देश के 14वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेते ही रामनाथ कोविंद का गांव परौख जश्न में डूब गया. गांव का हर शख्स जश्न में शामिल था बूढ़े-बच्चे, जवान, महिलाएं सभी इस गांव में खुश थे क्योंकि सबसे बड़े लोकतंत्र में सर्वोच्च पद पर आसीन रामनाथ कोविंद इसी गांव के निवासी है. कोविंद इस गांव को गलियों में खेले-पढ़े थे, अब पूरी दुनिया में वह भारत के राष्ट्रपति को रूप में जाने जाएंगे.
गांव में ज्यादातर लोग ऐसे थे जो कभी राष्ट्रपति भवन घूमने तक नहीं आए हैं. राष्ट्रपति कोविंद के जो रिश्तेदार शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने दिल्ली नहीं जा पाए वह टीवी के सामने बैठकर उनके राष्ट्रपति बनने का जश्न बनाते दिखे. हालांकि कोविंद के परिवार के कई लोग शपथ ग्रहण समारोह का हिस्सा बनने दिल्ली भी गए हैं.
गांव के युवाओं के हाथों में स्मार्टफोन खुले थे जिसमें वह लाइव टीवी के जरिए रामनाथ कोविंद को शपथ लेते देख रहे थे. लेकिन बड़े तबके को टीवी से कोई मतलब नहीं था वह सभी रंग-गुलाल में डूबे थे और डीजे की धुन पर नाच-गा रहे थे . कोई ढोलक बया रहा था तो कोई बधाई गीत गा रहा था.
दरअसल यह जश्न ऐसा था जिससे कोई अछूता नहीं रहना चाहता था. रामनाथ कोविंद का पैतृक घर जिसमें उनका जन्म हुआ और वहां लोग खुशी से लोकगीत गा रहे थे थे. यहां के कई बुजुर्गों की आंखों में आंसू थे जिन्होंने अपना बचपन रामनाथ कोविंद के साथ इस गांव में बिताया था. आंसु खुशी के थे क्योंकि उनका दोस्त, उनका भाई अब देश के सर्वोच्च पद पर बैठा है.
गांव वालों को यकीन है कि रामनाथ कोविंद अब जल्दी ही अपने गांव आएंगे क्योंकि गोविंद का लगाव अपने गांव से अटूट है और वह जब भी किसी नई जिम्मेदारी को लेते हैं तो गांव के बुजुर्गों का आशीर्वाद लेने जरूर आते हैं. ऐसे में अब गांव के लोग पलक पांवड़े बिछाए कोविंद का इंतजार कर रहे हैं.
गांव वालों को उम्मीद हैं कि अब उनका गांव बेनाम नहीं नहीं रहेगा. कानपुर देहात के इस छोटे से गांव परौख को कोविंद के राष्ट्रपति बनने के बाद नई पहचान मिलेगी. साथ की प्रशासन और नेताओं का ध्यान भी इस गांव की ओर जाएगा और यहां विकास परियोजनाएं जल्द से जल्द जमीन पर उतरना शुरू हो जाएंगी.