पांच दशक से ज्यादा समय तक फिल्मी दीवानों के दिलों पर राज करने वाले प्राण सिकंद के निधन से उत्तर प्रदेश के रामपुर के लोग भी बहुत दुखी हैं. प्राण की शुरुआती शिक्षा यहीं पर हुई थी. उनकी बेजोड़ संवाद-अदायगी की एक वजह यह भी थी कि उन्होंने यहां की रियासत में उर्दू और फारसी की तालीम हासिल की.
प्राण ने 1931 से 1934 तक रामपुर रियासत के स्टेट हाई स्कूल में सातवीं से नौवीं तक पढ़ाई की थी. यह स्कूल अब हामिद इंटर कॉलेज के नाम से जाना जाता है. प्राण के पिता पीडब्ल्यूडी में इंजीनियर थे. उनकी पोस्टिंग रामपुर में थी. लेकिन प्राण जब दसवीं में आए तो उनके पिता का तबादला हो गया.
सिफाहत अली खान ने बरसों बाद जब सहपाठी को टीवी स्क्रीन पर देखा तो आवाज से झटपट पहचान लिया और बोल पड़े, 'यह तो प्राणनाथ है. अरे भई हमारे साथ पढ़ता था.' लतीफ अहमद खान ने इस बात को पक्का किया. फिर बताया कि प्राण अपने बचपन में बहुत ही शरारती थे. वह हर किसी को डिस्टर्ब करते रहते थे. क्लास में सबसे पीछे बैठते थे और सबको कागज की गोलियां बना बनाकर मारते रहते थे. उस जमाने में फारसी पढ़ना अनिवार्य था.
उन्होंने बताया कि जब एक सज्जन मुंबई में प्राण से मिले और उनसे रामपुर का जिक्र किया तो वह बहुत खुश हुए. उन्होंने कहा कि मेरे बचपन की कई यादें रामपुर की हैं. मेरी तालीम का जमाना रामपुर से है. मुझे अब तक याद है.