उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में हवाई अड्डा बनाए जाने का मामला सियासी दांव-पेच में उलझता जा रहा है. राज्य सरकार हवाई अड्डे के लिए जमीन देने की प्रक्रिया पर अभी भी चुप्पी साधे हुए है.
खास बात यह कि सरकार चार शहरों में नि:शुल्क जमीन देने को तैयार हो गई है, लेकिन मेरठ का पेच फंसा हुआ है. मेरठ में हवाई अड्डे को लेकर केंद्रीय मंत्री चौधरी अजीत सिंह पहल कर चुके हैं. इसको लेकर काफी दिनों से प्रदेश और केंद्र सरकार के बीच चिट्ठीबाजी भी चलती रही है.
अजीत सिंह के नागरिक उड्डयन मंत्री बनने के बाद लोगों को हवाई अड्डा बनने की उम्मीद जगी थी. उनकी पार्टी राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) ने लगातार इसे अपने मुद्दे के तौर प्रचारित भी किया है.
माना जा रहा है कि इस पूरे मामले में बस यही फांस है. दरअसल, प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी नहीं चाहती कि उड्डयन मंत्री होने के नाते अजीत आने वाले लोकसभा चुनाव में इसका राजनीतिक लाभ हासिल करें और इसी कारण मामला लटका हुआ है.
राजनीतिक विश्लेषक हालांकि, यह भी मानते हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव में सपा की यह रणनीति कहीं मेरठ और आसपास के जिलों में उस पर भारी न पड़ जाए. खासतौर से तब, जब पिछले विधानसभा चुनाव में मेरठ और आसपास के जिलों में सपा को बेहतर परिणाम मिले थे.
इस बार प्रदेश सरकार के कद्दावर मंत्री शाहिद मंजूर मेरठ लोकसभा क्षेत्र से सपा के प्रत्याशी हैं. ऐसे में रालोद को फायदा न पहुंचाने के फेर में कहीं सपा अपना ही नुकसान न कर ले.