नोएडा में ट्विन टावर ध्वस्तीकरण की तारीख नजदीक आ गई है. इसी महीने की 28 तारीख को इन टावर को गिराया जाना है, प्रशासन ने इसकी लिए चाक-चौबंद तैयारियां कर ली हैं. लेकिन टावर गिरने की जद में आने वाले फ्लैट और उसमें रहने वाले परिवारों को एक डर सता रहा है कि ध्वस्तीकरण के बाद जब वो अपने घर में वापस लौटेंगे तो क्या सब कुछ सही सलामत मिलेगा? उनका कहना है कि उनके फ्लैट का इंश्योरेंस तो सुपरटेक ने कराया है, लेकिन घर में मौजूद सामान का क्या होगा?
बिल्डर ने फ्लैट बेचकर पैसे बना लिए
ट्विन टावर ध्वस्तीकरण के बेहद नजदीक करीब डेढ़ सौ फ्लैट ऐसे हैं जो महज 9 मीटर से करीब 30 मीटर के दायरे में आते हैं. ऐसे में इनको सबसे ज्यादा नुकसान झेलना पड़ सकता है. इन्हीं फ्लैट में रहने वाले परिवार वालों में से एक एमराल्ड कोर्ट सोसायटी की निवासी मोनिका ने बताया, कि सुपरटेक ने तो हमें यह फ्लैट बेच कर अपने रुपये बना लिए, लेकिन नई मुसीबत हमारे लिए खड़ी करके चला गया. बिल्डर ने तो हमें फ्लैट बेच कर अपने पैसे बना लिए. अभी जो दुख हम झेल रहे हैं, उसे बयां भी नहीं कर सकते.
कितना सामान पैक करके ले जाएं?
एमराल्ड कोर्ट की ही निवासी सोनिया का कहना है कि सुपरटेक ने हमारे सिर्फ फ्लैट का इंश्योरेंस कराया है, लेकिन हमारे घर में जो सामान है वह टूटेगा और बिखरेगा उसके बारे में इन्होंने नहीं सोचा. घर की खिड़की का शीशा भी साबुत नहीं बचेगा. हम ज्यादा से ज्यादा क्या ले जा सकते हैं टीवी, फ्रीज, ट्यूबलाइट, पंखे, वॉशिंगमशीन, लेकिन जो घर में और भी बहुत सारा सामान होता, क्या-क्या पेक करेंगे. इनकी हम पैकिंग कर रहे हैं, उन्हें उठाकर बालकनी में रख जाएंगे. ध्वस्तीकरण के बाद जब हम वापस लौटेंगे तो यहां धूल के अंबार लगे होंगे.
अपने घर का सपना होगा चूर
नोएडा सेक्टर 93ए में मौजूद ट्विन टावर को ढहाने के साथ ही, देश में अब तक 32 माले की इमारत को गिराने का ये पहला वाकया होगा. सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि इतने बड़े ध्वस्तीकरण को चाक-चौबंद सुरक्षा में कैसे अंजाम दिया जाएगा. इन टावरों के साथ सैकड़ों बायर्स का अपने आशियाने का सपना भी ध्वस्त हो जाएगी. आर्मी अफसर, जवान, चार्टड अकाउंटेंट, बिजनेसमैन, प्राइवेट कंपनियों के अधिकारी और रिटायर्ड लोगों ने सुपर टेक ट्विन टावर में अपने पूरे जीवन की जमा पूंजी लगा दी, लेकिन वो किराए पर रहे, घर की किस्तें भरी और अब भी घर का सपना अधूरा ही रहा.
हर कदम पर मिला धोखा
पेशे से चार्टर अकाउटेंट के. के. मित्तल फिलहाल पुणे में हैं, लेकिन ट्विन टावर में बुक फ्लैट का पूरा पेमेंट उन्होंने 2009 में ही कर दिया था. 2014 में इलाहाबाद हाइकोर्ट ने इन टावर को ध्वस्त करने का आदेश देते हुए बायर्स को 14 प्रतिशत के हिसाब से ब्याज और मुआवजा देने को भी कहा है, लेकिन बिल्डर ने इस पर सुप्रीम कोर्ट से स्टे ले लिया है. बायर्स ने अर्जी लगाई की उन्हें उनके पैसे लौटाएं या नए फ्लैट दिए जाएं. बदले में सुपरटेक बिल्डर ने फ्लैट भी अलॉट कर दिया. बकौल मित्तल नोएडा सेक्टर 34 के अजोर हाइट में फ्लैट देते वक्त बिल्डर की तरफ से कहा गया कि ये अप्रूव्ड प्रोजेक्ट है. नोएडा अथॉरिटी इसका ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (ओसी) भी दे चुकी है. इमारत की 23वीं मंजिल पर फ्लैट पाकर मित्तल को लगा कि मामला सैटल हो गया लेकिन बाद में पता लगा कि वो फ्लैट भी गैर-कानूनी है. लोगों ने ओसी के बिना ही टावर्स को ऑक्युपाई कर लिया. अब इन फ्लैस्ट्स की रजिस्ट्री नहीं हो रही.