काशी के सांसद और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रस्तावित जापान यात्रा बनारस की थाती को सहेजने की राह भी मजबूत करेगी. काशी के लिए उनकी यह यात्रा ऐतिहासिक हो सकती है.
जापान के क्योटो व काशी के बीच सांस्कृतिक व आध्यात्मिक समानता है. क्योटो शहर तीन नदियों उजिगावा, कस्तूरगावा व कामोगावा से घिरा है तो काशी में भी गंगा, वरुणा और असि की धारा है. वहां बौद्ध अनुयायी हैं तो भगवान बुद्ध ने यहां सारनाथ में उपदेश दिया था. खास तो यह है कि यूनेस्को ने वहां की प्राचीनता को वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल किया है और अब काशी को इस सूची में शामिल करने की आवाज उठी है.
जापान में जुटने वाली विशेषज्ञों की जमात में काशी की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और भौगोलिक छवि की छांव में आधुनिक काशी का ताना-बाना बुना जाएगा. विशेषज्ञों की इस जमात में शामिल होने के लिए काशी से आधा दर्जन विशेषज्ञों को भी न्यौता मिला है. वे भी 29 या 30 अगस्त को न सिर्फ दिल्ली होते जापान के लिए रवाना होंगे बल्कि काशी की विरासत, संस्कृति और वर्तमान हालात साझा करेंगे ताकि जापानी विशेषज्ञ भी इस विलक्षण नगरी के मर्म को समझे.