सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के सोमवार को बड़े बयान के बाद से सियासी गलियारों में इसके कई मायने निकाले जा रहे हैं. कोई कह रहा है ये असल मुद्दे से भटकाने की कोशिश है तो कोई उसे पुत्र मोह में पार्टी और बेटे को बचाने की कोशिश करार दे रहा है तो कोई इसे कौमी एकता दल को फिर से वापस लाने की कवायद करार दे रहा है.
लेकिन एक बात पर सब सहमत है कि मुलायम सिंह यादव के हर बोल सियासत भरे होते हैं और अगर उन्होंने अपने बेटे पर सवाल उठाए हैं और भाई का साथ दिया तो इसके भी गूढ़ सियासी मायने हैं. अखिलेश पर नेता जी के सियासी हमले के बाद शाम होते होते ये साफ हो गया कि पार्टी नेताओं की दबंगई और अफसरों की मनमानी की बातें तो सिर्फ माहौल बनाने के लिए थीं, दरअसल किसी बड़े राजनीतिक प्लान का ये हिस्सा थीं. वो प्लान है कि कौमी एकता दल को वापस लाओ. इसी प्लान के तहत अब मुलायम सिंह कौमी एकता दल को वापस लाने की स्क्रिप्ट लिखेंगे.
आजम खान का इस बाबत कहना है कि सपा में कोई ऐसी बात नहीं होनी चाहिए जिससे छोटे से छोटे कार्यकर्ता के खिलाफ कोई षड्यंत्र हो सके. नेता जी राष्ट्रीय अध्यक्ष है और पूरे देश में उनका सम्मान है. नेता जी ने शिवपाल जी को इस्तीफा देने से रोका है, लेकिन अगर ऐसी कोई सूचना है कि कुछ लोग भ्रष्टाचार पर लगाम नहीं लगा पा रहे हैं तो ऐसे लोगों पर कार्यवाही होनी चाहिए. कार्यवाही बहुत पहले हो जानी चाहिए थी लेकिन देरी हुई. सरकार बनने के तुरंत बाद भी नेता जी ने चेताया था लेकिन वक्त पर रहते कार्यवाही नही हुई.