राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने कहा कि मंदिर निर्माण का कुछ काम लार्सन एंड टुब्रो को दिया जाएगा, लेकिन क्या क्या काम दिया जाए, यह ट्रस्ट तय करेगा. उन्होंने बताया कि अयोध्या दौरे के दौरान नेशनल बिल्डिंग कॉरपोरेशन के एक विशेषज्ञ भी साथ आए थे. उन्होंने भी राम मंदिर स्थल का निरीक्षण किया. नृपेंद्र मिश्रा ने कहा कि राम मंदिर निर्माण का काम तो लगभग शुरू हो चुका है. 3 या 4 मार्च को ट्रस्ट की बैठक होगी या नहीं, मुझे मालूम नहीं.
कहा जा रहा है कि राम मंदिर निर्माण में भारत की मल्टी नेशनल कंपनी लार्सन एंड टुब्रो भी शामिल रहेगी. बताया यह भी जा रहा है कि कंपनी ने इसके लिए सहमति भी दे दी है. हालांकि, इसके लिए अयोध्या तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट या केंद्र सरकार द्वारा कोई टेंडर नहीं निकाला गया है. ना ही ऐसे किसी पेपर पर कंपनी की तरफ से कोई हस्ताक्षर ही हुए हैं, लेकिन कहा जा रहा है कि इसके बावजूद राम मंदिर निर्माण के लिए कंपनी और ट्रस्ट के बीच सहमति बन गई है.
ये भी पढ़ेंः क्या लार्सन एंड टुब्रो करेगी अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण?
यह भी तय हो गया है कि अयोध्या में बनने वाला राम मंदिर विहिप के मॉडल पर ही बनेगा. ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय के साथ-साथ राम मंदिर आंदोलन से अपनी राजनैतिक पारी शुरू करने वाले बीजेपी नेता विनय कटियार का भी कहना है कि किसी नए मॉडल पर मंदिर बनने का विचार होगा तब 25 साल से भी अधिक समय मंदिर बनाने में ही लग जाएगा.
ये भी पढ़ेंः ...तो ठेके से नहीं, भक्ति भाव की नींव पर बनेगा अयोध्या में राम मंदिर!
लार्सन एंड टुब्रो के साथ जाने के पीछे की एक बड़ी वजह यह है कि जिस वक्त मंदिर निर्माण की बात 90 के दशक में चल रही थी, तब अशोक सिंघल ने इस कंपनी से संपर्क साधा था. कानूनी विवादों की वजह से कोई बात आगे नहीं बढ़ी थी, लेकिन अब जब तमाम बाधाएं दूर हो चुकी हैं, तो अब यह माना यह जा रहा है कि कंपनी खुद ही उस बातचीत के आधार पर मंदिर बनाने की इच्छुक है.