शनिवार को लखनऊ के तमाम लोग छुट्टी को भूलकर बैंकों की लाइन में खड़े नजर आए. क्योंकि, ज्यादातर लोगों की तनख्वाह बैंक अकाउंट में आए तीन दिन हो गए, लेकिन अभी भी जेब में कड़की है. मकान का किराया, अखबार का बिल, दूध वाले का पैसा, कामवाली की पगार, ड्राइवर की तनख्वाह. सबको अपना पैसा कैश में ही चाहिए. लेकिन, शहर के ज्यादातर एटीएम या तो खराब पड़े हैं या फिर उनमें सिर्फ 2000 के नोट निकल रहे हैं, जिसका छुट्टा कराना अपने आप में बड़ी मुसीबत है.
अगर कहीं से किसी को पता चलता है कि किसी एटीएम पर 500 के नोट निकल रहे हैं, तो लोग फौरन वहां भागकर लाइन में लग जाते हैं. लेकिन कई बार ऐसा होता है कि जब तक उनकी बारी आए, एटीएम में नोट ही खत्म हो जाते हैं. और अगर कहीं पैसे निकल भी जाए, तो ज्यादा से ज्यादा ढाई हजार निकाले जा सकते हैं. इसलिए तनख्वाह बैंक के अकाउंट में आ जाने के बाद ज्यादातर लोग अपना चेक बुक लेकर शनिवार को बैंक के बाहर लाइन में खड़े थे.
आईसीआईसीआई बैंक के बाहर खड़े आशीष श्रीवास्तव कहते हैं कि आज उनके ऑफिस की छुट्टी है, लेकिन सुबह-सुबह ही वह बैंक पहुंच गए, ताकि कुछ पैसे घर में आ जाएं. बैंक के बाहर लंबी लाइन पर वह कहते हैं कि अगर इतना कष्ट सहने से देश का भला होता है और कालाधन बाहर आता है तो वह इसे झेलने को तैयार हैं.
लाइन में उन्हीं के पीछे खड़े श्रीराम दीक्षित हंसते हुए कहते हैं कि नोटबंदी के बाद सचमुच राम राज आ गया है. किसी के जेब में पैसे नहीं हैं और हर कोई 10 की दो पूडी खरीद रहा है. दीक्षित जी का इशारा हजरतगंज में पूडी कचौड़ी कि उस मशहूर दुकान पर है जो बैंक से कुछ ही दूर है.
जिनके घरों में शादियां हैं, नोटबंदी ने उनका काम बहुत बढ़ा दिया है. अपने परिवार में एक शादी में शामिल होने के लिए पुणे से लखनऊ आईं पूनम अपने 5 साल के बेटे को लेकर बैंक में मौजूद थीं. उन्होंने बताया कि उनके परिवार के दो और लोग अपना-अपना चेक बुक लेकर बैंक गए हैं, ताकि शादी के लिए कुछ रुपये जुटाए जा सके.