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ग्रेटर नोएडा: अस्पताल में दो दिन पहले हुई कोरोना मरीज की मौत, परिजनों को मुर्दाघर में मिला शव

हैरानी की बात ये रही कि इस बारे में अस्पताल प्रशासन की तरफ से परिजनों को बताया ही नहीं गया. परिवार ने आरोप लगाया है कि उनकी तरफ से अस्पताल से लगातार संपर्क साधा गया था, हेल्पलाइन नंबर पर कॉल की गई थी, लेकिन उन्हें अपने रिश्तेदार की सेहत को लेकर कोई अपडेट नहीं मिला.

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प्रतीकात्मक तस्वीर ( फोटो-पीटीआई)
प्रतीकात्मक तस्वीर ( फोटो-पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • दो दिन पहले कोरोना से मौत, अस्पताल ने नहीं बताया
  • मुर्दाघर में मिला मृत का शव
  • सदमे में मृतक का परिवार

देश में कोरोना की स्थिति विक्राल बनी हुई है. कोरोना केस में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. अस्पताल के इंतजाम भी अब नाकाफी साबित हो रहे हैं. कई बार ऐसी लापरवाही देखने को मिल रही है कि लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच रहा है. ताजा मामला ग्रेटर नोएडा का है जहां पर एक अस्पताल की तरफ से यही नहीं बताया गया कि कोविड मरीज की मौत दो दिन पहले हो चुकी है.

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दो दिन पहले कोरोना से मौत, अस्पताल ने नहीं बताया

ग्रेटर नोएडा के शारदा अस्पताल में 67 वर्षीय अपूर्व सरकार को एडमिट करवाया गया था. वे कोविड पॉजिटिव थे और उन्हें ICU में रखा गया था. लेकिन कुछ ही घंटों में उन्होंने दम तोड़ दिया और उनकी मौत हो गई. हैरानी की बात ये रही कि इस बारे में अस्पताल प्रशासन की तरफ से परिजनों को बताया ही नहीं गया. परिवार ने आरोप लगाया है कि उनकी तरफ से अस्पताल से लगातार संपर्क साधा गया था, हेल्पलाइन नंबर पर कॉल की गई थी, लेकिन उन्हें अपने रिश्तेदार की सेहत को लेकर कोई अपडेट नहीं मिला. बाद में जब उनके परिवार के एक सदस्य ने अस्पताल प्रशासन पर दवाब बनाया, तब पता चला कि अपूर्व का निधन दो दिन पहले हो चुका है. मृत का शव भी परिवार को मुर्दाघर में मिला है.

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सदमे में मृतक का परिवार

इस घटना के बारे में मृतक के पड़ोसी ने विस्तार से बताया है. वे कहते हैं- सिर्फ अपूर्व नहीं, उनके बेटे भी कोविड पॉजटिव थे और उन्हें भी अस्पताल में एडमिट करवाया गया था. लेकिन जब उनके पिता की स्थिति बिगड़ी तो उन्होंने मदद के लिए सभी जगह गुहार लगाई. फिर उन्हें शारदा अस्पताल के ICU में एडमिट किया गया. लेकिन उसके बाद से ही अस्पताल के हेल्पलाइन नंबर बंद रहे और हमे कोई जानकारी नहीं मिली. बाद में एक अस्पताल के कर्मचारी ने बताया कि अपूर्व की मौत हो चुकी है और उनका शव पिछले दो दिन से मुर्दाघर में है.

अंतिम संस्कार करवाना चुनौती

अब इस लापरवाही से परिवार को सदमा तो पहुंचा ही, उन्हें अंतिम संस्कार के समय भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. अपूर्व के बेटे अपने पिता का अंतिम संस्कार करना चाहते थे, ऐसे में उनकी तरफ से अस्पताल से चार घंटे मांगे गए थे. उन्हें अस्पताल से जाने की मंजूदी तो मिली लेकिन वे नोएड के सेक्टर 94 के श्मशान घाट में अपने पिता का अंतिम संस्कार नहीं करवा पाए. इसके बाद शुक्रवार को किसी दूसरे श्मशान घाट में तमाम रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार संपन्न  हुआ.

(रिपोर्ट- अभिषेक आनंद)

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