राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले के सबसे उम्रदराज याचिकाकर्ता हाशिम अंसारी इस विवाद को सुलझाने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं. सोमवार को उन्होंने हनुमान गढ़ी के महंत ज्ञानदास से मुलाकात की और कोर्ट के बाहर ही इस मामले को सुलझाने की इच्छा जाहिर की. माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद ही दोनों याचिकाकर्ताओं ने इस मुद्दे को कोर्ट के बाहर सुलझाने की पहल की है.
दास ने कहा, 'हमने पहल कर दी है, चीजें सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ेंगी तब ही मोदी जी से मुलाकात करेंगे.' उन्होंने दावा किया कि विश्व हिंदू परिषद जैसी संस्थाओं के नेता इस पूरी प्रक्रिया में शामिल नहीं रहेंगे. उन्होंने वीएचपी नेता अशोक सिंघल से तल्खी जाहिर करते हुए कहा, 'सिंघल सब बकवास हैं, उसको नहीं रखेंगे.' ज्ञानदास हनुमान गढ़ी के प्रमुख महंत हैं और साथ ही 'ऑल इंडिया अखाड़ा परिषद' के मुखिया भी हैं.
हाशिम अंसारी के बारे में दास ने कहा, 'मैं उनसे मिला हूं और हम कोर्ट के बाहर ही मामला सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं. फिलहाल कुछ बातों पर असमंजस की स्थिती है. हाशिम जी मुझसे मिले हम दोनों में काफी अच्छी बात हुई है. अगर वीएचपी को इस मामले से अलग कर दिया जाए तो यह मामला सुलझ सकता है.' उन्होंने कहा कि अंतिम निर्णय पर पहुंचने से पहले इस मामले में शामिल सभी पक्षों जैसे निर्मोही अखाड़ा और हिंदू महासभा से भी विचार-विमर्श किया जाएगा.
सूत्रों के मुताबिक विवादित भूमि पर मस्जिद और मंदिर दोनों बनाने का प्रस्ताव है. दोनों के बीच 100 फीट की दूरी होगी. गौरतलब है कि 30 सितंबर 2010 को हाईकोर्ट ने भी कुछ ऐसा ही फैसला सुनाया था. दास कहते हैं कि जब तक अंतिम निर्णय नहीं हो जाता तब तक कुछ भी कहा नहीं जा सकता. वही हाशिम अंसारी ने कहा, 'यह मसला यही तय होगा जो महंत जी कहेंगे वही होगा. अब हम मुसलमानो का कोई फैसला ही नहीं मानेगे जो महंत जी कहेंगे वही होगा. चाहे हिंदूओं का लीडर हो या मुसलमानों का अब फैसला महंत जी के साथ मिलकर ही होगा. वो कहेंगे तो मैं उनके साथ मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री से भी मिलने चलूंगा.'
हाशिम अंसारी के बेटे इकबाल अंसारी ने इस मामले पर कहा, ' मेरे पिता ने महंत ज्ञानदास से मुलाकात की है. हमने अदालत के बाहर मामला सुलझाने की संभावनाओं पर बात की. हम देश की एकता के लिए समझौते को तैयार हैं.' गौरतलब है कि पिछले साल दिसंबर में हाशिम अंसारी ने इस मामले से खुद को अलग करने की इच्छा जताई थी. इसके बाद उन्होंने घोषणा की थी कि यह मामला अब उनकी जगह उनका बेटा इकबाल संभालेगा.
इकबाल अंसारी ने दावा किया कि अदालत के बाहर मामला सुलझाने की पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद शुरू हुई है. इकबाल ने कहा, महंत ज्ञानदास प्रधानमंत्री जी से मुलाकात का समय मांगेंगे और उसके बाद हम उनसे मिलने जाएंगे. हम इस मामले को भाईचारे के साथ निपटाना चाहते हैं. बाबरी-रामजन्मभूमि केस की फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. हाशिम अंसारी के अलावा इस मामले में छह और पक्ष जिसमें सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड भी शामिल है.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ से इस मामले के वकील जाफरयाब जिलानी ने कहा है कि अंसारी के फैसले से इस मामले पर कोई असर नहीं पड़ने वाला. उन्होंने कहा, 'इस केस में 8 अपील मुस्लिमों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है. इनमें से दो हाशिम अंसारी की हैं . इसके अलावा भी छह अपील हैं, इसलिए अंसारी से इस मामले को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला.'