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एक काली शाम ने डॉक्टर को बना दिया 'ट्रैफिक मैन', कसम और ताने भी ना रोक पाए कदम

डॉक्टर का नाम है कृष्ण यादव जोकि नोएडा के अलग-अलग चौराहों पर ट्रैफिक मेंटेन करते हैं. डॉक्टर साहब पार्ट टाइम ये काम कर रहे हैं. सवाल उठता है कि डॉक्टर के साथ ऐसा क्या हुआ जिसने उन्हें ट्रैफिक मैन बनने पर मजबूर कर दिया. ये जानने के लिए आपको 11 साल पीछे चलना होगा.

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लोगों को जागरूक करते डॉ. कृष्ण यादव
लोगों को जागरूक करते डॉ. कृष्ण यादव

यूपी के नोएडा में एक डॉक्टर सुर्खियों में है. इसकी वजह है उनका सड़क पर दौड़ती गाड़ियों के बीच लाउडस्पीकर लेकर लोगों को सचेत करना. डॉक्टर का नाम है कृष्ण यादव. जोकि आपको हर रोज 2 से 3 घंटे सुबह और शाम को नोएडा के अलग-अलग चौराहों पर ट्रैफिक मेंटेन करते दिखाई पड़ जाएंगे. ऐसा नहीं है कि डॉक्टर साहब की डॉक्टरी नहीं चल रही तो वो पार्ट टाइम ये काम कर रहे हैं. फिर सवाल उठता है कि डॉक्टर के साथ ऐसा क्या हुआ जिसने उन्हें ट्रैफिक मैन बनने पर मजबूर कर दिया. ये बताने के लिए हम आपको 11 साल पीछे ले चलते हैं.

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डॉक्टर कृष्ण यादव बताते हैं "बात 29 अक्टूबर साल 2011 की है. शाम को वह अपने क्लीनिक से घर जा रहे थे. लेकिन रास्ते में बहुत जाम लगा था. उन्होंने देखा कि जाम में एक एंबुलेंस फंसी हुई है, जिसके अंदर मरीज भी है, उन्होंने बहुत कोशिश की लेकिन एंबुलेंस ट्रैफिक से नहीं निकल पाई. अगले दिन उन्होंने अखबार में खबर पढ़ी कि ट्रैफिक जाम में फंसी एंबुलेंस में मरीज मौत हो गई. इस बात ने उन्हें झकझोरकर रख दिया". उसी दिन उन्होंने ठान लिया कि अब वह किसी एंबुलेंस को ट्रैफिक जाम में फंसने नहीं देंगे".

'बेटी ने ये काम ना करने की कसम दी'
डॉक्टर साहब बताते हैं, "जब उन्होंने यह काम करना शुरू किया तो पहली लड़ाई उनके घर से शुरू हुई. पत्नी, बेटी और सभी ने इस काम को करने से रोका. कहा गया कि सड़क पर यह काम करोगे तो अच्छा लगेगा? बेटी ने उन्हें कसम तक दी कि ' ये काम मत करिए, इससे आपकी जान को खतरा भी है, लेकिन कृष्ण यादव कहते हैं कि उन्होंने अपने बच्चों को समझाने की कोशिश की और धीरे-धीरे वह समझते गए और मुझे मेरे काम में सपोर्ट करते गए. आज उनका सबसे छोटा बेटा कहता है कि पापा मेरे ही स्कूल में आकर बच्चों को ट्रैफिक रूल्स की टीचिंग देते हैं, यह मेरे लिए गर्व की बात है.

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Noida doctor krishna yadav
लोगों को जागरूक करते डॉ. कृष्ण यादव

'चल-चल आगे बढ़..'
कृष्ण यादव बताते हैं किसी भी सड़क पर ट्रैफिक संभालना आसान काम नहीं है. वह भी तब जब आपके पास ट्रैफिक पुलिस की वर्दी ना हो. कई लोग आपको पसंद करते हैं आप की तारीफ करते हैं. लेकिन कई लोग बदतमीजी से भी बात करते हैं. मेरे साथ ऐसा कई बार हुआ है जब किसी को ट्रैफिक रुल्स के बारे में समझाने की कोशिश की तो उन्होंने मुझे 'चल चल चल आगे चल' बोलकर भगा दिया.

महिला ने कहा 'तुम्हारी नीयत में खोट है''
डॉ. कृष्ण कुमार बताते हैं एक बार उन्होंने नोटिस किया कि एक महिला कभी भी कार में बेल्ट लगाकर नहीं बैठती थी. उस महिला को उन्होंने कई दिन टोका, लेकिन महिला को यह बात बुरी लगी. 1 दिन झगड़ा करने लगी और कहा कि आप रोज-रोज मुझे ही क्यों रोकते हैं. आपकी नियत में जरूर कोई खोट है. डॉक्टर कृष्ण बताते हैं कि उस स्थिति को संभालना बहुत मुश्किल था. मैंने बिना कुछ कहे उनके हाथ जोड़ लिए और वहां से चला गया।

डॉक्टर कृष्ण कहते हैं कि यह काम आसान नहीं है, हालांकि अब शहर के लोग भी जाने लगे हैं. अधिकतर लोग तारीफ करते हैं और मुझे देखकर ट्रैफिक नियमों का पालन भी करने लगते हैं.

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