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नोएडा: 81 गांवों के किसानों की चेतावनी, रिहा किए जाएं गिरफ्तार प्रदर्शनकारी, नहीं तो तेज होगा प्रदर्शन

नोएडा के 81 गांवों के किसान विकास प्राधिकरण का विरोध कर रहे हैं. पुलिस प्रशासन उन्हें उन्हें रोक दे रही है, वहीं कई नेताओं को हिरासत में लिया जा रहा है. किसान नेताओं के साथ सपा नेता सुनील चौधरी भी गिरफ्तार हो गए हैं.

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किसानों ने सौंपा ज्ञापन.
किसानों ने सौंपा ज्ञापन.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • किसानों का जारी है विरोध प्रदर्शन
  • विकास प्रधिकरण के खिलाफ 81 गांव
  • किसान नेताओं की हो रही है गिरफ्तारी
  • गिरफ्तारी पर फूटा किसानों का गुस्सा

नोएडा के 81 गांवों के किसान नोएडा विकास प्राधिकरण के खिलाफ हल्ला बोल रहे हैं. किसान प्राधिकरण की ओर कूच करना चाह रहे हैं लेकिन उन्हें पुलिस हर बार रोक दे रही है. विरोध प्रदर्शन तेज होने पर कई किसान नेताओं को हिरासत में लिया गया है. वहीं समाजवादी पार्टी (SP) के नेता सुनील चौधरी को गिरफ्तर कर लिया गया है.

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किसानों की गिरफ्तारी के खिलाफ भारतीय किसान संघ और सपा कार्यकर्ताओं ने सिटी मजिस्ट्रेट के कार्यालय पर नारेबाजी की. किसानों ने राज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम पर ज्ञापन भी सौंपा है. किसान नोएडा विकास प्राधिकरण के दफ्तर का घेराव करना चाहते हैं लेकिन पुलिस उन्हें बैरिकेडिंग लगाकर रोक दे रही है.

किसान संगठनों का आरोप है कि पुलिस ने नोएडा विकास प्राधिकरण का विरोध कर रहे लगभग 100 किसानों को गिरफ्तार किया है. किसानों की लगातार हो रही गिरफ्तारी पर भड़के किसानों ने सीएम योगी और राज्यपाल के नाम का ज्ञापन देते हुए चेतावनी दी है कि अगर किसानों को रिहा नहीं किया जाता है तो आंदोलन तेज कर दिया जाएगा. 

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अगर रिहा नहीं हुए किसान तो तेज होगा प्रदर्शन!

किसान संगठनों ने साफ ऐलान किया है कि अगर गिरफ्तार किसानों और नेताओं को रिहा नहीं किया जाता है कि मंगलवार को किसान सड़कों पर उतरेंगे और भारी विरोध प्रदर्शन दर्ज कराएंगे. 81 गांवों के किसान पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन करने को तैयार बैठे हैं. ऐसे में पुलिस पर भी दबाव बढ़ना स्वाभाविक है.

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नोएडा विकास प्राधिकरण के खिलाफ जारी है विरोध प्रदर्शन.

क्या है किसान संगठनों की मांग?

किसान संगठनों की 4 मुख्य मांगें हैं. पहली मांग यह है कि नोएडा के 81 गांवों के सभी किसानों को 10 फीसदी वाले प्लाट दिए हैं. दूसरी मांग है कि प्राधिकरण गांव में नक्शा नीति न लागू करे. तीसरी मांग यह है कि गांवों से कॉमर्शियल एक्टिविटी बंद करने का आदेश न जारी किया जाए, जिससे खेती से दूर किसानों अपने लिए रोजगार पैदा कर सकें. किसानों की चौथी और अंतिम मांग है यह है कि गांव में किसी मकान को अवैध निर्माण बताकर न तोड़ा जाए.

 

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