राम मंदिर को लेकर आजतक के 'ऑपरेशन राममंदिर' ने राम जन्मभूमि केस के हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों की पोल खोलकर रख दी है. यह खुलासा न्याय के सबसे बड़े मंदिर यानी सुप्रीम कोर्ट के प्रति आस्था रखने वाले देश के हर देशभक्त नागरिक को झकझोर कर रख देगा. 'ऑपरेशन राममंदिर' को अंजाम देने के लिए आजतक के अंडरकवर रिपोर्टर्स खुफिया कैमरों के साथ अयोध्या में उन पक्षकारों से मिले जो कैमरों के सामने राम जन्मभूमि केस को लेकर सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा जताते हैं. लेकिन कैमरे के बंद होते ही उनकी राय भी बदल जाती है.
सांप्रदायिक तनाव का एक पुराना मुद्दा जिसको लेकर अब सब्र का बांध कमजोर पड़ रहा है. एक तरफ अयोध्या में राममंदिर निर्माण को लेकर बेसब्री का आलम है और दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट है, जहां से राम जन्मभूमि विवाद केस में तारीख पर तारीख मिल रही है. लेकिन राममंदिर के मुद्दे पर हिंदू और मुस्लिम याचिकाकर्ता जो बोलते हैं, क्या वैसा ही असल में सोचते भी हैं? आजतक के खुफिया कैमरों में राम जन्मभूमि के मुस्लिम पक्षकारों ने इसे लेकर अपनी जिस विस्फोटक सोच को उजागर किया है, उसे जानकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे.
राम जन्मभूमि विवाद केस में मुस्लिम पक्षकार हाजी महबूब को आपने अकसर कैमरों के सामने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते और राममंदिर का पक्ष लेते हुए सुना होगा. एक बार तो वो राममंदिर के लिए कोर्ट के बाहर समझौता करने के लिए राजी तक हो चुके थे. उन्होंने कहा था कि अगर बाबरी मस्जिद की जगह छोड़ते हैं, तो अगर हिंदू अपना मंदिर बनाएं हमें कोई ऐतराज नहीं है.
लेकिन जब आजतक के अंडरकवर रिपोर्टर ने अयोध्या में हाजी महबूब से घर पर उनसे बातचीत की तो उनकी दोमुंही सोच सामने आ गई.
हाजी महबूब- आज भी अगर मस्जिद मसले में अगर जजमेंट आ जाए तो क्या आप जानते हैं मियां, क्या आप वहां एक ईंट रख सकते हैं. मैंने तो चैलेंज भी किया था, हमने कहा जब तक जिंदा हूं एक ईंट रख कर बताएं.
रिपोर्टर - जजमेंट के बाद भी ? सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट के बाद भी..
हाजी महबूब - हां, हां, रख के बताएं.. इंशाअल्लाह मैं जिंदा हूं जब तक, साफ बात मैं कहता हूं.. मैं तो बोलता हूं.. मेरी जिंदगी में वो एक ईंट नहीं रख सकते.. चाहे वो कुछ भी कर लें..
रिपोर्टर - राम मंदिर की ?
हाजी महबूब - हां याद रखियेगा..
रिपोर्टर - चाहे सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट ही क्यों न हो ?
हाजी महबूब - चाहे सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट हो.. चाहे जहन्नुम में जजमेंट हो.. मैं मुसलमान हूं और छोटा सा मुसलमान हूं, गुनहगार हूं लेकिन वो मेरी जिन्दगी में ईंट नहीं रख सकते..
रिपोर्टर - सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट भी नहीं मानेंगे आप ?
हाजी महबूब - कुछ भी नहीं मानूंगा.. याद रखियेगा.. ऑपरेशन राम मंदिर देखने के लिए यहां क्लिक करें...
यानी जो हाजी महबूब खुले कैमरों के सामने सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा जताते नहीं थकते, वही हाजी महबूब खुफिया कैमरे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ठेंगा दिखाते सुने जा सकते हैं. जब हमने हाजी महबूब से पूछा कि अगर वो सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी राममंदिर नहीं बनाने देंगे तो देश के हालात बिगड़ सकते हैं. तो हाजी महबूब का जवाब ये था...
रिपोर्टर - जैसे आप कह रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट भी हिन्दुओं के फेवर में आया, मंदिर को लेकर तो आप एक ईंट नहीं लगाने देंगे..
हाजी महबूब - बिलकुल नहीं लगाने दूंगा.. मैं आपसे.. आप मुसलमान हैं इसलिए मैं कह रहा हूं, नहीं तो, मैंने तो कहा कि भाई ठीक है जजमेंट आएगा, देखा जाएगा. मैंने तो ये कहा.. लेकिन यकीन मानिए.. कोई भी मुसलमान उसको बर्दाश्त नहीं कर सकता..
रिपोर्टर - तो क्लैश होगा, ये तो देश में ?
हाजी महबूब - क्लैश होता.. होगा.. होना ही है, इसमें क्या दो राय है..
हाजी महबूब ने आजतक के खुफिया कैमरे पर सिर्फ राम मंदिर ही नहीं, बल्कि न्याय के सबसे बड़े मंदिर को लेकर भी अपनी दोगली सोच को उजागर कर दिया. लेकिन सवाल ये है कि हाजी महबूब इतना बड़ा दावा, इतने कॉन्फिडेंस से कैसे कर रहे हैं. इसका जवाब भी हमें खुद हाजी महबूब ने ही दिया.
हाजी महबूब ने आजतक के खुफिया कैमरे पर कबूल किया की 1992 में अयोध्या में बिगड़े माहौल में उन्होंने खुद बम चलवाये थे और कोई उनका कुछ बिगाड़ नहीं पाया था.
हाजी महबूब - मैं तो झूठ बोलता नहीं हूं. जो होता है वो दुनिया जानती है कि हाजी महबूब ने बम चलवाये थे. मैंने चलवाया था. दो राय नहीं है.
रिपोर्टर - बम चलवाये थे आपने ?
हाजी महबूब - बिलकुल चलवाये थे..
हाजी महबूब - ये है प्रशासन भी, खुदा का करम है. वो मुझसे बहुत डरती है..
रिपोर्टर - यहां अयोध्या की ?
हाजी महबूब - अयोध्या क्या, फैज़ाबाद जो भी है..
हाजी महबूब ने राममंदिर और राम जन्मभूमि केस को लेकर अपने दिल में छिपे इरादे आजतक के खुफिया कैमरे पर खोलकर रख दिए. तो अब सवाल ये था कि अयोध्या में राममंदिर को लेकर जो इरादे हाजी महबूब रखते हैं. वहीं राम जन्मभूमि केस के बाकी मुस्लिम पक्षकार भी रखते हैं.
बाबरी मस्जिद के खिलाफ आया फैसला तो मंजूर नहीं- इकबाल अंसारी
राम जन्मभूमि विवाद केस में बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी भी हाजी महबूब की तरह ही कैमरों के सामने कह चुके हैं कि अगर राममंदिर निर्माण को लेकर मोदी सरकार अध्यादेश लाती है, तो उन्हें कोई ऐतराज नहीं होगा. 20 नवंबर को उन्होंने कहा था कि अगर कानून बनाने से देश का भला हो रहा है. अमन चैन है तो कानून बनाएं, वहीं से कानून बनना है, वहीं से कानून बनेगा.
कैमरे पर इकबाल अंसारी की बातें सुनकर लगता है कि उनके मन में कानून को लेकर बहुत आस्था है. लेकिन कैमरों के पीछे इकबाल अंसारी भी हाजी महबूब की तरफ पलट जाते हैं. आजतक के खुफिया कैमरे पर इकबाल अंसारी को ये कहते हुए सुना जा सकता है कि अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला बाबरी मस्जिद के खिलाफ आता है तो उसे नहीं मानेंगे और ना कोई और मुसलमान मानने को तैयार होगा.
रिपोर्टर - आपको लगता है लोग सुप्रीम कोर्ट का फैसला मान लेंगे..?
इकबाल अंसारी - अयोध्या, ये बाबरी मस्जिद है. इसको पूरी दुनिया जानती है. तो ऐसे में सुप्रीम कोर्ट फैसला कर दे.. जैसे लोग मंत्री का नाम 5 साल बाद जान जाते हैं.. वैसे ही बाबरी मस्जिद को आने वाली कई पीढ़ी जानेगी कि यह मस्जिद अयोध्या में है. ये नाम इसीलिए पड़ा है बाबरी मस्जिद.
रिपोर्टर - मैं वही कह रहा हूं इसलिए सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला नहीं मानेगा कोई..
इक़बाल अंसारी - कोई नहीं मानेगा..
रिपोर्टर - नहीं मानेगा न ?
इक़बाल अंसारी - कोई नहीं मानेगा..
जब हमने ऑफ कैमरा बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी से पूछा कि अगर फैसला मुसलमानों के पक्ष में नहीं आया तो क्या होगा. इस पर इकबाल अंसारी की राय भी हाजी महबूब की राय से मैच कर गई.
रिपोर्टर - तो सुप्रीम कोर्ट का फैसला अगर मुसलामानों के खिलाफ आया तो मुसलमान नहीं मानेंगे?
इक़बाल अंसारी - नहीं मानेंगे.
रिपोर्टर - मुसलमान नहीं मानेंगे तो करेंगे क्या?
इकबाल अंसारी - आप मुसलमान हो.. आप क्या करोगे बताओ..
रिपोर्टर- गुस्सा
इक़बाल अंसारी - तो फिर ऐसे ही जान लो
रिपोर्टर - फिर तो बवाल होगा देश में ?
इक़बाल अंसारी - बवाल बनाया गया है..
यानी ना तो इकबाल अंसारी और ना ही हाजी महबूब, अयोध्या में विवादित भूमि पर राममंदिर निर्माण होने देने के पक्ष में नहीं हैं. फिर चाहें सुप्रीम कोर्ट ही क्यों ना राममंदिर निर्माण का आदेश दे दे. यानी राम जन्मभूमि विवाद में इन दोनों मुस्लिम पक्षकारों की सोच दोमुंही है. एक वो जो ऑन कैमरे पर बोलते हैं और एक वो जो आजतक ने आपको बताया.
अब सवाल ये है कि जब मुस्लिम पक्षकारों को सुप्रीम कोर्ट का फैसला मानना ही नहीं है तो फिर वो केस लड़ ही क्यों रहे हैं...?
इस सवाल का जवाब हाजी महबूब के उस दावे में मिलता है जो उन्होंने आजतक के खुफिया कैमरे पर किया है. हाजी महबूब ने साफ कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड बाबरी मस्जिद के नाम पर अच्छा-खासा पैसा कमा रहा है...
रिपोर्टर - अब जबकि अयोध्या पर उनका भी दावा है बाबरी मस्जिद पर..
हाजी महबूब - हां
रिपोर्टर - पर्सनल लॉ बोर्ड का..
हाजी महबूब - अरे ये सब दावा तो उसी लिए आ रहा है, उसी पर राजनीति कर रहे हैं.. जो भी आ रहा है अयोध्या के नाम पर आ रहा है..
रिपोर्टर - अच्छा पैसा भी आ रहा है इनके पास?
हाजी महबूब - बहुत आया है.. और कहां से ला रहे हैं.. कोई अपनी जेब से लड़ता है मस्जिद का मुकदद्मा, जो लड़ रहे हैं..
हाजी महबूबा का दावा है कि ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड बाबरी मस्जिद के नाम पर राजनीति करता है और बाबरी मस्जिद के नाम पर ना सिर्फ देशभर से बल्कि विदेश से भी पैसा आता है...
रिपोर्टर - ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के पास फंडिंग कहां से आ रही है?
हाजी महबूब - वो जाने?
रिपोर्टर - जैसा आप कह रहे हैं न अयोध्या बाबरी मस्जिद के नाम पर काफी पैसा आया उनके पास ?
हाजी महबूब - अरे, हर जगह से आ रहा है लीबिया है.. कई बार तो हमारे सामने..
हाजी महबूब की बातें बाबरी मस्जिद के नाम पर चल रहे सियासत के खेल को खोलकर रख देती हैं. हाजी महबूब दावा करते हैं कि बाबरी मस्जिद पर राजनीति करके अपनी जेबें भरने वाले लोग कभी नहीं चाहते कि ये मसला कभी हल हो.
हाजी महबूब - देखिए हमारी कौम में, वो भी नहीं चाहते इस मसले को खत्म करना..
रिपोर्टर - हमारी कौम के लोग भी नहीं चाहते, मुसलमान भी नहीं चाहते ?
हाजी महबूब - कोई नहीं चाहता..
रिपोर्टर - अयोध्या का मसला हल हो..? वजह इसकी सर ?
हाजी महबूब - वजह है कि अगर जब तक चलता रहेगा, सबकी रोटियां, दाल रोटी चलती रहेंगी...
हाजी महबूब की बातों से बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी भी इत्तेफाक रखते हैं. इकबाल अंसारी ने माना कि बाबरी मस्जिद के नाम पर बहुत सी संस्थाएं और लोग सिर्फ राजनीति कर रहे हैं और पैसा कमा रहे हैं...
इकबाल अंसारी - कौन करता है.. हम आज भी कहते हैं कौन करता है मदद.. आना जाना जो है.. नाम तो बाबरी मस्जिद का है.. तमाम लोग दिन भर आते जाते हैं.. आप लोग अगर हमारी जगह पर हो तो.. आपको मालूम हो जाता कि कितने लोग हमारी मदद करते हैं.. हमारे काम पर तो बहुत से लोग कमाते हैं.. कौन क्या देता है.. वहां जो है देश का काम बताएंगे, अयोध्या जाते हैं तो मुसलामानों की देख-रेख करते हैं.. यहां चंदा हो रहा है, वहां चंदा हो रहा है.. यहां कौन लग के देता है चंदा..
रिपोर्टर - मतलब आपके नाम पर कमा भी रहे हैं लोग ?
इकबाल अंसारी - तमाम लोग कमाते हैं.. यही हमारे वालिद साहब के टाइम पर भी रहा.. लोग खाली बेवकूफ बनाते हैं.. राजनीति करते हैं..
आजतक के खुफिया कैमरे पर इकबाल अंसारी ने खुलासा किया कि राम जन्मभूमि को लेकर कोर्ट से बाहर मध्यस्थता कर चुके एक मुस्लिम धर्मगुरु ने उन्हें बाबरी मस्जिद का केस छोड़ने के लिए एक ऑफर भी दिया गया था..
इकबाल अंसारी - कहे लखनऊ में आधा बिसरा ज़मीन ले लो भाई..
रिपोर्टर - क्या बोले आपसे ?
इकबाल अंसारी - आधा बिसरा जमीन लखनऊ में ले लो.. वसीम रिजवी दे रहा है..
रिपोर्टर - आधा बिसरा क्या होता है ?
इकबाल अंसारी - मतलब 600 sq ft.
रिपोर्टर - 600 sq ft. जमीन लखनउ में ले लो..
इकबाल अंसारी - हां, लखनऊ में..
रिपोर्टर - किस चीज के लिए ?
इकबाल अंसारी - मस्जिद के लिए..
इकबाल अंसारी जो दावा कर रहे हैं, उसमें कितनी सच्चाई है ये तो वो खुद ही जानते होंगे, लेकिन इकबाल अंसारी ने आजतक के खुफिया कैमरे पर ये भी दावा किया कि यूपी में समाजवादी सरकार बन गई तो उनके बेटों की नौकरी लगनी तय है.
इकबाल अंसारी - अबकी अखिलेश सरकार आएगी, उसी में हो जाएगा.. हम तो यही उम्मीद लगाए हैं..
रिपोर्टर - किसी से बात चल रही है ?
इकबाल अंसारी - अब की हो जाएगा.. बातचीत तो है..
रिपोर्टर - अगली यूपी सरकार में हो जाएगी नौकरी?
इकबाल अंसारी - हां
रिपोर्टर - बातचीत है आपकी ?
इकबाल अंसारी - हां
इकबाल अंसारी की बातें सुनकर लगता है कि वो बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहते-रहते अपनी आने वाली पीढ़ियों की दाल-रोटी का जुगाड़ भी कर चुके हैं. जिससे पता चलता है कि बाबरी मस्जिद का पक्षकार बनने के कितने फायदे हैं. निष्कर्ष के तौर पर कहा जा सकता है कि मुस्लिम पक्षकारों के लिए राम जन्मभूमि विवाद सियासत का जरिया है. जिसे वो किसी भी कीमत पर हाथ से जाने देना नहीं चाहते.
क्या हिंदू पक्षकार ये कबूल कर लेंगे कि सुप्रीम कोर्ट बाबरी मस्जिद के पक्ष में फैसला सुना देंगे और अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला राम मंदिर के खिलाफ आया तो हिंदू पक्षकार क्या करेंगे... क्या हिंदू पक्षकार अपने खिलाफ फैसले को मान लेंगे...?
इसी सिलसिले में आजतक की स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम की अगली मुलाकात हुई त्रिलोकीनाथ पांडे से जो सुप्रीम कोर्ट में रामलला न्यास की तरफ से राम जन्मभूमि केस में पक्षकार हैं. त्रिलोकी नाथ पांडेय अयोध्या के कारसेवक पुरम में रहते हैं.
त्रिलोकीनाथ पांडेय- जज फैसला क्यों नहीं देते हैं.. 77 साल क्यों लगा.. आपसे मैं पूछ रहा हूं..?
रिपोर्टर - जी नहीं.. हमको जानकारी नहीं है.. क्यों नहीं दे रहे हैं?
त्रिलोकीनाथ पांडेय - अब समय इसका उत्तर देगा.. हमसे मत कहलवाइये भगवान.. कुछ नीयत होगी.. इस देश के विषय में कुछ निर्णय करने के लिए.. लेकिन ये तय है कि हिन्दू समाज राम जन्मभूमि पर कोई समझौता नहीं करेगा. मंदिर जरूर बनेगा चाहे हुक और चाहे क्रुक
यानी मुस्लिम पक्षकार अपने खिलाफ फैसला नहीं मानेंगे और हिंदू पक्षकार अपने खिलाफ फैसला नहीं मानेंगे, लेकिन अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला खिलाफ आया तो हिंदू पक्षकार क्या करेंगे. इस सवाल के जवाब में त्रिलोकीनाथ पांडे ने संविधान बदल डालने के मंसूबे जाहिर कर दिए...
रिपोर्टर - अगर मान लीजिये सर, सुप्रीम कोर्ट का फैंसला आ गया और मुसलानों को ये हक दिया गया कि आप मस्जिद बना लीजिये, उस स्थान पर, तो अब वो बनाने लगेंगे..
त्रिलोकीनाथ पांडेय - कैसे बना लेंगे.. जनता की अदालत में जाएंगे..
रिपोर्टर - उनके साथ कानून, पुलिस और प्रशासन होगा न उसको बनवाने के लिए..
त्रिलोकीनाथ पांडेय - हमारे साथ भी कोई न कोई खड़ा हो जाएगा.. पुलिस को खड़ा करती है जनता.. संविधान को खड़ा करती है जनता.. सरकार को बनाती है जनता.. नया संविधान बनेगा, नई पुलिस बनेगी, नया कोर्ट बनेगा, नया सिस्टम खड़ा होगा..
सुप्रीम कोर्ट में राममंदिर के पक्षकार त्रिलोकीनाथ पांडे का दावा है कि राममंदिर के खिलाफ आया कोई भी फैसला कोई भी हिंदू नहीं मानेगा..और पूरे देश में हंगामा हो जाएगा...
रिपोर्टर - सुप्रीम कोर्ट के आर्डर को हिन्दू नहीं मानेगा ?
त्रिलोकीनाथ पांडेय - नहीं मानेगा..
रिपोर्टर - और आप कह रहे हैं उसकी जगह फिर एक जैसे धर्म संसद हैं, ऐसे ही एक धर्म न्यायालय भी होगा?
त्रिलोकीनाथ पांडेय - नहीं, धर्म न्यायालय नहीं होगा.. नया संविधान होगा.. नया उथल-पुथल आएगा दुनिया में..
रिपोर्टर - फिर तो देश में हंगामा हो जाएगा..
त्रिलोकीनाथ पांडेय - हो जाए.. देश चाहेगा तो होगा..
त्रिलोकीनाथ पांडेय का दावा है कि राम मंदिर के आड़े आने वाली हर अड़चन को दूर कर दिया जाएगा...लेकिन जब आजतक के अंडरकवर रिपोर्टर ने पूछा कि वाजपेयी सरकार में राममंदिर क्यों नहीं बन पाया तो उन्होंने एक किस्सा सुनाया...
त्रिलोकीनाथ पांडेय - अटल जी की सरकार के बाद, सरकार में ही.. अटल जी और आडवाणी जी से अशोक सिंघल की बातचीत बंद हो गई और जीवन पर्यन्त बोलचाल नहीं हुई..
रिपोर्टर - वजह ?
त्रिलोकीनाथ पांडेय - देखिए तय हुआ कि अटल जी की सरकार को 5 वर्ष चलाना है..
रिपोर्टर - 2004 तक ?
त्रिलोकीनाथ पांडेय - लेकिन संतों के अंदर ये कौतुहल पैदा हुआ कि अटल जी के राज में क्यों मंदिर की चर्चा नहीं हो रही है.. अशोक जी ने अटल जी से कहा कि अधिकृत क्षेत्र है, उसमें 45 एकड़ जमीन राम जन्मभूमि न्यास की है.. उसमें से एक एकड़ जमीन हमको दे दीजिये... जो पत्थर हमारा तैयार है, जिसको हम वहां रखवा दें ताकि दुनिया की नजर में लगे कि ये सरकार कुछ हलचल कर रही है..
रिपोर्टर - ये किसने बोला सर ?
त्रिलोकीनाथ पांडेय - अशोक जी ने..
रिपोर्टर - अशोक जी ने..
त्रिलोकीनाथ पांडेय - अटल चले गए कोर्ट में.. सुप्रीम कोर्ट..
रिपोर्टर - अटल जी..
त्रिलोकीनाथ पांडेय - और 5 जजों की बेंच ने ये कह दिया कि ऐसा नहीं हो सकता है.. ये इसमें किसी प्रकार का लेन-देन, पूजा-पाठ, अनुष्ठान नहीं हो सकता.. तो अशोक जी ने कहा अटल जी से, अब तो सुप्रीम कोर्ट ने बैन कर दिया.. अब तो राम जन्मभूमि का नाम लेना ही कंटेम्पट हो जाएगा.. लम्बे समय से हम लोग सामाजिक जोन में काम कर रहे हैं.. मैं सुझाव देने आया हूं कि राम जन्मभूमि का विधेयक लाइए.. विधेयक गिर जाएगा.. लेकिन सरकार भी गिर जाएगी.. इसी विषय को लेकर जनता के बीच में जाएंगे और हो सकता है पूर्ण बहुमत की सरकार आ जाए..
रिपोर्टर - ये 2001 की बात है ?
त्रिलोकीनाथ पांडेय - नहीं, 2003 की बात है.. वहां अडवाणी जी बैठे थे.. आडवाणी जी ने कहा कि एक मंदिर की दीवार के लिए सरकार कुर्बान नहीं की जाएगी..
रिपोर्टर - आडवाणी जी बोले ?
त्रिलोकीनाथ पांडेय - जी
राम जन्मभूमि केस में हिंदू पक्षकार त्रिलोकीनाथ पांडेय के दावों और खुलासों से लगता है कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने राममंदिर के पक्ष में फैसला नहीं सुनाया तो हिंदू संगठन खिलाफत पर उतर सकते हैं...
हमारी अगली मुलाकात संतोषी अखाड़े के महंत सौरभ दास से हुई...
महंत सौरभ दास के अनुसार संतोषी अखाड़ा, निर्मोही अखाड़े की ही एक शाखा है और निर्मोही अखाड़ा राम जन्मभूमि केस में एक और पक्षकार है. सौरभ दास ने आजतक के खुफिया कैमरे पर दावा किया कि अगर फैसला हक में नहीं आया तो भी किसी भी कीमत पर राम मंदिर बनकर ही रहेगा. ऐसा कैसे होगा. ये आप खुद महंत सौरभ दास की जुबानी सुन लीजिये...
रिपोर्टर - अगर आपके पक्ष में निर्णय नहीं आता है तो उसकी क्या तैयारी है ?
सौरभ दास - उसकी तो तैयारी फिर अब वही लोग करेंगे, जो हमारे बड़े हैं..
रिपोर्टर - वो जो आपसे कहेंगे, आप कर देंगे ?
सौरभ दास - वो हमें करना ही पड़ेगा..
रिपोर्टर - वो महंत, साधु संत जो कहेंगे ..
सौरभ दास - उनका सहयोग पूरा करेंगे.. तन मन धन से..
रिपोर्टर - चाहे वो आपसे हिंसक आंदोलन करने को कहें ?
सौरभ दास - वो तो बाद की बात है..
यानी मुस्लिम पक्षकारों की तरह ही हिंदू पक्षकार भी राम जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले पर अपना फैसला सुना चुके हैं... जब फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अभी तक सुनवाई की तारीख तक तय नहीं हुई है...
ऑपरेशन राम मंदिर के खुलासे देखकर कहा जा सकता है कि हिंदू पक्षकार हों या मुस्लिम पक्षकार, दोनों को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से कोई लेना-देना नहीं है. ये वो लोग हैं जिन्होंने आस्था के विषय को भी पॉलिटिक्स और पावर का खेल बना दिया है. ऐसे लोगों को बेनकाब करना आजतक अपना फर्ज समझता है. क्योंकि ये जरूरी नहीं है कि सच वो ही हो जो आपकी आंखों के सामने हो. कई बार सच आपकी आंखों से छिपा रह जाता है और कई बार जानबूझकर छिपा दिया जाता है. आजतक ने ऑपरेशन राम मंदिर के जरिए राम मंदिर को लेकर इसी छिपे हुए सच का खुलासा किया है.
इंडिया टुडे के 'ऑपरेशन राम मंदिर' पर बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने अयोध्या में विवादित स्थल के आसपास की अविवादित भूमि को उनके मूल मालिकों को देने की बात कही. बता दें कि 29 जनवरी को, केंद्र सरकार राम जन्मभूमि न्यास सहित अपने मूल मालिकों को निर्विवाद रूप से 67 एकड़ जमीन वापस करने की अनुमति के लिए सर्वोच्च न्यायालय का रुख कर चुकी है.
मालवीय ने कहा, 'इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राज्य और केंद्र की सरकारों पर निर्भर होगा कि वो कोर्ट के फैसले को शांति से निष्पादित करें और एक राम मंदिर का निर्माण हो. वैसे भी, वहां कि 67 एकड़ जमीन निर्विवाद है. यह सिर्फ एक छोटा सा हिस्सा है, जिसे लेकर विवाद है.'
हालांकि, विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) ने कड़ी प्रतिक्रिया दी. विहिप के प्रवक्ता श्रीराज नायर ने दावा किया कि उनका संगठन कानून का पालन करने वाला है, लेकिन विवादित भूमि पर राम मंदिर से कम कुछ भी मंजूर नहीं. उन्होंने कहा, "हम यहां केवल एक मंदिर के लिए नहीं लड़ रहे हैं. तथाकथित विवादित स्थल से देवताओं को हटाने की हिम्मत किसमें है. यह एक मंदिर है और हमेशा एक मंदिर रहेगा."
एक्टिविस्ट और इस्लामी स्कॉलर असद खान फलाही ने कानूनी तौर पर मसले के हल की बात कही. उन्होंने कहा, 'पक्षकार अंतिम शब्द नहीं है. मैं इस तरह के बयान सुनता आ रहा हूं. एक ही बात लागू होगी और वो है सुप्रीम कोर्ट व संविधान का फैसला.'
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य महमूद प्राचा, ने फलाही की बात को दोहराया. उन्होंने कहा, 'भारत में, भारत का संविधान ही प्रबल होगा. हो सकता है कि मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले से खुशी नहीं मिले लेकिन मुझे उस फैसले को स्वीकार करना होगा.'
उन्होंने कहा, 'हाजी साहब भारत के संविधान को चुनौती देने वाले कौन होते हैं. जो कोई भी ऐसा करेगा, हम उसकी आवाज को कानूनी तरीके दबा देंगे. एक बार फिर मैं यह पूरी जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूं कि भारत का संविधान ही सर्वोच्च है.'