अस्पताल में बेड न मिलने की वजह से सड़क पर प्रसव और गर्भवती महिलाओं की मौत के मामले में महिला आयोग ने संज्ञान लिया है और राज्य सरकारों से अस्पताल में गर्भवती महिलाओं के लिए बेड मुहैया कराने को कहा है.
नोएडा में पिछले एक सप्ताह में दो ऐसे मामले सामने आए हैं. गाजियाबाद स्थित खोड़ा की रहने वाली एक गर्भवती महिला को नोएडा के अस्पतालों में 13 घंटे तक इलाज न मिलने की वजह से मौत हो गई थी.
इसके बाद पिछले सप्ताह नोएडा में ही 26 साल की एक गर्भवती महिला को अस्पताल में जगह नहीं मिलने के कारण सड़क पर ही बच्चे को जन्म देना पड़ा. बच्चा मरा पैदा हुआ.
गर्भवती महिलाओं के लिए हो बेड की व्यवस्था
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने ट्वीट कर कहा, "राज्य सरकारों को सभी अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं के इलाज और बेड की व्यवस्था करनी चाहिए. अस्पतालों में बेड की कमी के कारण सड़क पर किसी भी गर्भवती महिला की डिलीवरी होना बेहद शर्मनाक और चिंताजनक स्थिति है."
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स्वास्थ्य मंत्रालय को दिया निर्देश
इस मामले पर आयोग ने केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन को भी पत्र लिखा है. आयोग ने कहा है कि सभी अस्पतालों को इस संबंध में स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी होने चाहिए.
एम्बुलेंस में गई गर्भवती महिला की जान
बता दें कि गाजियाबाद के खोड़ा की रहने वाली नीलम कुमारी 8 महीने की गर्भवती थी. पिछले शुक्रवार को सुबह 6 बजे उन्हें प्रसव पीड़ा हुई और सांस लेने में समस्या हो रही थी. इसके बाद महिला को अस्पताल ले जाया गया.
13 घंटे तक उस महिला ने एम्बुलेंस में सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों के चक्कर लगाए, लेकिन उसे किसी भी अस्पताल में इलाज नहीं मिला. शुक्रवार शाम करीब 6 बजे महिला और उसके पेट में पल रहे बच्चे ने दम तोड़ दिया. नोएडा जिलाधिकारी सुहास एल वाई ने शनिवार सुबह करीब 11 बजे इस मामले को लेकर एक जांच समिति बनाई है.