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कुंभ के दौरान स्टेशन पर भगदड़ के लिए रेलवे व रोडवेज जिम्मेदार: जांच रिपोर्ट

संगम नगरी इलाहाबाद में पिछले साल कुम्भ मेले के दौरान रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ के लिए रेलवे, पुलिस, स्थानीय प्रशासन और रोडवेज के अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया गया है. सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति ओंकारेश्वर भट्ट ने राज्यपाल राम नाइक को सौंपी गई हादसे की जांच रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला है.

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यूपी के सीएम व राज्यपाल (फाइल फोटो)
यूपी के सीएम व राज्यपाल (फाइल फोटो)

संगम नगरी इलाहाबाद में पिछले साल कुम्भ मेले के दौरान रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ के लिए रेलवे, पुलिस, स्थानीय प्रशासन और रोडवेज के अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया गया है. सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति ओंकारेश्वर भट्ट ने राज्यपाल राम नाइक को सौंपी गई हादसे की जांच रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला है.

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आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि न्यायमूर्ति भट्ट ने गत 14 अगस्त को राज्यपाल को सौंपी गई जांच रिपोर्ट में कहा है कि 10 फरवरी, 2013 की रात को इलाहाबाद रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म संख्या चार व छह पर हुई भगदड़ रेलवे के अधिकारियों, पुलिस, प्रशासन व उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के अधिकारियों द्वारा भीड़ का प्रबन्धन नहीं कर पाने की वजह से हुई थी.

गौरतलब है कि इस भगदड़ में 38 तीर्थयात्रियों की मृत्यु हो गई थी तथा 47 अन्य जख्मी हुए थे. इसकी जांच के लिए राज्य सरकार ने एकल सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग गठित किया था. आयोग ने अपनी जांच में निष्कर्ष निकाला है कि रेलवे प्रशासन ने इसका स्पष्ट पूर्वानुमान नहीं लगाया था कि मौनी अमावस्या स्नान पर्व पर उसको कितनी बड़ी संख्या में यात्रियों को अपने गंतव्य तक आने-जाने की व्यवस्था करनी थी. उस रोज इलाहाबाद रेलवे स्टेशन से भीड़ को विभिन्न शहरों के लिए ले जाने के वास्ते पर्याप्त ट्रेनों की व्यवस्था नहीं की गई.

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रिपोर्ट के मुताबिक इलाहाबाद रेलवे स्टेशन से हर आधे घंटे पर एक ‘मेला स्पेशल ट्रेन’ चलाए जाने की घोषणा की गई थी, लेकिन उसका पालन नहीं किया गया और रेलगाड़ियां दो से चार घंटे की देर से चलीं. इससे भी यात्रियों में आपाधापी और भगदड़ की स्थिति बनी.

आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि परिवहन निगम को तीर्थयात्रियों के आवागमन के लिए छह हजार बसें लगाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, जिसका निर्वहन नहीं किया गया. इसके फलस्वरूप भीड़ का पूरा दबाव रेलवे स्टेशन पर ही पड़ा. साथ ही पुलिस तथा स्थानीय प्रशासन द्वारा अचानक बढ़ी हुई भीड़ को दूसरे रास्ते से ले जाने की व्यवस्था का ठीक से पालन नहीं किया गया. जांच आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि रेलवे स्टेशन पर पुलों पर भीड़ के आवागमन के लिए एकल दिशा मार्ग का प्रबन्धन नहीं किया गया, जिससे आने-जाने वाली भीड़ में धक्का-मुक्की तथा भगदड़ हुई. रेलवे स्टेशन पर तीर्थ यात्रियों को उन द्वारों से होकर जाने दिया गया, जिनसे जाने की मनाही थी.

रिपोर्ट के मुताबिक, रेलवे स्टेशन पर ओवरब्रिज संख्या तीन को आपातकालीन परिस्थितियों में इस्तेमाल के लिए खोलने के वास्ते सुरक्षित रखा गया था, जिसे दुर्घटना के वक्त आपात स्थिति उत्पन्न होने पर भी तीर्थ यात्रियों के आवागमन के लिए नहीं खोला गया. न्यायमूर्ति भट्ट ने जांच रिपोर्ट में ऐसी दुर्घटना की पुनरावृत्ति नहीं होने के लिए सुझाव दिया है कि इन खामियों से बचा जाए और भविष्य में विशेष मेला ट्रेनें इलाहाबाद रेलवे स्टेशन के बजाय आसपास के स्टेशनों से चलाई जाएं, ताकि भीड़ एक ही जगह जमा ना हो.

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राज्यपाल ने जांच रिपोर्ट की प्रति मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह तथा रेल मंत्री डीवी सदानन्द गौड़ा को भेजने के निर्देश दिए हैं. साथ ही कहा है कि महाराष्ट्र के नासिक में आगामी कुम्भ के आयोजन के मद्देनजर रिपोर्ट की एक प्रति महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चहवाण के पास भी भेजी जाए, ताकि उसका लाभ मिल सके.

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