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CBSE रिजल्ट से पहले हो गई मौत, तीन विषयों में आए 95 से ज्यादा नंबर

स्टीफन हॉकिंग्स को आदर्श मानने वाले विनायक श्रीधर मरने से पहले तीन ही सब्जेक्ट्स के एग्जाम दे पाए. बाकी दो सब्जेक्ट्स में बैठने से पहले ही जिंदगी ने उनका साथ छोड़ दिया. उनके इंग्लिश में 100, साइंस में 96 और संस्कृत में 97 मार्क्स आए. वह सोशल साइंस और कंप्यूटर साइंस के एग्जाम नहीं दे पाए.

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सीबीएसई की बिल्डिंग
सीबीएसई की बिल्डिंग

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जिंदगी पर किसी का बस नहीं चलता. ऐसा ही हुआ एक लड़के के साथ, जिसने मौत से पहले सीबीएसई दसवीं की परीक्षा में तीन सब्जेक्ट्स का एग्जाम दिया और उन सभी में 95 से ज्यादा मार्क्स हासिल किए. स्टीफन हॉकिंग्स को आदर्श मानने वाले विनायक श्रीधर मरने से पहले तीन ही सब्जेक्ट्स के एग्जाम दे पाए.

बाकी दो सब्जेक्ट्स में बैठने से पहले ही जिंदगी ने उनका साथ छोड़ दिया. उनके इंग्लिश में 100, साइंस में 96 और संस्कृत में 97 मार्क्स आए. वह सोशल साइंस और कंप्यूटर साइंस के एग्जाम नहीं दे पाए. दरअसल दो साल की उम्र से विनायक मस्कुलर डिस्ट्रॉफी नाम की बीमारी से पीड़ित थे. इसमें मांसपेशियों का विकास रुक जाता है और वह सिकुड़ने लगती हैं. इससे शरीर के अंग बेहद कमजोर हो जाते हैं. यह बीमारी डिस्ट्रोफिन की कमी के कारण होती है, जो एक तरह का प्रोटीन होता है. यह मांसपेशियों को सही काम करने में मदद करता है.

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करना चाहते थे टॉप

विनायक 10वीं की परीक्षा में टॉप करना चाहते थे. एस्ट्रोनॉट बनना और रामेश्वरम घूमना उनकी ख्वाहिश थी, जो अधूरी ही रह गई. वह नोएडा के एमिटी इंटरनेशनल स्कूल के छात्र थे. सीबीएसई 10वीं के नतीजे सोमवार को घोषित किए गए थे. उनकी मां ममता ने बताया, "विनायक कहता था कि तमाम मुश्किलों के बावजूद वह एस्ट्रोनॉट बनना चाहता है. वह कहता था कि अगर स्टीफन हॉकिंग्स ऑक्सफोर्ड में पढ़ाई और कॉस्मोलॉजी में नाम कमा सकते हैं तो मैं भी स्पेस में जा सकता हूं. उसे पूरी उम्मीद थी कि वह टॉप जरूर करेगा.'' उनकी मां से बताया कि उसके विश्वास को देखकर हम दंग रह जाते थे और उसे हमेशा प्रेरित करते थे.

मां बोली- ऊंचे थे सपने

ममता ने आगे बताया, ''मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के कारण उसकी मांसपेशियों का विकास रुक गया था. वह धीरे-धीरे लिख पाता था. चूंकि एग्जाम 3 घंटे का होता है इसलिए इंग्लिश और साइंस के एग्जाम के लिए उसने एक स्क्राइब  (राइटर) की मदद ली. संस्कृत का पेपर उसने खुद लिखा.'' उनकी मां ने बताया कि शारीरिक गतिविधि रुकने के कारण वह ज्यादातर व्हीलचेयर पर ही रहता था. लेकिन उसके सपने बहुत बड़े थे. एग्जाम खत्म होने के बाद वह रामेश्वरम मंदिर जाना चाहता था.

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