गोरखपुर ऑक्सीजन कांड में निलंबित डॉक्टर कफील खान को फिलहाल क्लीन चिट नहीं मिली है. सरकार ने पत्र जारी कर इसकी सूचना दी है. उन पर लगे 4 आरोपों में से 2 सही पाए गए हैं. उन पर फैसला लिए जाने की कार्यवाही अभी प्रक्रिया में है. साथ ही उनके खिलाफ अनुशासनहीनता की कार्यवाही भी चल रही है.
डॉ. कफील खान यह बताने में पूरी तरह असमर्थ रहे कि 23 अप्रैल 2013 के नियुक्ति आदेश में यह स्पष्ट किया गया था कि वह प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं करेंगे फिर कैसे मेडस्प्रिंग हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर गोरखपुर में साल 2014 में उनका नाम बतौर डॉक्टर के रूप में अंकित था.
डॉ. कफील पर निजी नर्सिंग होम का संचालन करने और प्राइवेट प्रैक्टिस में संलिप्त होने के आरोप थे जो जांच में सही पाए गए. वहीं निलंबन के बावजूद डॉ कफील 22 सितंबर 2018 को जबरन मरीजों का इलाज करने के लिए जिला अस्पताल बहराइच में घुस गए थे. साथ ही उनके द्वारा सरकार विरोधी राजनीतिक बयानबाजी भी की गई.
सरकार की ओर से जारी किया गया पत्र
वहीं दो आरोप जो गलत पाए गए, उनमें से एक ऑक्सीजन की कमी के बारे में सूचित नहीं करने का था. उनके खिलाफ घटना के समय मौजूद होने के बावजूद उच्च अधिकारियों को ऑक्सीजन गैस की कमी होने के बारे में सूचित न करने का आरोप था. यह आरोप सही नहीं पाया गया. इसके अलावा उन पर बाल रोग जैसे संवेदनशील विभाग में दी जाने वाली सुविधाएं, स्टॉफ का प्रबंधन न किए जाने का आरोप था, जो जांच में सिद्ध नहीं पाया गया.
बता दें उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में अगस्त 2017 में ऑक्सीजन की कमी के कारण 60 बच्चों की मौत हो गई थी, जिसके बाद इस मामले में डॉक्टर कफील को सस्पेंड कर दिया गया था.