नोएडा स्थित सुपरटेक ट्विन टावर को गिराने की कार्रवाई 21 अगस्त की बजाय अब 28 अगस्त से शुरू की जाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने विशेषज्ञों की रिपोर्ट पर अपनी मुहर लगा दी है. इसे ब्लास्ट करके गिराया जाएगा. प्रशासन ने सुपरटेक ट्विन टावर को गिराने की पूरी तैयारी कर ली है.
इसको लेकर नोएडा अथॉरिटी की ओर से शीर्ष अदालत में स्टेट रिपोर्ट जमा की गई है. इसमें बताया गया है कि विध्वंस से पहले कुछ और काम की आवश्यकता है और अब विध्वंस की तारीख 28 अगस्त होनी चाहिए. इसके लिए अथॉरिटी ने मौसम के साथ अन्य और कारकों को ध्यान में रखते हुए सात दिन का समय मांगा है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, ट्विन टावर को गिराने की कार्रवाई 4 सितंबर तक चलेगी.
न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की पीठ ने नोएडा के स्टेटस रिपोर्ट पर सहमति जताई. साथ ही 28 अगस्त को विध्वंस में अगर देरी आती है तो 29 अगस्त से 4 सितंबर तक का समय दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षा उपायों पर नोएडा अथॉरिटी, सीबीआरआई, डेवलपर सुपरटेक, डिमोलिशन फर्म एडिफिस इंजीनियरिंग और उसके दक्षिण अफ्रीकी पार्टनर जेट डिमोलिशन सहित सभी हितधारकों के प्रस्ताव को पढ़ने के बाद नई तारीख तय की गई.
एडिफिस कंपनी को दी गई है जिम्मेदारी
नोएडा के सेक्टर 93A में स्थित सुपरटेक के अवैध ट्विन टावर को 28 अगस्त को गिराए जाने का आदेश हुआ है. सुपरटेक टावर को सुरक्षित तौर पर गिराने की जिम्मेदारी एडिफिस इंजीनियरिंग को दी गई है. एडिफिस ने केरल के कोच्चि में भी अदालत के आदेश पर पर्यावरण के नियमों की अवहेलना करके बनाई गई बहुमंजिला इमारत को ढहाया है. दिल्ली-एनसीआर में यह पहली बार होगा जब किसी गैर कानूनी निर्माणाधीन बहुमंजिला इमारत को अदालत के आदेश पर विस्फोट के जरिए गिराया जाएगा.
दोनों टावर में विस्फोटक लगाने के दिए गए थे आदेश
बता दें कि 2 अगस्त से लेकर 20 अगस्त तक दोनों टावर में विस्फोटक लगाने के आदेश दिए गए थे. इसके लिए बकायदा दोनों टावर के अलग-अलग फ्लोर के पिलर में 10 हजार सुराख किए गए हैं. 20 अगस्त तक इन सभी सुराखों में 3700 किलो विस्फोटक भरा जाना था और 21 अगस्त को ट्विन टावर को गिराने की तारीख तय की गई थी. इससे पहले 1 अगस्त को ट्विन टावर ढहाने के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दोबारा याचिका लगाई गई थी. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने PIL को खारिज करते हुए इसे बेमतलब की याचिका बताया था और याचिका लगाने वालों पर 5 लाख का जुर्माना भी लगाया था.