सुप्रीम कोर्ट में बाबरी मस्जिद केस में सबसे पुराने वादी रहे मोहम्मद फारूक का 100 साल की उम्र में देहांत हो गया. फारूक ने गुरुवार शाम को अंतिम सांस ली. अयोध्या में विवादित स्थल के नजदीक ही एक कब्रिस्तान में उन्हें दफनाया गया.
फारूक के पिता मोहम्मद जहूर दिसंबर, 1949 में बाबरी मस्जिद में भगवान राम की मूर्तियां रखे जाने संबंधी मामले में मूल शिकायकर्ता में से एक थे. यूपी के अतिरिक्त महाधिवक्ता और बाबरी मस्जिद कार्य समिति के संयोजक जफरयाब जिलानी ने कहा कि फारूक के देहांत के बाद उनके सबसे बड़े पुत्र मोहम्मद सलीम मामले में अपने पिता की जगह वादी बन सकते हैं.
फारूक मामले में मुस्लिम पक्ष के सात मुख्य वादियों में एक थे. अब, मामले के अन्य छह वादियों में हाशिम अंसारी, अशाद राशिदी, मौलाना महफूजुरूर रहमान, मुफ्ती हसबुल्ला, महमूद और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड हैं.
फारूक के पांचों बेटे खड़ाऊं बनाते हैं, जिसे मंदिरों में पूजा के दौरान साधु और महंत पहनते हैं. इन खड़ाऊं को अयोध्या के कई मंदिरों में भेजा जाता है.
---इनपुट भाषा से