अपनी बीवी को केवल इसलिए तलाक दे देना कि उसने एक लड़की को जन्म दिया, इस्लाम में हराम है. दारुल उलूम देवबंद ने एक फतवा जारी करके बेटी पैदा होने के बाद एक मर्द द्वारा फोन पर अपनी बीवी को तलाक देना अनुचित बताया है.
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के एक गांव में ये घटना दो दिन पहले सामने आई. जब सऊदी अरब के रियाद में काम करने वाले एक शख्स ने चौथी बेटी के जन्म पर अपनी बीवी को फोन पर तलाक दे दिया . ये व्यक्ति बेटा पैदा होने की उम्मीद लगाए बैठा था.
दारुल उलूम के मौलाना मुफ्ती आरिफ कासमी ने कहा कि ये फतवा उस सार्वभौमिक सत्य की रोशनी में दिया गया है कि महिला का लड़के या लड़की के जन्म के लिए जिम्मेदार नहीं होती. ये साफ तौर पर अस्वीकार्य है कि कोई व्यक्ति लड़की के जन्म पर इस तरह फोन पर अपनी बीवी को तलाक दे दे.
ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि पंचायत तथ्यों को स्वीकार नहीं कर रही है और उसने प्रकृति के कानून के खिलाफ अपना फरमान सुना दिया गया है. कोई भी धार्मिक तर्क किसी भी व्यक्ति के इस कदम को सही नहीं ठहरा सकता.