पीएम नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी मेट्रो सिटी की तर्ज पर डेवलेप होने जा रहा है. शुक्रवार को केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय की कमिटी ने दौरा कर इस शहर को मेट्रो शहरों की तरह बनाने का खाका भी खींच दिया है.
इसके तहत शहर के हेरिटेज स्वरूप को कायम रखते हुए वृहद इंटिग्रेटेड प्लान में मेट्रो-मोनो रेल, सेटेलाइट टाउन शिप, रिंग रोड, बेहतर सीवेज-पेयजल- बिजली की सुविधा के अलावा मास रैपिड ट्रांजिट सिस्टम लागू किया जाएगा. वाराणसी के विकास की योजना बनाने के लिए केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय के सचिव सुधीर कृष्णा व भारत सरकार के तकनीकी विशेषज्ञ वीके चौरसिया दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे और प्रदेश के दर्जनों अधिकारियों के साथ बैठक कर बनारस के समग्र विकास पर जोर दिया.
बौद्ध पर्यटन से जुड़े इलाकों में रोजागर के अवसर बढ़ाने के अलावा नए पर्यटन क्षेत्र विकसित करने के लिए विश्व बैंक का दल भी बनारस में डेरा डाले हुए है. केंद्रीय सचिव ने एक सवाल के जवाब में कहा कि बनारस की योजनाओं के लिए धन की कमी नहीं आएगी. लोन भी लेना होगा तो लिया जाएगा, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि योजनाएं ऐसी हों, जिसका सीधे लाभ दिखे.
वाकिंग कल्चर को बढ़ावा देने के लिए सडकें चौड़ी करने की जगह फुटपाथ चौड़े किए जाने पर सुधीर कृष्णा ने जोर दिया. टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए घाटों के सौंदर्यीकरण के साथ ही जो भी जरूरी होगा, किया जाएगा. केन्द्रीय सचिव ने सीवेज व सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की योजनाओं के तहत छोटे-छोटे एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) व रिसाइकलिंग प्लांट लगाने की योजनाएं तैयार कर केन्द्र के पास भेजने का निर्देश अधिकारियों को दिया.
उन्होंने कहा कि इससे गंगा प्रदूषण मुक्त हो सकेगी वहीं रिसाइकलिंग से सिंचाई व अन्य सुविधाएं मिल सकेंगी. बनारस में आबादी के बढ़ते दबाव को देखते हुए आसपास के कस्बों का सेटेलाइट सर्वे करा उन्हें टाउनशिप के रूप में विकसित किया जाएगा. इससे आसपास के इलाके भी विकसित हो जाएंगें.
इसी कड़ी में रिंग रोड परियोजना को भी पूरा करने के लिए संबंधित मंत्रालय से बात होगी.