scorecardresearch
 

किसी ने IAS की नौकरी छोड़ी तो कोई है जमीनी कार्यकर्ता... जानें 'टीम योगी' की पूरी डिटेल

दूसरी बार उत्तर प्रदेश के सीएम बने योगी आदित्यनाथ की केबिनेट में 53 मंत्री हैं. यूपी को दो डिप्टी सीएम मिले हैं- केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक.

Advertisement
X
योगी आदित्यनाथ
योगी आदित्यनाथ
स्टोरी हाइलाइट्स
  • योगी कैबिनेट में 53 मंत्री हैं
  • डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक

योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर दूसरी बार शपथ ली है. उत्तर प्रदेश में ऐसा पहली बार हुआ है कि कोई मुख्यमंत्री सत्ता में पांच साल रहने के बाद दूसरी बार सीएम बना हो. योगी कैबिनेट में 53 मंत्री हैं, जिसमें दो डिप्टी सीएम शामिल हैं. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक को बनाया गया है.

Advertisement

आइए जानते हैं योगी कैबिनेट के मंत्रियों के बारे में- 

योगेंद्र उपाध्याय (कैबिनेट मंत्री)

आगरा दक्षिण सीट पर भाजपा प्रत्याशी योगेंद्र उपाध्याय ने लगातार तीसरी बार जीत हासिल करके हैट्रिक बनाई. योगेंद्र उपाध्याय ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़कर छात्र जीवन से ही राजनीति की शुरुआत कर दी थी. इसके बाद वो भाजयुमो में पदाधिकारी रहे. योगेंद्र उपाध्याय अपने समर्थकों के बीच काफी लोकप्रिय हैं.

बेबी रानी मौर्य (कैबिनेट मंत्री)

आगरा ग्रामीण विधानसभा सीट से विधायक बनीं बेबी रानी मौर्य, योगी मंत्रीमंडल में शामिल में हो गई हैं. बेबी रानी मौर्य पहली बार विधायक बनी हैं. उन्होंने विधानसभा चुनाव में बसपा प्रत्याशी किरण प्रभा केसरी को मात दी. बेबीरानी मौर्य बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं. इनके नाम पर आगरा की पहली महिला मेयर बनने का रिकॉर्ड है. 1995 में बेबी रानी मौर्य आगरा की मेयर बनी थीं. 2000 के बाद वह भारतीय जनता पार्टी के संगठन और आयोगों में विभिन्न पदों पर रहीं. 2018 में उन्हें उत्तराखंड का राज्यपाल बनाया गया. सितंबर 2021 में बेबी रानी मौर्य को राज्यपाल पद से हटाकर बीजेपी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया.

Advertisement

आशीष पटेल (कैबिनेट मंत्री)

अपना दल(S) नेता आशीष पटेल का जन्म चित्रकूट में 1979 को हुआ था. आशीष पटेल की पत्नी केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल (अपना दल एस की राष्ट्रीय अध्यक्ष) हैं, जो वर्तमान में मिर्ज़ापुर से दूसरी बार सांसद चुनी गयी हैं. वह वर्तमान में मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री हैं.आशीष पटेल और अनुप्रिया पटेल की शादी 27 सितंबर 2009 को हुई थी. आशीष पटेल झांसी के गर्वनमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक हैं. इन्होंने कुछ समय तक जल निगम में सरकारी नौकरी भी की. आशीष पटेल अपना दल(S) के राष्टीय अध्यक्ष रहे और मई 2018 में विधान परिषद सदस्य चुने गए थे.

भूपेंद्र सिंह चौधरी (कैबिनेट मंत्री)

मुरादाबाद से विधायक भूपेंद्र सिंह चौधरी एक बार फिर मंत्री बने हैं. MLC बनने के बाद पिछली योगी सरकार में पंचायती राज कैबिनेट मंत्री रहे भूपेंद्र सिंह चौधरी को योगी सरकार 2.O में भी कैबिनेट में जगह दी गयी है. 

नंद गोपाल गुप्ता नंदी (कैबिनेट मंत्री)

नंद गोपाल गुप्ता प्रयागराज शहर दक्षिणी से विधायक बने हैं. इनका जन्म इलाहाबाद में 23 अप्रैल 1974 को हुआ. 2007 में उन्होंने बसपा के टिकट पर शहर दक्षिणी से चुनाव जीता था. उन्होंने भाजपा के कद्दावर नेता केशरी नाथ त्रिपाठी और कांग्रेस की रीता बहुगुणा जोशी को हराया था. तब मायावती ने उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया था. 2014 में नन्दी कांग्रेस के टिकट से इलाहाबाद के प्रत्याशी रहे और चुनाव जीता, तब कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में उन्हें मंडल प्रचार प्रभारी बनाया था. ये 2017 में बीजेपी में शामिल हुए और सपा विधायक परवेज अहमद टंकी को हराकर एक बार फिर कैबिनेट मंत्री का पद हासिल किया. 2022 में नन्दी ने सपा के रईस शुक्ला को 26,417 मतों से हराया. 

Advertisement

सूर्य प्रताप शाही (कैबिनेट मंत्री)

सूर्य प्रताप शाही का जन्म सन 1952 में देवरिया जिले में हुआ था. सूर्य प्रताप शाही ने बीएचयू से एलएलबी की पढ़ाई की है. ये छात्र जीवन से ही राजनैतिक रूप से सक्रिय थे. इनके चाचा रविन्द्र किशोर शाही भारतीय जनसंघ के प्रदेश अध्यक्ष और 1977 से 1979 तक यूपी सरकार में मंत्री रहे हैं. सूर्य प्रताप शाही 1985 में पहली बार कसया से विधायक रहे. 1991 और 1996 में चुनाव जीते. इस दौरान वह प्रदेश सरकार में गृह राज्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और आबकारी मंत्री के पद पर रह चुके हैं. 2017 में चुनाव जीतने के बाद प्रदेश में कृषि, कृषि शिक्षा और कृषि अनुसंधान विभाग के कैबिनेट मंत्री रहे. 2022 में सूर्य प्रताप शाही ने सपा के ब्रम्हाशंकर त्रिपाठी को हराया. 

अनिल राजभर (कैबिनेट मंत्री)

वाराणसी के शिवपुर से अनिल राजभर वर्तमान में बीजेपी के विधायक हैं. इससे पहले भी 2017 में बीजेपी की तरफ से विधायक चुने गए थे और कैबिनेट मंत्री तक का सफर तय किया था. इस बार भी पार्टी ने उन पर भरोसा जताया है और राज्य के कैबिनेट मंत्रालय में उन्हें जगह दी है. 

ठाकुर जयवीर सिंह (कैबिनेट मंत्री)

ठाकुर जयवीर सिंह का जन्म उत्तर प्रदेश फिरोजाबाद जिले के करहरा गांव में राजपूत परिवार में हुआ था. जयवीर सिंह दो बार कांग्रेस कमेटी के ब्लॉक अराव के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. 1984, 1988 में वे गांव करहरा के प्रधान रहे. 2002 और 2006 में उत्तर प्रदेश सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बने. जयवीर सिंह 2007 में मायावती सरकार में सिंचाई यांत्रिक स्वतंत्र प्रभार मंत्री रहे. 2017 में बीजेपी में शामिल हो गए और सिरसागंज से चुनाव लड़े और हार गए. 2022 में बीजेपी ने इन्हें सपा के गढ़ मैनपुरी सदर विधानसभा से प्रत्याशी बनाया, जहां इन्होंने सपा के राजकुमार यादव को 6766 वोटों से हराकर जीत दर्ज की. जयवीर सिंह पत्नी रीता सिंह जिला सहकारी बैंक जनपद फिरोजाबाद की अध्यक्ष रह चुकी हैं. 

Advertisement

अरविंद कुमार शर्मा (कैबिनेट मंत्री)

उत्तर प्रदेश के मऊ जनपद के काझा खुर्द गांव के रहने वाले अरविंद कुमार शर्मा 1988 बैच के गुजरात कैडर के IAS रहे हैं. इनको प्रधानमंत्री मोदी का करीबी और सहयोगी माना जाता है. वह 2014 में संयुक्त सचिव के रूप में प्रधानमंत्री कार्यालय में शामिल हुए और 2017 में उन्हें अतिरिक्त सचिव के पद पर पदोन्नत किया गया. वह सूक्ष्म लघु और मंत्रालय में सचिव बनने के लिए पीएमओ से बाहर चले गए. 2021 में उन्होंने अपने पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली. इसके बाद वे बीजेपी में शामिल हो गए. इस समय वह बीजेपी के विधान परिषद के सदस्य हैं. 11 जुलाई 1962 में जन्मे अरविंद कुमार शर्मा की उम्र 59 साल है.

राकेश सचान (कैबिनेट मंत्री)

भोगनीपुर से राकेश सचान ने सपा प्रत्याशी नरेंद्र पाल सिंह मनु को हराकर जीत दर्ज की थी. 

संजय सिंह गंगवार (राज्य मंत्री)

पीलीभीत शहर विधानसभा सीट पर लगातार तीसरी बार चुनाव लड़े और दूसरी बार बीजेपी से विधायक बने हैं. संजय के मंत्री बनने की सबसे बड़ी वजह है पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी का खुल कर विरोध करना. वरुण गांधी के विरोध के बाद भी संजय चुनाव जीते, इसलिये ही वरुण को साइड लाइन कर कुर्मी समाज से संजय सिंह गंगवार को मंत्री बनाया गया. इस बार संजय सिंह गंगवार लगभग 7 हजार वोट से जीते, संजय ने सपा के डॉ शैलेन्द्र गंगवार को हराया.

Advertisement

दिनेश खटीक (राज्य मंत्री)

दिनेश खटीक दूसरी बार हस्तिनापुर से विधायक चुने गए हैं. यह 2017 में बसपा के योगेश वर्मा को हराकर विधायक बने थे और 2022 में सपा के गठबंधन प्रत्याशी योगेश वर्मा को हराकर विधायक बने हैं. दिनेश खटीक पिछली सरकार में राज्यमंत्री बने थे और इस बार भी मंत्री पद के लिए चुने गए हैं.

सोमेंद्र तोमर (राज्य मंत्री)

सोमेंद्र तोमर मेरठ दक्षिण के लगातार दूसरे बार विधायक बने हैं. 2017 में बसपा के हाजी याकूब को हराया था. 2022 में समाजवादी पार्टी गठबंधन के आदिल चौधरी को हराकर विधायक बने हैं. सोमेंद्र तोमर छात्र राजनीति से जुड़े रहे हैं. इनके अपने कई कॉलेज भी हैं.

सुरेश राही (राज्य मंत्री)

सीतापुर के हरगांव विधानसभा क्षेत्र से दूसरी बार चुने गए भाजपा विधायक सुरेश राही, पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे स्व.  रामलाल राही के बेटे हैं. सुरेश राही योगी कैबिनेट में राज्य मंत्री बनाए गए हैं. इनके भाई रमेश राही पहले इसी क्षेत्र से समाजवादी पार्टी से विधायक रह चुके हैं. सुरेश ने जिले में सर्वाधिक लगभग 39000 मतों से जीत हासिल की है. उन्होंने बहुजन समाज पार्टी में रहकर, तीन बार मंत्री बने रामहेत भारती को चुनाव हराया है. हालांकि रामहेत इस बार समाजवादी पार्टी के टिकट पर उनके सामने चुनाव मैदान में उतरे थे.

Advertisement

केपी मलिक (राज्य मंत्री)

केपी मलिक 40 साल से राजनीति में हैं. वे 3 बार बड़ौत नगर पालिका अध्यक्ष रहे हैं. एक बार एमएलसी रहे और दो बार विधायक रहे हैं. इन्होंने 40 सालो में जो भी चुनाव लड़ा कभी नहीं हारे.

बृजेश सिंह (राज्य मंत्री)

बृजेश सिंह देवबंद विधानसभा से लगातार दूसरी बार विधायक बने हैं. बृजेश सिंह ने सपा प्रत्याशी कार्तिकेय राणा को 7100 वोटों से हराकर जीत हासिल की है.

राकेश राठौर (राज्य मंत्री)

राकेश राठौर सीतापुर सदर सीट से पहली बार विधायक बने हैं. विधायक बनने से पहले भारतीय जनता पार्टी में मात्र सामान्य कार्यकर्ता के तौर पर सक्रिय थे. इन्हें, इनके मुकाबले चुनाव लड़ रहे समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता राधेश्याम जयसवाल के खिलाफ काफी हल्का प्रत्याशी समझा जा रहा था. इसके बावजूद राकेश राठौर 1200 वोटों से जीत गए. राकेश राठौर तेली बिरादरी से हैं. 

विजयलक्ष्मी गौतम (राज्य मंत्री)

विजयलक्ष्मी गौतम देवरिया जिले की सलेमपुर सुरक्षित विधानसभा सीट से बीजेपी की विधायक बनी हैं. विजय लक्ष्मी गौतम पोस्ट ग्रैजुएट हैं. इनके पति हरिनंदन गौतम बैंक में अधिकारी हैं. इनके दो बेटे और एक बेटी है. विजय लक्ष्मी गौतम 1992 से राजनीति में सक्रिय हुईं और बीजेपी की महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष रहीं. विजयलक्ष्मी प्रदेश कार्यकारिणी में भी सदस्य रहीं. 2012 में सलेमपुर विधानसभा सुरक्षित सीट से इन्हें हार देखना पड़ा था इसलिए 2017 में बीजेपी ने इन्हें टिकट नहीं दिया. तब इन्होंने सपा ज्वाइन की. 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने काली प्रसाद का टिकट काटकर विजयलक्ष्मी की सपा से वापसी कराई और टिकट दिया. इस बार वे जीत गईं और विधायक बनीं. 

Advertisement

अजीत पाल (राज्य मंत्री)

अजीत पाल ने सिकन्दरा से सपा प्रत्याशी को हराकर जीत दर्ज की. ये सिकंदरा से दूसरी बार विधायक बने हैं.

प्रतिभा शुक्ला

अकबरपुर से सपा प्रत्याशी रामप्रकाश कुशवाह को हराकर विधायक बनी हैं. कानपुर देहात प्रतिभा शुक्ला अकबरपुर से दूसरी बार विधायक चुनी गईं.  

सतीश शर्मा (राज्य मंत्री) 

सतीश शर्मा बाराबंकी की दरियाबाद विधानसभा से दूसरी बार विद्यायक बने हैं. इन्होंने 2017 में 6 बार के विधायक रहे स्व. राजा राजीव कुमार सिंह को और 2022 में पूर्व मंत्री अरविंद सिंह गोप को हराया है.

अनूप वाल्मीकि (राज्य मंत्री) 

अनूप वाल्मीकि का जन्म अलीगढ़ के गडराना गांव में 1981 में हुआ था. ये किसान परिवार से हैं. इन्होंने सुभारती यूनिवर्सिटी से बीए किया है. 2005 में पहली बार ज़िला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा और हार गए. 2010 में ग्राम प्रधान इलेक्शन में चुनाव जीतकर अपने गांव से प्रधान चुने गए. 2012 में भाजपा ने खैर सुरक्षित विधानसभा सीट से टिकट दिया लेकिन ये चुनाव हार गए. इसके बाद 2017 में बीजेपी ने एक बार फिर भरोसा जताते हुए टिकट दिया और इस बार ज़िले में रिकॉर्ड मतों से अनूप वाल्मीकि ने चुनाव जीता और विधायक बने. 2022 में भी बड़े अंतर से जीतकर अनूप प्रधान विधायक बने हैं. 

रजनी तिवारी (राज्य मंत्री )

रजनी तिवारी हरदोई के रहने वाली हैं और चौथी बार विधायक बनी हैं. वे हरदोई जिले की शाहाबाद विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुनी गई हैं. 49 साल की उम्र में पहली बार मंत्री बनी शाहाबाद से विधायक श्रीमती रजनी तिवारी स्नातक हैं. 2008 में अपने पति बसपा से विधायक चुने गए उपेंद्र तिवारी की मृत्यु के बाद हुए उपचुनाव में बसपा से विधायक बनीं थीं. 2012 में सपा की लहर में भी बसपा से चुनाव जीतीं. 2017 में बसपा से बीजेपी में शामिल हुईं और शाहाबाद विधानसभा से चुनाव लड़कर जीतीं. 2022 में रजनी तिवारी ने 6 हजार से अधिक मतों से सपा के आसिफ खान बब्बू को हराकर बीजेपी से चौथी बार विधायक बनीं.

मनोहर लाल पंथ उर्फ मन्नू कोरी (राज्य मंत्री)
 
मनोहर लाल पंथ ने महरौनी विधानसभा सीट से बसपा के किरन रमेश खटीक को 1 लाख 10 हजार वोटों से हराकर, दूसरी बार जीत हासिल की है. मनोहर लाल पहले भी श्रम राज्यमंत्री रहे हैं. इन्होंने हाईस्कूल तक पढ़ाई की है.

रविंद्र जयसवाल (राज्य मंत्री-स्वतंत्र प्रभार) 

वाराणसी की उत्तर सीट से रविंद्र जयसवाल तीसरी बार विधायक चुने गए हैं. इससे पहले 2017 में विधायक चुने जाने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें स्वतंत्र प्रभार मंत्रालय दिया था. इस बार भी पार्टी ने उन पर भरोसा जताया है और राज्य के स्वतंत्र प्रभार मंत्रालय में फिर से जगह दी है. 

दयाशंकर मिश्र दयालु (राज्य मंत्री-स्वतंत्र प्रभार)

दयाशंकर मिश्र दयालु 2014 में कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए थे. 2022 यूपी चुनाव में वाराणसी के दक्षिणी विधानसभा में मिली बेहद निर्णायक जीत में इनकी अहम राणिनीतिक भूमिका मानी जा रही है. वाराणसी सहित आसपास के जनपद में इनकी बेहद सक्रिय भूमिका देखने को मिली थी. इसको लेकर पार्टी ने इन्हें इस बार के मंत्रिमंडल में जगह दी है.

गुलाब देवी (राज्य मंत्री-स्वतंत्र प्रभार) 

जनपद संभल चंदौसी विधानसभा से गुलाबो देवी एक बार फिर से मंत्री बनने जा रही हैं. गुलाबो देवी 2017 से राज्य मंत्री रही हैं.

कपिल देव अग्रवाल (राज्य मंत्री-स्वतंत्र प्रभार)

मुजफ्फरनगर जनपद की सदर विधानसभा सीट से विधायक कपिल देव अग्रवाल को एक बार फिर से मंत्री मंडल शामिल किया गया है. उन्हें स्वतंत्र प्रभार राज्य मंत्री बनाया गया है. कपिल देव अग्रवाल लगातार तीसरी बार विधायक चुने गए हैं. इस बार के चुनाव में कपिल देव अग्रवाल ने गठबंधन से लोकदल प्रत्याशी सौरभ स्वरूप को 18694 वोट से मात दी. कपिल देव अग्रवाल को इस चुनाव में जहां 111794 वोट मिले है, तो वहीं सौरभ स्वरूप को 93100 वोट मिले. 

नितिन अग्रवाल (राज्य मंत्री-स्वतंत्र प्रभार)

नितिन अग्रवाल बीजेपी नेता नरेश अग्रवाल के पुत्र हैं. ये हरदोई सदर विधानसभा से चुनाव लड़ते हैं और चौथी बार विधायक बनें हैं. नरेश अग्रवाल के विधायक पद से इस्तीफा देने के बाद 2008 में हुए उपचुनाव में बसपा से पहली बार विधायक बने थे. 2012 में बसपा छोड़कर सपा में शामिल हुए और सपा से विधायक बने, सपा सरकार में स्वास्थ्य राज्य मंत्री,  बाद में सूक्ष्म लघु उद्योग निर्यात प्रोत्साहन विभाग के स्वतंत्र प्रभार राज्य मंत्री बने. 2017 में सपा से चुनाव लड़कर विधायक बने. 2018 में अपने पिता नरेश अग्रवाल के साथ बीजेपी में आ गए. 2021 में बीजेपी ने विधानसभा उपाध्यक्ष बनाया. 2022 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़कर सपा के अनिल वर्मा को 43 हजार से अधिक मत से हराकर चौथी बार हरदोई सदर के विधायक बने.

दिनेश प्रताप सिंह (राज्य मंत्री-स्वतंत्र प्रभार)

रायबरेली के दिनेश प्रताप सिंह 2018 में कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे. 2019 में उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी के तौर पर सोनिया गांधी के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ा था. ये दो बार कांग्रेस के प्रत्याशी के तौर पर एमएलसी रह चुके हैं.

दयाशंकर सिंह (राज्य मंत्री-स्वतंत्र प्रभार)

दयाशंकर सिंह बलिया नगर सीट से सपा के पूर्व मंत्री नारद राय को हराकर जीते हैं. दयाशंकर सिंह सिंह बिहार के बक्सर जिले के छोटका राजपुर के रहने वाले हैं. दयाशंकर सिंह ने बलिया से इंटर तक की पढ़ाई की है. उसके बाद लखनऊ विश्वविद्यालय के अध्यक्ष रहे फिर युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रहे. 2012 में बलिया से बीजेपी से टिकट मिला, लेकिन वह चुनाव हार गए थे. 

संदीप सिंह (राज्य मंत्री-स्वतंत्र प्रभार)

अतरौली विधानसभा सीट से साल 2017 के विधानसभा चुनाव में कल्याण सिंह के परिवार की तीसरी पीढ़ी के संदीप सिंह को बीजेपी ने टिकट दिया. उन्होंने विधानसभा चुनाव में सपा के वीरेश यादव को 50 हजार वोट से अधिक के अंतर से हरा दिया था. पहली बार विधानसभा पहुंचे संदीप सूबे की सरकार में मंत्री बने. इस बार 2022 में भी अतरौली विधानसभा सीट से विधायक बने हैं. संदीप सिंह को राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाया जा रहा है.

Advertisement
Advertisement