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बाहुबली अतीक ने थामा ओवैसी का हाथ, सियासी गलियारों में मची खलबली

अतीक और उनकी पत्नी ने असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी का हाथ क्या थामा, सियासी गलियारों में खलबली मच गई. प्रयागराज में भी सियासी सरगर्मी बढ़ गई. कोई इसे अपना सियासी वजूद बचाए रखने की कोशिश बता रहा है तो कोई बीजेपी को फायदा पहुंचाने की कोशिश.

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पूर्व सांसद अतीक अहमद (फाइल फोटो)
पूर्व सांसद अतीक अहमद (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सपा ने बताया बीजेपी को फायदा पहुंचाने की कोशिश
  • कांग्रेस ने कहा- सपा को होगा नुकसान, बीजेपी को लाभ

फूलपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद रहे बाहुबली नेता अतीक अहमद और उनकी पत्नी शाइस्ता परवीन 7 सितंबर को ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) में शामिल हो गए. अतीक और उनकी पत्नी ने असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी का हाथ क्या थामा, सियासी गलियारों में खलबली मच गई. प्रयागराज में भी सियासी सरगर्मी बढ़ गई. कोई इसे अपना सियासी वजूद बचाए रखने की कोशिश बता रहा है तो कोई बीजेपी को फायदा पहुंचाने की कोशिश.

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समाजवादी पार्टी (सपा) के पूर्व जिलाध्यक्ष रवींद्र यादव ने कहा कि अतीक को नई पार्टी में जाने से कोई लाभ नहीं होगा. उन्होंने कहा कि बीजेपी को फायदा पहुंचाने की कोशिश की जा रही है. सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के विधायक संजय गुप्ता ने ओवैसी को तालिबानी सोच वाला नेता बताया और कहा कि योगी के डंडे से बचने के लिए अतीक अहमद का परिवार ओवैसी के संरक्षण में जाकर समाजविरोधी, देश विरोधी मंसूबे पूरे करने का ख्वाब देख रहा है लेकिन ये मंसूबे कभी पूरे नहीं होंगे.

अतीक अहमद और उनकी पत्नी के असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी में शामिल होने की हर कोई अपने नजरिए से व्याख्या कर रहा है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बाबा अभय अवस्थी ने इसे बीजेपी के लिए फायदेमंद बताया. उन्होंने कहा कि अतीक अहमद का एआईएमआईएम में जाना बीजेपी को फायदा पहुंचाएगा. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि कांग्रेस को इससे नुकसान उठाना पड़ सकता है.

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प्रयागराज शहर में अतीक फैक्टर की बात करें तो अतीक के साथ उनका अपना वोट बैंक रहा है जो उनको हमेशा चुनावी लड़ाई में विजयी बनाता रहा है. अतीक चाहे अपना दल से चुनाव मैदान में उतरे हों या सपा से, उनका वोट बैंक हमेशा उनके साथ रहा. अब एआईएमआईएम में शामिल होने के बाद अतीक का वो फैक्टर कितना काम आएगा, ये तो वक्त ही बताएगा.

बता दें कि अतीक अहमद के नाम का इतना वर्चस्व रहा है कि शहर पश्चिम सीट हो या फूलपुर, उनके सामने कोई भी मुस्लिम नेता किसी भी पार्टी से चुनाव मैदान में उतरने की हिम्मत नहीं जुटा पाता. अतीक और उनकी पत्नी ने एक बार फिर सियासत में नई नाव की सवारी कर 2022 में होने जा रहे विधानसभा चुनाव को रोचक बना दिया है.

 

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