आम चुनाव के बाद हाशिये पर पहुंच चुकी कांग्रेस पार्टी और उसकी सर्वेसर्वा सोनिया गांधी को आखिर में अपने ट्रंप कार्ड प्रियंका गांधी की याद आ ही गई. लंबे समय से कांग्रेसी नेता प्रियंका को लोकसभा चुनाव से पहले ही बड़ी जिम्मेदारी देने की मांग उठा रहे थे.
मंगलवार को सोनिया गांधी ने भी इशारों ही इशारों में जता दिया कि प्रियंका को पार्टी में बड़ी भूमिका देने की तैयारी की जा चुकी है. कांग्रेस आलाकमान के फैसले से गदगद कार्यकर्ताओं ने इलाहाबाद शहर के अलग अलग हिस्सों में जो बैनर टांगा उसमें लिखा 'कांग्रेस का मून, प्रियंका इज कमिंग सून'. इस पोस्टर में कार्यकर्ताओं ने राहुल गांधी को जगह नहीं दी है.
लोकसभा चुनाव के बाद एक ओर जहां राहुल की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठे, तो प्रियंका को लाने की मांग जोर पकड़ने लगी. देश के अलग अलग हिस्सों में पोस्टर लगा कर पार्टी नेताओं ने प्रियंका को पार्टी में जिम्मेदारी देने की मांग की. कांग्रेस नेताओं का कहना था कि अगर कांग्रेस को बचाना है तो प्रियंका को सक्रिय राजनीति में लाए बिना ये संभव नहीं.
फिलहाल स्थिति ये है कि अध्यक्ष पद पर सोनिया गांधी का कार्यकाल अगले साल मार्च में पूरा हो रहा है. पार्टी तब तक राहुल गांधी को अध्यक्ष पद पर बिठाने की तैयारी कर रही है और प्रियंका को संगठन में महासचिव की जिम्मेदारी देना चाहती है.
हालांकि कांग्रेस पार्टी के बहुत सारे नेता अभी भी मुंह नहीं खोल रहे. उनका मानना है कि राजनीति में प्रियंका का आना या न आना पूरी तरह गांधी परिवार की निजी इच्छा पर निर्भर है.
इस लोकसभा चुनाव में ही कांग्रेस की ओर से ये मांग उठाई जा रही थी कि प्रियंका को चुनाव प्रचार में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए. लेकिन कांग्रेस में खासकर सोनिया गांधी, प्रियंका की उपस्थिति से अपने बेटे राहुल गांधी के भविष्य को लेकर सशंकित रही हैं. लोकसभा चुनाव में विकट हार के बाद पार्टी में दोनों की भूमिका को संतुलित करने की मजबूरी है.