कानपुर में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों पर केस दर्ज किए जा रहे हैं. यूपी पुलिस लोगों की पहचान कर रही है और उनके खिलाफ केस दर्ज कर रही है. नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान तोड़-फोड़ और हिंसा फैलाने का केस जिन लोगों पर दर्ज किया गया है, उनमें से तीन लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि कई अन्य लोग घायल हैं.
कुछ लोगों पर हत्या का मुकदमा भी चलेगा
इस बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए कानपुर के डीआईजी (पुलिस उप महानिरीक्षक) अनंत देव तिवारी ने कहा कि जिस वक्त इलाके में हिंसा फैला थी ये सभी लोग मौके पर मौजूद थे. इसलिए अन्य उपद्रवियों के साथ इनपर भी केस दर्ज किया गया है. इनमें से तीन लोगों की मौत हो गई थी. उन्होंने आगे कहा कि क्रॉस फायरिंग में तीन लोगों की मौत हो गई थी, इसलिए कुछ लोगों पर उनकी हत्या का मुकदमा भी चलेगा. इस पूरे मामले की जांच एसआईटी कर रही है.
बता दें कि पुलिस ने जिन लोगों पर सीएए के विरोध के दौरान हिंसा करने का केस दर्ज किया है उनमें से कई लोग ऐसे हैं जो उसी दिन घायल हुए थे. इनमें से कुछ लोगों को गोली लगी थी. बाद में इलाज के दौरान इनमें से तीन लोगों की मौत हो गई. कानपुर डीआईजी ने आगे कहा कि जब वहां उपद्रव मचाया जा रहा था तब ये लोग भी वहां मौजूद थे. इसलिए अन्य उपद्रवियों के साथ इन लोगों पर भी मामले दर्ज किए गए हैं.
बाहरी लोगों द्वारा आयोजित लगती है हिंसा
देश में सर्वाधिक हिंसा प्रभावित शहरों में कानपुर भी शामिल था, जहां 20 दिसंबर को जुमे की नमाज के बाद सड़क पर लगभग 2.5 लाख लोग उतर आए थे. अनंत देव ने बताया, "हिंसा बाहरी लोगों द्वारा आयोजित लगती है. इस मामले में हमें और सबूतों की जरूरत है. फिलहाल हमने 17 मामले दर्ज किए हैं. पुलिस वीडियो फुटेज के माध्यम से और दोषियों की पहचान कर रही है."
इस दौरान उन्होंने यह भी बताया कि राज्य पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआईटी) भी यह पता करने की कोशिश कर रही है कि क्या कानपुर के दंगाइयों का लखनऊ के दंगाइयों से संपर्क था.
सीएए विरोधी हिंसा प्रायोजित!
नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में उत्तर प्रदेश में हिंसक प्रदर्शनों के संबंध में राज्य की खुफिया आकलन रपट में खुलासा हुआ है कि आक्रोश तो स्वस्फूर्त था, लेकिन हिंसा ज्यादातर संगठित थी. हिंसा के दौरान प्रदेश में 21 लोगों की मौत हो गई और लगभग 400 लोग घायल हो गए.
रिपोर्ट में प्रदेश के सांप्रदायिक रूप से संवदेनशील इलाकों में भीड़ भड़काने, आगजनी, गोलीबारी और बमबारी करने में सिमी के कथित नए रूप पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की भूमिका का भी खुलासा हुआ है.
विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा से सबसे ज्यादा प्रभावित पश्चिमी उत्तर प्रदेश रहा, जहां आगजनी, गोलीबारी और सरकारी संपत्ति नष्ट करने के मामले में 318 लोगों को गिरफ्तार किया गया.