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अमेरिका दौरे पर पीएम मोदी और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की मुलाकात के बाद से ही बनारस का नाम सुर्खियों में छा गया है. इसके पीछे की वजह थी, बनारस कला गुलाबी मीनाकारी से बना शतरंज का सेट, जिसे पीएम मोदी ने अपने हाथों, कमला हैरिस को बतौर तोहफे में दिया. इसके अलावा पीएम मोदी ने गुलाबी मीनाकारी कला से ही तैयार पानी का जहाज ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री को भी भेंट किया तो ट्री पोज यानि वृक्षासन भी किसी खास को गिफ्ट किया.
इसके बाद से ही बनारस की गुलाबी मीनाकारी की कला और इन तीनों तोहफों को बनाने वाले राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त कुंजबिहारी सुर्खियों में आ गए हैं. आलम ये है कि अमेरिका में इस कला को वाहवाही मिलने के बाद कुंजबिहारी के पास आर्डर की झड़ी लग गई और एक साल तक वे खाली नहीं रह पाएंगे.
कमला हैरिस के साथ पीएम की मुलाकात और बातचीत के चर्चे तो पूरी दुनिया ने देखा और सुना. लेकिन इस मुलाकात के दौरान पीएम मोदी के हाथों कमला हैरिस को दिया एक तोहफा बनारस के गुलाबी मीनाकारी से बना 'शतरंज सेट' उस वक्त काफी सुर्खियों में आ गया, जब लोगों को पता चला कि यह तोहफा पीएम मोदी के ही संसदीय क्षेत्र वाराणसी के शिल्पियों के हाथों से तैयार हुआ है.
सिर्फ 'चेस सेट' ही नहीं पीएम मोदी ने गुलाबी मीनाकारी से तैयार 'पानी का जहाज' ऑस्ट्रेलियाई पीएम को दिया और लोकप्रिय 'वृक्षासन' की मूर्ति भी किसी खास को भेंट की. गुलाबी मीनाकारी के एक्सपर्ट, गायघाट इलाके में रहने वाले शिल्पी कुंजबिहारी ने बताया कि 19 सितंबर को उन्हें पता चला कि अमेरिका दौरे पर पीएम मोदी उनके हाथों से गुलाबी मीनाकारी की कला से बना चेस सेट, पानी का जहाज और वृक्षासन लेकर जाएंगे.
इसे बनाने के बाद वे गिफ्ट लेकर दिल्ली सेंट्रल कॉटेज इंडस्ट्रीज पहुंचे और सारे तोहफे वहां सौंप दिए. फिर समाचार से पता चला कि उनके हाथों बना चेस सेट पीएम मोदी ने अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को तोहफे में दिया है और पानी का जहाज, ऑस्ट्रेलियाई पीएम को और योगा का वृक्षासन एक वीआईपी को दिया था.
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कुंजबिहारी ने आगे बताया कि गुलाबी मीनाकारी बहुत ही कठिन काम होता है. जो चांदी और सोने पर ही होता है और मेटल ऑक्साइड से इसका रंग बनाया जाता है. वाराणसी का गुलाबी मीनाकारी में गुलाबी रंग को सोने से चंदन के तेल को मिलाकर तैयार किया जाता है. यह कला मुगलकाल में भारत में आया और बनारस में यह गुलाबी मीनाकारी ने नाम से जाना जाता है. इसमें बनारस के शिल्पियों की दक्षता है. उन्होंने बताया कि उनको यह कला अपनी मां और ननिहाल से मिला है. काशी में तीन बार गुलाबी मीनाकारी का सामान पीएम मोदी को तोहफे के रूप में दिया गया है.
उन्होंने बताया कि चांदी का रेट बढ़ने के चलते 10 साल पहले ही गुलाबी मीनाकारी का काम लगभग बंद हो चुका था, लेकिन धीरे-धीरे संघर्ष जारी रहा. फिर जीआई की वजह से ब्रांडिंग हुई. लेकिन कोविड में पूरी तरह से यह खत्म होने के कगार पर था. उन्होंने पीएम मोदी का धन्यवाद करते हुए कहा कि उनकी वजह से इस कला को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली. इस घटना के बाद सिर्फ एक दिन में ही पूरे एक साल का ऑर्डर उनको मिल गया है. जिसमें 25 सेट शतरंज, 12 वृक्षासन सेट और 20-25 हाथी का सेट है. इसके अलावा और भी कई आर्डर हैं.
कुंजबिहारी के गुलाबी मीनाकारी के दिवाने केवल पीएम और अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष ही नहीं, बल्कि देश के सर्वोच्च डिजाइनिंग के लिए चर्चित निफ्ट के छात्र भी हैं. जो कोई कुछ नया सीखने के लिए कुंजबिहारी के पास आते हैं, उन्हीं में से निफ्ट की सातवें सेमेस्टर की छात्रा अक्षिता बताती हैं कि वे बनारस की ही हैं. जिसके चलते बनारस के क्राफ्ट के प्रति उनका लगाव है. जिस वजह से इसपर काम करने की ठानी है. मीनाकारी की ओरिजिन पर्सिया है और यह देश-विदेश के कई हिस्सों में होता है, लेकिन बनारस की मीनाकारी में सफेद रंग खूबसूरती से दिखती है. अब कोशिश है कि इस कला को ऐसी चीजों में ढालें ताकि आम लोगों तक इसकी पहुंच हो सके. पीएम मोदी द्वारा कमला हैरिस को तोहफे के रूप में इसे देना, इस कला को काफी फायदा पहुंचायेगा और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसे पहचान मिलेगी.