सरकारी बिजली कंपनी एनटीपीसी (नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन) ने उत्तर प्रदेश के दादरी में मोहम्मद अखलाक की हत्या के आरोपियों को नौकरी देने की खबरों का खंडन किया है. एनटीपीसी ने कहा कि उसने अखलाक हत्याकांड के आरोपियों को नौकरी नहीं दी है. इससे पहले मीडिया में खबरें आई थीं कि अखलाक हत्याकांड के 15 आरोपियों को स्थानीय विधायक के कहने के बाद कॉन्ट्रैक्ट पर नौकरी मिल गई है.
28 सितंबर, 2015 में दादरी के बिसाहड़ा गांव में गोमांस रखने के आरोप में मोहम्मद अखलाक नाम के शख्स की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी. एनटीपीसी के दादरी संयंत्र ने बयान में कहा, 'एनटीपीसी दादरी प्रबंधन अखलाक हत्याकांड के आरोपियों को एनपीटीसी दादरी में अनुबंध पर रखे जाने की खबरों का खंडन करता है. इस तरह की मीडिया रपट गलत और आधारहीन है.'
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक कंपनी ने कहा है कि आरोपियों को नौकरी देने के लिए कोई समझौता नहीं किया गया है और ना ही उन्हें रोजगार दिया गया है. साथ ही एनटीपीसी ने बताया कि वह अपनी कॉरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी नीति के तहत, अपने संयंत्र के पास बसे समुदाय के विकास और उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है.
इससे पहले खबर आई थी कि मोहम्मद अखलाक की हत्या के आरोपी पंद्रह युवकों को नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन (NTPC) लिमिटेड में कॉन्ट्रैक्ट पर नौकरी मिली है. साथ ही, इसमें बीजेपी विधायक तेजपाल सिंह नागर ने 9 अक्टूबर को NTPC के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर इन युवकों की भर्ती में मदद की. अब एनटीपीसी ने नौकरी देने की खबर को गलत बताया है.
अखलाक की हत्या मामले में कुल 18 लोग पर आरोप लगे हैं, जिनमें तीन नाबालिग शामिल हैं. आज भी इस बात पर संशय कायम है कि मोहम्मद अखलाक के घर में मिला मांस का टुकड़ा बीफ था या मटन. इस मामले में यूपी पुलिस की शुरुआती जांच रिपोर्ट में उसे मटन बताया गया था. लेकिन इसी बीच मथुरा के फॉरेंसिक लैब से आई रिपोर्ट में कहा गया कि अखलाक के घर मिला मांस गोमांस ही था. इसके बाद यूपी पुलिस ने बताया कि उन्हें अखलाक के परिवार द्वारा गोकशी करने का कोई प्रामाणिक सबूत नहीं मिला.