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प्रयागराज हिंसा के चार दिन बाद भी आज अटाला इलाके में सन्नाटा पसरा है. दुकानों और कई घरों पर ताले लटके हैं. गलियों में चर्चा कर रहे निवासियों ने बताया कि व्यापार पूरी तरह से चौपट हो गया है, डर की वजह से लोग दुकानें नहीं खोल रहे हैं और न ही खरीदार आ रहे हैं. इस इलाके के आसपास रहने वाले 200 से अधिक लोगों के मोबाइल रडार पर है.
प्रयागराज पुलिस के मुताबिक, घटना से 2 दिन पहले अटाला इलाके में कई मोबाइल फोन पर काफी रात तक बातचीत होती रही. इन सभी बातचीत के कारण का पता लगाया जा रहा है. पुलिस इन सभी मोबाइल फोन को ही बातों को सर्विलांस के जरिए पता लगाने में जुटी हुई है. इसके साथ ही इलाके में माहौल शांतिपूर्ण करने की कोशिश की जा रही है.
अटाला के स्थानीय लोगों ने कहा कि पुलिस और प्रशासन माइक से अनाउंसमेंट कर दुकानें खोलने के लिए कहा जाना चाहिए, तभी सब दुकान खोलेंगे. अटाला के रहने वाले कुछ लोगों ने पुलिसिया कार्रवाई पर सवाल उठाया है. कुछ का यह भी कहना है कि उनके बच्चों जो बिना बताए पुलिस हाजिर होने के लिए बोलकर गई है, जबकि वह हिंसा में नहीं थे.
हिंसा वाले इलाके में अवैध दुकान और घरों पर बुलडोजर एक्शन का खौफ इस कदर है कि लोग घर-दुकान खाली कर रहे हैं. मजीदी इंटर कॉलेज की जमीन पर बनी दुकानों को कोई नोटिस तो नहीं मिला, लेकिन दुकानें खाली हो रही हैं. 10 जून को जूमे की नमाज के बाद प्रयागराज में सबसे ज्यादा हिंसा हुई. गलियों से निकल कर पत्थरबाजी की गई.
पुलिस अब हर एक उपद्रवी की कुंडली खंगाल रही है. हर आरोपी की अवैध संपति की लिस्ट बना रही है. 10 जून की हिंसा मामले में अब तक 337 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. सबसे ज्यादा 92 गिरफ्तारी प्रयागराज में हुई. उसके बाद सहारनपुर का नंबर आता है, जहां 83 आरोपियों को धर दबोचा गया. वहीं हाथरस में 52, अंबेडकर 41, मुरादाबाद में 40 और फिरोजबाद में 18 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया.