बीजेपी को केंद्र में और नीतीश-लालू की जोड़ी को बिहार में सत्तासीन करने में अहम भूमिका निभाने वाले प्रशांत किशोर ने अब यूपी की कमान संभाली है. वह कांग्रेस के लिए यूपी में चुनाव रणनीति तैयार करेंगे. इसी के तहत गुरुवार को लखनऊ के कांग्रेस दफ्तर में पांच घंटों तक नेताओं की क्लास ली.
यूपी में प्रशांत के लिए मुश्किलें ज्यादा हैं, क्योंकि कांग्रेस प्रदेश में 25 से भी अधिक साल से सत्ता से बाहर है. गुरुवार को प्रशांत किशोर के साथ बैठक में कांग्रेस के प्रदेशभर के जिलाध्यक्ष, उप जिलाध्यक्ष, कांग्रेस कमेटी के पदधिकारी, एआईसीसी सदस्य और कुछ विधायक भी शामिल हुए. सूत्रों के मुताबिक, बैठक में प्रशांत ने अलग-अलग जिलों से आए नेताओं से उनके क्षेत्र की जातीय और चुनावी समीकरण की जानकारी ली.
'कमियों को रिपेयर करना है'
यूपी कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष निर्मल खत्री ने कहा, 'साल 2017 के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमें जो विभिन्न उपाय करने हैं. किन मुद्दों को लेकर आगे बढ़ना है. किस तरीके से लड़ाई के मोर्चे पर सेनाओं को सजाना है. कहां पर हमारी कमियां हैं उसे रिपेयर हमें करना है और जो आधुनिक विधाएं हैं युद्ध कौशल की उसके लिए हमें कहां-कहां किन-किन लोगों से क्या-क्या मदद लेनी है, हम वो सब करेंगे. अब उसमें प्रशांत किशोर जी किस लेवल पर किस क्षेत्र में हमारे किस तरह मददगार हो सकते हैं. अभी तो बस शुरुआत है.'
20 सदस्यों की चुनाव कमेटी
सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेसियों को सुनने के बाद प्रशांत किशोर ने बस इतना ही कहा कि यूपी में उनका सीधा मुकाबला बीजेपी से होने वाला है. उन्होंने चुनाव की तैयारी के लिए 20 सदस्यों की एक कमेटी बनाने की भी घोषणा की. मगर कमाल की बात ये रही कि प्रशांत किशोर को अपना इलेक्शन मैनेजर चुनने के बावजूद कांग्रेस पार्टी खुले तौर पर यह कबूलने को तैयार नहीं है कि चुनावी बागडोर किशोर के हाथ में है.
यूपी कांग्रेस प्रभारी मधुसूदन मिस्त्री ने कहा, 'यह संगठन का मसला है और हम इस पर सार्वजनिक तौर पर चर्चा नहीं कर सकते. किसे लाना है और किसे नहीं, यह हमारा अंदरूनी मामला है.'
सपा, बीएसपी ने की कांग्रेस की आलोचना
दूसरी ओर, यूपी में 2017 चुनावों के लिए प्रशांत किशोर को बतौर रणनीतिकार इस्तेमाल करने के फैसले पर कांग्रेस की यूपी में जमकर आलोचना हो रही है. बीएसपी ने इसे जनता का तिरस्कार कर, रणनीतिकारों के बूते नय्या पार लगाने की कोशिश बताया है. वहीं, समाजवादी पार्टी इसे हताशा में उठाया हुआ कदम बता रही है. सपा नेता और यूपी सरकार में जेल मंत्री बलवंत सिंह रामूवालिया ने तो यहां तक कह दिया है कि कांग्रेस के हवाई जहाज का इंजन फेल हो चुका है और ऐसे में 200 रणनीतिकार भी मिलकर उसके लिए यूपी चुनावों में नई जान नहीं फूंक सकते.