मथुरा हिंसा की वजहों और इस ओर सरकार की लापरवाही पर 'आज तक' के स्टिंग 'ऑपरेशन मथुरा' को लेकर सियासी महकमे में हलचल बढ़ गई है. यही नहीं, इंटेलिजेंस के इनपुट और जवाहरबाग में हथियारों की मौजूदगी के खुलासे के बाद कानून के सिपहसलारों की पेशानी पर भी बल आ गए हैं.
हिंसा के बाद मथुरा के नवनियुक्त एसएसपी बबलू कुमार ने शुक्रवार को कहा कि पुलिस स्टिंग में दिखाए गए तथ्यों की पड़ताल में जुट गई है. उन्होंने कहा, 'जवाहरबाग में ट्रेनिंग की बात हमारे भी सुनने में आई हैं. लेकिन वैरिफाई करने के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा. जांच चल रही है. अहम सुराग मिले हैं. जल्दी ही इस ओर जांच के बाद खुलासा होगा.'
एसएसपी ने जांच के बारे में बताते हुए आगे कहा कि क्राइम सीन को रिक्रिएट किया जा रहा है. जवाहरबाग के चारों ओर लगे मोबाइल टावर्स से आने-जाने वाली कॉल्स भी खंगाले जा रहे हैं. जल्दी ही इसका नतीजा सामने आएगा.
'फौजी ट्रेनिंग की भी जांच हो रही है'
बबलू कुमार ने कहा, 'हमें यह भी पता चला है कि वहां फौजी ट्रेनिंग दी जाती थी, लेकिन इन सब बातों का वैरिफिकेशन करवाया जा रहा है. सर्च ऑपेरशन के दौरान कई मोबाइल मिले हैं. कुछ जले हुए हैं. सबकी जांच और सिम की पड़ताल चल रही है.
इंटेलिजेंस ने 80 बार किया था आगाह
गौरतलब है कि मथुरा के जवाहरबाग में 2 जून को हुई हिंसा में दो पुलिसकर्मियों समेत 29 लोगों की जान गई. 'आज तक' के 'ऑपरेशन मथुरा' में इस बात का खुलासा हुआ है कि राज्य की इंटेलिजेंस यूनिट बार-बार सरकार और पुलिस को ऐसी किसी घटना को लेकर आगाह करती रही. यही नहीं, 2014 से लेकर घटना के एक दिन पहले यानी 1 जून तक कुल 80 बार सरकार और प्रशासन को कब्जइयों की हरकतों को लेकर इनपुट भेजा गया.
मुख्यमंत्री ने यह कहकर छाड़ा था पल्ला
खास बात यह है कि घटना के फौरन बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने यह कहकर मामले में जांच के आदेश दे दिए कि ये इंटेलिजेंस फेल्योर था. जबकि हमारी खुफिया टीम ने जब तहखानों में दबा राज खंगाला तो कुछ और ही सच्चाई सामने आई. लोकल इंटेलिजेंस ने तो पल-पल की जानकारी सरकार को दी थी, लेकिन सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी.