सरकार सुस्त है और चोर मस्त हैं. जो करोड़ों रुपये का वैट और उपकर ही नहीं, बल्कि सरकारी ठेकों में भी घोटाला कर रहे हैं, वही भ्रष्ट अफसरों की मिलीभगत से मौज काट रहे हैं. सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक साल 2015 से 2017 के बीच सिर्फ तीन कंपनियों ने ही पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (PSPCL) के ठेकों से पंजाब सरकार के खजाने में 15 करोड़ रुपये की सेंध लगा दी.
केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) के निर्देशों के उलट सिंगल टेंडर के जरिए कंपनियों और सरकारी बाबुओं की मिलीभगत से ये गोरखधंधा जारी है. बिजली के उपकरण बनाकर पंजाब सहित कई राज्यों में सप्लाई करने वाले फर्म अरुण इंटरप्राइजेज, ट्रिकोलाइट इलेक्ट्रिकल इंडस्ट्रीज लिमिटेड (Tricolite Electrical Industries Limited) और शिप्रा इंजीनियरिंग वर्क्स के खिलाफ शिकायत आई, तो PSPCL ने अरुण इंटरप्राइजेज सहित कुछ कंपनियों के ऑर्डर भी रद्द कर दिए थे.
PSPCL की मार्च में हुई मीटिंग के दस्तावेज आजतक के पास मौजूद हैं, जिनमें अरुण एंटरप्राइजेज के एक लाख फोर इन वन बॉक्सेज के ऑर्डर रदद् किए जाने की बात है. इन दिखावटी कदमों के बावजूद पंजाब, मध्य प्रदेश, यूपी और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में ऐसी कंपनियों का गोरखधंधा धड़ल्ले से चल रहा है, क्योंकि इनको रोकने के लिए जिम्मेदार अधिकारी ही इन भ्रष्ट लोगों से मिले हुए हैं.
PSPCL के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक ये कंपनियां आपस में मिलकर सभी टेंडर खुद ही उठाती हैं, क्योंकि ये कीमत किसी और क्वॉलिटी के उपकरण की बताती हैं व सप्लाई कुछ और क्वॉलिटी वाले समान की करती हैं. ये कंपनियां तांबे के तार वाले उपकरण की कीमत काफी कम बताकर टेंडर लेती हैं और फिर सप्लाई लोहे या एल्युमिनियम के तार वाले उपकरणों की करती हैं.
आजतक के हाथ लगे सबूत में यह बात सामने आई कि गाजियाबाद के डिप्टी कमिश्नर और वाणिज्य कर नोडल अधिकारी ने भी इनकी कर चोरी की तस्दीक की है. अरुण इंटरप्राइजेज ने पंजाब की तरह ही यूपी में योगी राज में भी नाम कमाया.
जनवरी 2018 में जारी दो प्रशासनिक पत्रों से ये बात साफ हो जाती है कि अरुण इंटरप्राइजेज ने सरकार को वैट भुगतान पांच फीसद की दर से किया, जबकि असली दर 14.5 फीसदी बनती है. इन दोनों मामले में भी फर्जीवाड़ा करने वाली कंपनी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की बात तो कही गई, लेकिन अभी तक हुआ कुछ भी नहीं.
दिलचस्प बात यह है कि इस गोरखधंधे और मिलीभगत की शिकायत विभागीय अधिकारी से लेकर सरकार के उच्च पदों पर आसीन लोगों से की जा चुकी है. इस गोरखधंधे की तस्दीक की बात एक RTI के जवाब में भी दी गई है. हालांकि कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति की गई.