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यूपी: PFI पर कसा शिकंजा, पिछले 4 दिनों में 108 सदस्य गिरफ्तार

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के 108 सदस्यों को यूपी पुलिस ने बीते 4 दिनों में गिरफ्तार किया है. सभी सदस्यों को नागिरकता कानून के खिलाफ जारी विरोध प्रदर्शनों में हिंसा भड़काने का आरोप है.

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CAA के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन करने वालों की जारी है तलाश (प्रतीकात्मक तस्वीर)
CAA के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन करने वालों की जारी है तलाश (प्रतीकात्मक तस्वीर)

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  • CAA के खिलाफ हिंसा में PFI की भूमिका पर जारी है जांच
  • यूपी पुलिस की जांच जारी, PFI सदस्यों पर कड़ी निगरानी

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर अपनी कार्रवाई जारी रखते हुए यूपी पुलिस ने पिछले चार दिनों में चरमपंथी संगठन के 108 सदस्यों को नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के दौरान हिंसा के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार किया है.

राज्य में पिछले साल दिसंबर में हिंसा भड़की थी. यूपी के गृह सचिव अवनीश अवस्थी और राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) हितेश चंद्र अवस्थी ने सोमवार सुबह लखनऊ में पुलिस मुख्यालय में एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया और इस बात की जानकारी दी.

इधर दिल्ली में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पीएफआई के 6 सदस्यों को पूछताछ के लिए ने बुलाया था लेकिन फंडिंग को लेकर उन्होंने कोई ठोस जानकारी नहीं दी.

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दिल्ली पीएफआई यूनिट के परवेज ने ईडी को बताया कि संगठन का वित्तीय काम सचिव संभालते हैं. इसके बाद ईडी ने पीएफआई के सचिव को बुलाया लेकिन उन्होंने इस बारे में कुछ भी बताने से इनकार कर दिया. उन्होंने जांच एजेंसी से कहा कि पैसा कहां से आता है, इस बारे में उन्हें कुछ भी जानकारी नहीं.

जारी है PFI सदस्यों की गिरफ्तारी

सीएए और एनआरसी के विरोध प्रदर्शन में पीएफआई द्वारा फंडिंग किये जाने का मामला सामने आने के बाद राजधानी लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश के अलग जिलों से पीएफआई के सक्रिय सदस्यों की गिरफ्तारी का जो सिलसिला शुरू हुआ था, वह बदस्तूर जारी है. लेकिन इनमें से गिरफ्तार कुछ लोगों को जमानत मिलने के मामले भी सामने आए हैं. मेरठ में पुलिस ने पीएफआई के कुल 21 सदस्यों को गिरफ्तार किया था लेकिन इनमें से चार को न्यायालय से जमानत मिल गई और वे लोग रिहा भी हो गए.

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क्यों मिली जमानत?

पीएफआई के सदस्यों की गिरफ्तारी और इतनी जल्दी जमानत होने के बाद सवाल उठना लाजमी था. पड़ताल करने पर पता चला कि इन चारों लोगों के खिलाफ महज शांति भंग करने के आरोप में धारा 151 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था. इस संदर्भ में मेरठ जोन के एडीजी प्रशांत कुमार ने बताया कि प्रशासन की मंशा है कि किसी भी निर्दोष व्यक्ति पर कार्यवाही ना होने पाए उन्होंने बताया कि जिसका जितना अपराध है उसके मुताबिक ही कार्रवाई की जाएगी.

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