उत्तराखंड में लगातार दूसरी बार पुष्कर सिंह धामी सत्ता की कमान संभालकर सियासी इतिहास रचने जा रहे हैं. सोमवार को देहरादून में बीजेपी विधायक दल की बैठक में उन्हें नेता चुन लिया गया है. पुष्कर धामी अपनी सीट खटीमा विधानसभा क्षेत्र से हारने के बावजूद एक बार फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी हासिल कर राजनीतिक बाजीगर साबित हुए हैं. धामी की ताजपोशी पर मुहर लगने के बाद उत्तर प्रदेश में सिराथू सीट पर हार का मुंह देखने वाले केशव प्रसाद मौर्य के लिए भी मंत्रिमंडल में शामिल होने की संभावनाएं दिखने लगी हैं.
दरअसल, पुष्कर सिंह धामी के नाम पर मुहर लगने के बाद बीजेपी में एक नई संस्कृति ही कही जा सकती है, जहां हारे हुए उम्मीदवार को भी दोबारा मुख्यमंत्री बनने का अवसर दिया जा रहा है. 2017 के हिमाचल प्रदेश के चुनाव में अपनी सीट हारने के कारण प्रेम सिंह धूमल मुख्यमंत्री बनने से चूक गए थे और जयराम ठाकुर की किस्मत चमक गई थी. वहीं, पुष्कर सिंह धामी को सीएम बनाने के फैसले के बाद केशव मौर्य के योगी कैबिनेट में शामिल होने की राह आसान होती नजर आ रही है.
धामी और केशव प्रसाद, दोनों ही हारे चुनाव
पुष्कर सिंह धामी की तरह केशव प्रसाद मौर्य भी अपनी विधानसभा सीट से चुनाव हार गए थे. सिराथू सीट पर सपा गठबंधन की उम्मीदवार पल्लवी पटेल से केशव प्रसाद मौर्य हार गए थे. ऐसे में बीजेपी जब पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला कर सकती है तो केशव प्रसाद मौर्य के लिए भी सत्ता के दरवाजे खुल सकते हैं, क्योंकि वो सूबे में बीजेपी के ओबीसी चेहरे माने जाते हैं.
केशव प्रसाद मौर्य बीजेपी शीर्ष नेतृत्व के करीबी माने जाते हैं और 2022 विधानसभा चुनाव में पार्टी को दोबारा जीत तक ले जाने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई है. माना जा रहा है कि बीजेपी नेतृत्व उन्हें यूपी में पिछड़ी जाति के बड़े नेता के रूप में आगे बढ़ाना चाहती है, क्योंकि सत्ता की वापसी में ओबीसी समुदाय का अहम रोल रहा है. बीजेपी ओबीसी वोटों के दम पर 2014-2019 लोकसभा और 2017-2022 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने में सफल रही है.
बीजेपी पिछड़ी जातियों के बीच अपने सियासी जनाधार को मजबूत रखने की कवायद में है. ऐसे में केशव प्रसाद मौर्य को योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बनने वाली 2.0 सरकार में अहम भूमिका सौंपी जा सकती है. योगी सरकार के पहले कार्यकाल में केशव प्रसाद मौर्य डिप्टी सीएम थे और नंबर दो की हैसियत थी. लेकिन, सिराथू सीट से चुनाव हार के बाद उनके मंत्रिमंडल में शामिल होने पर ग्रहण लगने जैसी चर्चाएं जोर पकड़ने लगीं.
वहीं, अब पुष्कर सिंह धामी की ताजपेशी पर मुहर लगने के बाद केशव प्रसाद मौर्य के लिए भी संभावना दिखने लगी है. माना जा रहा है कि उन्हें भी धामी की तरह हार के बावजूद मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है. उन्हें दोबारा उपमुख्यमंत्री के रूप में जगह देकर भाजपा नेतृत्व पिछड़े वर्ग के मतदाताओं तक विशेष संदेश देने का दांव चलती है. हालांकि, यह फैसला 24 मार्च को बीजेपी के विधायक दल की बैठक में होगा, जिसमें योगी आदित्यनाथ को नेता चुना जाना है.
बीजेपी शीर्ष नेतृत्व ने उत्तर प्रदेश सरकार गठन का जिम्मा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को दिया है. बीजेपी ने अमित शाह और झारखंड के पूर्व सीएम रघुवर दास को यूपी का पर्यवेक्षक नियुक्त किया है. ऐसे में अमित शाह सिर्फ विधायक दल के नेताओं का चुनाव ही नहीं बल्कि योगी टीम का भी गठन करने में अहम रोल अदा करेंगे.
बीजेपी सीएम योगी के चेहरे पर ही चुनाव मैदान में उतरी थी और पार्टी ने गठबंधन दलों के साथ मिलकर 273 सीटों से साथ ऐतिहासिक जीत दर्ज की है. ऐसे में सीएम योगी का विधायक दल का नेता चुना जाना तय माना जा रहा है. बीजेपी के विधायक दल की बैठक में नेता का चुनाव औपचारिकता भर है. वहीं, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य पर भी फैसला अमित शाह को लेना है. ऐसे में भले ही वो सिराथू सीट से विधानसभा चुनाव हार गए हों, लेकिन उनका सियासी कद बीजेपी में कम नहीं होगा.
केशव प्रसाद मौर्य को सियासी तौर पर बढ़ाने में अमित शाह की अहम भूमिका रही है. शाह के पर्यवेक्षक बनने के बाद माना जा रहा है कि केशव मौर्य को अहमियत दी जाएगी और उन्हें ओबीसी नेता के तौर पर मुख्यरूप से आगे रखा जाएगा. 2017 में केशव मौर्य को डिप्टी सीएम बनाया गया था. ऐसे में क्या इस पद पर उन्हें योगी सरकार में दोबारा से मौका मिल सकता है?