसु की अयोध्या विवाद के सौहार्दपूर्ण समाधान की कोशिशों को तगड़ा झटका लगा है.
उनके संयोजन में पिछले छह महीने से चल रहे हस्ताक्षर अभियान के 4 सूत्री प्रस्ताव पर मुस्लिम समुदाय की सहमति न मिल पाने के कारण 10 हजार दस्तखत को रविवार को अधिग्रहीत परिसर के रिसीवर व फैजाबाद के कमिश्नर को नहीं सौंपा जा सका.
अयोध्या मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष सादिक अली उर्फ बाबू खां ने रविवार को तुलसी स्मारक भवन में हुई समाधान समिति की बैठक में ही मौजूदा प्रस्ताव पर मुस्लिम समुदाय के अधिकांश लोगों द्वारा हस्ताक्षर न करने पर दुख जताया. न्यायमूर्ति बसु बीते ढाई साल से अयोध्या विवाद के समाधान के लिए कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने मंदिर-मस्जिद विवाद के सभी पक्षों से कई बार मिलकर सहयोग की मांग की.
बाबरी मस्जिद के मुद्दई हाशिम अंसारी व हाजी महबूब, राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास, निर्मोही अखाड़ा के वकील आरएल वर्मा से लगातार चर्चा के बाद इस तरह मुस्लिम समुदाय के हाथ खड़ा करने से उनकी कोशिशों को बड़ा झटका लगा है. समाधान समिति की अगली बैठक आगामी 8 फरवरी को बुलाई गई है.
समाधान समिति के प्रवक्ता ज्ञान प्रकाश श्रीवास्तव ने बताया कि हस्ताक्षर अभियान के एक प्वाइंट पर मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों की असहमति सामने आई है. इससे प्रयासों में बाधा आई है, लेकिन अभी भी उम्मीद बरकरार है.