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UP: महाराज सुहेलदेव पर पीएम मोदी के दांव से ओम प्रकाश राजभर क्यों बेचैन?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने 26 मिनट के संबोधन में 7 बार सुहेलदेव की वीरगाथा का जिक्र कर पूर्वांचल में राजभर समुदाय को सियासी तौर पर संदेश देने की कोशिश करते नजर आए. सुहेलदेव के नाम पर सियासी पार्टी बनाने वाले भारतीय सुहेलदेव समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर बेचैन हो गए हैं और उन्हें अपने राजभर समुदाय के वोटबैंक के खिसकने का डर सता रहा है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पूर्वांचल में राजभर वोटों को लेकर शह-मात का खेल
  • बीजेपी राजभर समुदाय को साधने में लगातार जुटी
  • ओम प्रकाश राजभर के लिए बीजेपी बनी सियासी टेंशन

उत्तर प्रदेश में अगले साल की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियों ने अपनी-अपनी सियासी बिसात बिछानी शुरू कर दी है. किसानों के सहारे पश्चिम यूपी में कांग्रेस और आरएलडी सहित तमाम विपक्षी दल अपने राजनीतिक आधार को मजबूत करने में जुटे हैं. वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ ने बसंत पंचमी पर मंगलवार को बहराइच में महाराजा सुहेलदेव के स्मारक का शिलान्यास किया और साथ ही बहराइच और श्रावस्ती जिलों के लिए तमाम सौगातों की भी घोषणा की.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने 26 मिनट के संबोधन में 7 बार सुहेलदेव की वीरगाथा का जिक्र कर पूर्वांचल में राजभर समुदाय को सियासी तौर पर संदेश देने की कोशिश करते नजर आए. सुहेलदेव के नाम पर सियासी पार्टी बनाने वाले भारतीय सुहेलदेव समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर बेचैन हो गए हैं और उन्हें अपने राजभर समुदाय के वोटबैंक के खिसकने का डर सता रहा है. बीजेपी सरकार की इन कोशिशों को ओम प्रकाश राजभर ने राजनीतिक स्टंट करार दिया है. 

पूर्वांचल के कई जिलों में राजभर समुदाय का वोट राजनीतिक समीकरण बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखता है. यूपी में राजभर समुदाय की आबादी करीब 3 फीसदी है, लेकिन पूर्वांचल के जिलों में राजभर मतदाताओं की संख्या 12 से 22 फीसदी है. राजभर समुदाय घाघरा नदी के दोनों ओर की सियासत को प्रभावित करता है. गाजीपुर, चंदौली, मऊ, बलिया, देवरिया, आजमगढ़, लालगंज, अंबेडकरनगर, मछलीशहर, जौनपुर, वाराणसी, मिर्जापुर और भदोही में इनकी अच्छी खासी आबादी है, जो सूबे की करीब चार दर्जन विधानसभा सीटों पर असर रखते हैं.

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राजभर समुदाय की सियासी ताकत को देखते हुए बीजेपी साल 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से ही पूर्वांचल के मजबूत वोटबैंक माने जाने वाले राजभर समुदाय को साधने में जुटी है. यही वजह रही कि पीएम मोदी ने 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले महाराजा सुहेलदेव के नाम पर डाक टिकट जारी किया था. साल 2016 में तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह खुद बहराइच गए थे और महाराज सुहेलदेव की मूर्ति का अनावरण किया था. इतना ही नहीं उन्होंने स्मारक बनाने की घोषणा भी की थी, जिसका मंगलवार को बहराइच में भूमि पूजन किया गया. इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्चुअली जुड़े तो सीएम योगी खुद कार्यक्रम स्थल पर उपस्थित रहे. 

महाराजा सुहेलदेव की जयंती के अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कि 2 साल पहले गाजीपुर में महाराजा सुहेलदेव पर डाक टिकट जारी करने का अवसर मिला और आज बहराइच में उनके स्मारक के शिलान्यास का सौभाग्य. ये स्मारक आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगा. मेडिकल कॉलेज को महाराजा सुहेलदेव के नाम से भव्य भवन मिला है. देश के लिए जीवन समर्पित करने वालों को वो स्थान नहीं दिया गया जिसके हकदार थे. इतिहास लिखने वालों ने देश को आजाद कराने वालों के इतिहास में जो गड़बड़ की उसे आज का भारत दुरुस्त कर रहा है.

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पीएम ने कहा कि हमने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को लालकिले से सम्मान दिया. 500 रियासतों को एक करने वाले सरदार पटेल की सबसे बड़ी प्रतिमा लगवाई. संविधान के रचयिता बाबा साहब के नाम पर पंच तीर्थ को विकसित किया जा रहा. महाराजा सुहेलदेव ने भारतीयता की रक्षा के लिए काम किया, उनके साथ भी यही व्यवहार किया गया. इस स्मारक में महाराजा सुहेलदेव की सोच दिखने वाली है. 40 फीट की कांस्य प्रतिमा स्थापित होगी. संग्रहालय में उनसे जुड़ी तमाम छोटी बड़ी जानकारियां होंगी. 

वहीं, भारतीय सुहेलदेव समाज पार्टी के मुखिया ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि हमारी पार्टी की देन है कि सरकार अपने पैसे से महाराज सुहेलदेव की जयंती मनाने के लिए मजबूर हुई है. राजभर का कहना है कि उन्हें अपनी बिरादरी (राजभर समुदाय) का भरपूर समर्थन हासिल है, जो बीजेपी सरकार के बहकावे नहीं आएंगे. उन्होंने कहा कि समाज को ऐसे लोगों से सावधान रहने की जरूरत है, जो उनके अधिकारों को छीन रहे हैं और दूसरी तरफ हैं जो अपने समाज के लोगों के लिए शिक्षा, नौकरी और राजनीति में भागीदारी के लिए संघर्ष कर रहे हैं. 

बता दें कि ओम प्रकाश राजभर ने अपना सियासी सफर 1981 में बसपा से शुरू किया था, लेकिन बाद में अलग होकर सुहेलदेव भारतीय समाज नाम से पार्टी बना ली. ओम प्रकाश राजभर ने दूसरी पार्टी के राजभर नेताओं की अनदेखी का फायदा उठाया और धीरे-धीरे अपने समुदाय के लोगों को सुभासपा के पीले झंडे के नीचे एकजुट करना शुरू किया. यही वजह रही कि बीजेपी ने 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में राजभर समुदाय को अपने साथ जोड़ने के लिए ओम प्रकाश राजभर की पार्टी के साथ गठबंधन किया था. 

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सूबे में बीजेपी की प्रचंड जीत में राजभर समुदाय की अहम भूमिका रही है, जिसके चलते पार्टी ने पूर्वांचल में क्लीन स्वीप किया था. ओम प्रकाश राजभर को योगी सरकार की कैबिनेट मंत्री बनाया गया था, लेकिन 2019 में वो अलग हो गए. ओम प्रकाश राजभर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी सहित आठ छोटे दलों के साथ गठबंधन कर बीजेपी के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं. 

ओमप्रकाश राजभर से दूरी के बाद यूपी की सत्ता पर काबिज बीजेपी ने राजभर वोटों को साधने के लिए अनिल राजभर को मोर्चे पर लगाया है. उन्हें राजभर के नेता के तौर पर बीजेपी लगातार प्रोजेक्ट कर रही है, जिसके लिए ओम प्रकाश को गृह जिला बलिया का प्रभारी भी पार्टी ने बना रखा है. योगी सरकार में मंत्री अनिल राजभर ने कहा कि ओमप्रकाश राजभर पूरे राजभर समाज के नेता नहीं हैं. बीजेपी ने राजभर समाज को सम्मान और अधिकार दिलाने की दिशा में जितना काम किया है, उसका पांच फीसदी भी पिछली सरकारों ने नहीं किया है. यह बात राजभर समाज देख और समझ रहा है. 

ओम प्रकाश राजभर की पार्टी के महासचिव अरुण राजभर का कहना है कि बीते 30 सालों से हमारी पार्टी महाराजा सुहेलदेव की जयंती मना रही है, जिसे देखते हुए बीजेपी ने मनाया है. इससे पहले बीजेपी ने कभी महाराजा सुहेलदेव की जयंती क्यों नहीं मनायी. प्रधानमंत्री मोदी और सीएम योगी की मौजूदगी में न तो राजभर समाज के आरक्षण और रोजगार दिए जाने पर बात की और न ही उनके विकास की. इस बात को भी राजभर समाज देख रहा है और समझ रहा है. अब बातें करने से काम नहीं चलेगा बल्कि हमारे समाज के अधिकारों को देना होगा. 

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